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भारतीय वायुसेना के लिए क्यों जरूरी है गंगा एक्सप्रेस-वे की हवाई पट्टी?

पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारतीय वायुसेना का शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे के 3.5 किलोमीटर लंबे हिस्से पर ‘लैंड एंड गो’ अभ्यास देश की रक्षा तैयारियों के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है

Ganga Expressway
गंगा एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के फाइटर जेट का अभ्यास
अपडेटेड 5 मई , 2025

पाकिस्तान से तनाव के बीच 2 मई की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे सेना का परिवहन विमान एएन-32 जैसे ही यूपी के शाहजहांपुर में निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे की हवाई पट्टी पर उतरा आसपास रोमांच फैल गया. मौके पर मौजूद लोग “भारत माता की जय” के नारे लगाने लगे. 

इसके बाद सी-130 जे हरक्यूलिस विमान नीचे उतरा, फि‍र जगुआर, सुखोई, मिग-29, राफेल के दो-दो विमान गर्जना करते उतरे. दो घंटे तक लड़ाकू विमान अपने शौर्य का प्रदर्शन करते रहे. इसके बाद रात करीब 9 बजे विमानों की नाइट लैंडिंग शुरू हुई. रात 10 बजे तक लड़ाकू विमान एक्सप्रेस-वे पर लैंडिंग और टेक-आफ करते रहे. 

इस दौरान पूरे एक्सप्रेस-वे के साथ ही आसपास के गांवों में भी बिजली आपूर्ति बंद रही. इस तरह भारतीय वायुसेना का शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे के 3.5 किलोमीटर लंबे हिस्से पर "लैंड एंड गो" अभ्यास देश की रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ. एक्सप्रेस-वे का यह हिस्सा देश की पहली हवाई पट्टी है, जो दिन के उजाले और अंधेरे दोनों समय लड़ाकू विमानों की लैंडिंग की सुविधा प्रदान करने में सक्षम है. लखनऊ-आगरा और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर पिछले आपातकालीन लैंडिंग अभ्यास दिन के समय तक ही सीमित थे. 

इस अभ्यास में राफेल, एसयू-30 एमकेआई, मिराज-2000, मिग-29, जगुआर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस, एएन-32 और एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर जैसे विमान शामिल थे. एक रणनीति के तहत हुए व्यापक अभ्यास में दिन और रात दोनों स्थितियों में कम ऊंचाई वाले पास, लैंडिंग और टेकऑफ़ का आकलन किया गया. इस दौरान गंगा एक्सप्रेस-वे पर सुरक्षा और निगरानी के लिए 250 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. 

गंगा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश का चौथा ऐसा एक्सप्रेस-वे होगा, जिसमें आपातकालीन हवाई पट्टी होगी. इससे पहले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे (उन्नाव), पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (सुल्तानपुर) और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे (इटावा के पास) पर रात में भी हवाई जहाज़ उतारे जा सकते हैं. शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी बताते हैं, "शाहजहांपुर के जलालाबाद क्षेत्र के पीरू गांव के पास स्थित हवाई पट्टी पर भारतीय वायुसेना ने अभ्यास किया है. स्थानीय पुलिस टीमों के साथ-साथ पंचायती राज और पशुपालन विभाग के कर्मियों की मदद से आसपास के लगभग 40 किलोमीटर के इलाके को सैनिटाइज़ किया गया था." पहलगाम में आतंकी घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 अप्रैल को गंगा एक्सप्रेस-वे की हवाई पट्टी का निरीक्षण किया था. 

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे की हवाई प‌ट्टी को लड़ाकू विमानों के लिए तैयार करना सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. मंडल में अब बरेली के साथ वायुसेना के विमानों के लिए दो रनवे हो गए हैं. युद्ध या आपदा के दौरान वायुसेना की हवाई प‌ट्टी क्षतिग्रस्त होने या उपलब्ध न होने की स्थिति में शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग कराई जा सकती है. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार बरेली के त्रिशूल एयरबेस से 80 किमी दूर गंगा एक्सप्रेस-वे के वैकल्पिक रनवे पर विमानों की नाइट लैंडिंग कराकर भारत ने दुश्मन देशों को अपने सामरिक कौशल का परिचय दिया है. 

त्रिशूल एयरबेस से भारत चीन सीमा पर नजर रखी जाती है. ऐसे में गंगा एक्सप्रेस-वे की एयरस्ट्र‍िप से देश की सीमा पर निगरानी के लिए लड़ाकू विमानों को एक आपातकालीन वैकल्प‍िक हवाई पट्टी भी उपलब्ध रहेगी. शाहजहांपुर निवासी और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना बताते हैं, “दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने के लिए अब भारत केवल अपने एयरबेस पर ही निर्भर नहीं है. एक्सप्रेस-वे भी एयरफोर्स की ताकत बनते जा रहे हैं.” 

एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एके गोयल के मुताबिक आमतौर पर वायुसेना के विमानों की लैंडिंग के लिए 3,000 मीटर लंबी हवाई प‌ट्टी की जरूरत होती है. पर गंगा एक्सप्रेस-वे की हवाई प‌ट्टी 3,500 मीटर लंबी है जो वायुसेना के युद्धक विमानों के लिए पूरी तरह से अनुकूल है. रक्षा विशेषाज्ञों के अनुसार वर्ष 1965 और 1971 की जंग में पाकिस्तानी वायुसेना ने भारत के कई हवाई ठिकानों पर बमबारी की थी. पहलगाम में आतंकी हमले के बाद अगर पाकिस्तान से युद्ध जैसी स्थितियां बनीं तो दुश्मन को चकमा देने के लिए देश को वैकल्प‍िक रनवे की जरूरत पड़ेगी. ऐसा इसलिए क्योकि देश के एयरबेस को रनवे को दुश्मन निशाना बना सकते हैं. ऐसे में सिर्फ एयरबेस पर निर्भर रहने के बजाय एक्सप्रेस-वे पर एयरस्ट्रिप वायुसेना के लिए रीढ़ की हड्डी साबित होंगे. वायुसेना देशभर में ऐसे 27 एयर स्ट्रिप की पहचान कर चुका है. 

गंगा एक्सप्रेस-वे की क्वालिटी बेहतर करने के लिए खास तकनीक अपनाई गई थी 

सितंबर 2021 में उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मेरठ और प्रयागराज के बीच 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. शुरुआती सिविल और निर्माण लागत अनुमान 36,230 करोड़ रुपये था. डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर लागू होने वाला यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे है. 594 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ से प्रयागराज तक 12 जिलों को जोड़ेगा और भविष्य में इसे बलिया तक बढ़ाया जाएगा, जिससे यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे बनेगा. 

गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के एसीईओ श्रीहरि प्रताप शाही बताते हैं कि गंगा एक्सप्रेस-वे की ‘राइडिंग क्वॉलिटी’ और ‘कम्फर्ट’ को सुनिश्चित करने के लिए स्विस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. इसके तहत ‘वायब्रेशन टेक्नोलॉजी’ और 7 एक्सेलेरोमीटर सेंसर (4 क्वॉलिटी और 3 कम्फर्ट के लिए) से लैस इनोवा वाहन सभी 6 लेन की जांच कर रहा है. यह वाहन रोड की सतह, कम्फर्ट लेवल और उतार-चढ़ाव का डाटा एकत्र करता है, जिसे ऑनलाइन ग्राफ के रूप में देखा जा सकता है. 

योगी सरकार ने स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख की “ईटीएच यूनिवर्सिटी” और “आरटीडीटी लैबोरेट्रीज एजी” के साथ मिलकर यह तकनीक लागू की है. सेंसर-आधारित डिवाइस और डाटा कलेक्शन उपकरण रोड की गुणवत्ता का रियल-टाइम विश्लेषण करते हैं. इस तकनीक से यह तुरंत पता चल जाता है कि सड़क का कौन सा हिस्सा मानकों पर खरा नहीं उतर रहा. निर्माण के दौरान ही इन कमियों को सुधारने से बाद में मेंटेनेंस की लागत और चुनौतियां कम होंगी. शाही ने बताया कि पहले सड़क निर्माण के बाद क्वॉलिटी की जांच होती थी, जिससे ‘मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट’ को ठीक करना मुश्किल होता था. गंगा एक्सप्रेस-वे पर स्विस तकनीक के जरिए निर्माण के दौरान ही रोड की क्वालिटी और कम्फर्ट की निगरानी हो रही है. सेंसर रोड में उछाल और आराम के स्तर को मापते हैं और जहां जरूरत होती है, वहां तुरंत सुधार किया जाता है. यह तकनीक समय और संसाधनों की बचत करती है. 

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