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भारतवंशी जोहरान ममदानी को न्यूयॉर्क का केजरीवाल क्यों कहा जा रहा है?

भारतवंशी जोहरान ममदानी की न्यूयॉर्क शहर के मेयर पद पर जीत ऐतिहासिक है. उनके किए वादों की वजह से उन्हें लोग न्यूयॉर्क का अरविंद केजरीवाल बता रहे हैं

न्यूयॉर्क के नवनिर्वाचित मेयर ममदानी (File Photo- Rueters)
न्यूयॉर्क के नवनिर्वाचित मेयर ममदानी (File Photo- Rueters)
अपडेटेड 6 नवंबर , 2025

भारतवंशी जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर के मेयर पद का चुनाव जीत लिया है. यह कई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद लड़ी गई एक मजबूत लड़ाई थी, जिसमें ममदानी विजेता बनकर उभरे हैं.

दुनिया के प्रतिष्ठित शहर न्यूयॉर्क में हुए इस चुनाव में ममदानी को हराने के लिए विपक्षी दलों ने हर तरह के राजनीतिक हथकंडे अपनाए. लेकिन, 33 वर्षीय ममदानी ने पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की.

लोग ममदानी की जीत की असल वजह न्यूयॉर्क के लोगों से उनके किए वादों को मान रहे हैं. दरअसल, ममदानी ने शहर के लोगों से मुफ्त बस यात्रा का वादा किया, जो केजरीवाल मॉडल जैसा है. अरविंद केजरीवाल ने भी 2019 में मुफ्त बस यात्रा और अन्य मुफ्त सुविधाओं से मतदाताओं को लुभाया था. इसके बाद ही केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए थे.

पूंजीवादी देश अमेरिका के प्रमुख शहर न्यूयॉर्क में समाजवादी योजनाओं का वादा कर ममदानी जीतने में कामयाब हुए. इसी वजह से अब लोग उन्हें न्यूयॉर्क का केजरीवाल कह रहे हैं. ममदानी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वे न्यूयॉर्क में बढ़ती महंगाई और किराये की समस्या को हल करेंगे.

उन्होंने वादा किया कि मेयर बनने पर सभी स्थिर किरायेदारों के लिए किराया फ्रीज कर दिया जाएगा और सस्ते आवास के लिए संसाधनों को प्राथमिकता दी जाएगी. न्यूयॉर्क चुनाव आयोग ने बताया था कि इस बार 7.35 लाख से अधिक लोगों ने समयपूर्व मतदान किया है जो 2021 की तुलना में लगभग चार गुना अधिक था.

न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन, राइडर्स अलायंस के मुताबिक, ममदानी ने जो मुफ्त बस यात्रा के वादे किए हैं, उस योजना पर हर साल 1.2 अरब डॉलर खर्च होंगे और यात्रियों की संख्या में 20-30 फीसद की वृद्धि होगी. ये अनुमान कोरोना महामारी के दौरान न्यूयॉर्क शहर में किए गए किराया-मुक्त बस यात्रा के प्रयोगों पर आधारित हैं.

ममदानी पिछले 100 सालों में न्यूयॉर्क के सबसे युवा, पहले भारतवंशी और पहले मुस्लिम मेयर होंगे. अपनी विक्ट्री स्पीच में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को दिए गए 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' का जिक्र किया. भाषण के बाद वे अपनी पत्नी के साथ 'धूम मचा ले' गाने पर झूमते नजर आए. आयोजन के दौरान मां मीरा नायर ने मंच पर आकर उन्हें गले लगा लिया. इस दौरान पिता महमूद ममदानी भी मौजूद रहे.

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