
अक्टूबर की 28 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वड़ोदरा में विमान बनाने वाली एक फैक्ट्री का उद्घाटन किया. अब यहां टाटा की TASL (टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड) और स्पेन की कंपनी एयर बस मिलकर भारतीय वायु सेना के लिए C-295 विमान बनाएंगी. इस प्लांट के उद्घाटन के मौके पर स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भी मौजूद थे. इन्हीं दोनों नेताओं ने अक्टूबर 2022 में इस फाइनल असेंबली लाइन (FAL) प्लांट की आधारशिला रखी थी. FAL वो जगह होती है जहां विमानों के कलपुर्जों को जोड़कर उन्हें अंतिम रूप दिया जाता है.
बहरहाल, वड़ोदरा स्थित FAL प्लांट देश में पहली निजी फैक्ट्री है, जहां से उड़ान भरने के लिए तैयार सैन्य विमान बनाए जाएंगे. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड यहां 40 विमानों को बनाएगा, जिसमें स्पेन की एयर बस कंपनी मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक्स में उसकी मदद करेगी. जानकारों का मानना है कि टाटा-एयरबस C295 प्रोजेक्ट भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने, रोजगार सृजन करने और भारत को निर्यातक के रूप में स्थापित करने के मामले में एक गेम चेंजर साबित हो सकता है. आइए समझते हैं कि यह भारत के लिए क्यों अहम है?
एवरो-748 की जगह पर C295 विमान
दरअसल, सितंबर 2021 में भारत ने कुल 56 C295-विमान खरीदने पर सहमति बनाई. इसके लिए सरकार ने स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस कंपनी के साथ 21,935 करोड़ रुपये के सौदे पर दस्तखत किए. इन नए विमानों को खरीदने के पीछे उद्देश्य था कि इंडियन एयरफोर्स के उन पुराने एवरो-748 विमानों को बदला जाए, जो 1960 के दशक की शुरुआत में सेवा में आए थे.
इस करार के तहत यह तय हुआ कि एयरबस कंपनी चार साल के भीतर स्पेन के सेविले में अपनी FAL प्लांट से 'फ्लाई-अवे' (उड़ने के लिए तैयार) स्थिति में पहले 16 विमान भारत भेजेगी. बाकी बचे 40 विमानों का निर्माण दोनों कंपनियों के बीच औद्योगिक साझेदारी के तहत भारत में TASL द्वारा किया जाएगा. उन 16 विमानों को सितंबर 2023 और अगस्त 2025 के बीच भारत भेजे जाने की योजना थी, जिनमें से पांच C295 विमान भारतीय वायुसेना को मिल चुके हैं.
इन पांच विमानों में से पहला सितंबर 2023 में भारत आया. वहीं वड़ोदरा FAL प्लांट की बात करें तो यहां से निर्मित पहला स्वदेशी विमान सितंबर 2026 में सामने आएगा. बाकी बचे 39 C295 विमानों की डिलीवरी अगस्त 2031 तक होने की उम्मीद है.

C295 विमान की क्या है खासियत
दरअसल, C295MW एक मालवाहक विमान है जिसकी क्षमता 5 से 10 टन के बीच है. इसकी अधिकतम गति 480 किमी. प्रति घंटा है. इसमें सैनिकों और कार्गो की त्वरित प्रतिक्रिया और पैरा-ड्रॉपिंग के लिए एक रियर रैंप डोर है. इसके अलावा, इसमें अपेक्षाकृत कम तैयार सतहों से छोटी दूरी की उड़ान और लैंडिंग समेत कुछ अन्य विशेषताएं भी हैं.
एयरबस द्वारा उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, विमान का केबिन आयाम 41 फीट और आठ इंच है. कंपनी का दावा है कि इस विमान में अपनी श्रेणी में सबसे लंबा बिना अवरोध वाला केबिन है और इसमें 71 सीटें हो सकती हैं. कंपनी का ये भी दावा है कि C295 अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में रियर रैंप के माध्यम से सीधे ऑफ-लोडिंग के साथ अधिक कार्गो ले जा सकता है.
एक युद्धक मालवाहक विमान के रूप में C295 मुख्य हवाई अड्डों से देश के अग्रिम परिचालन हवाई अड्डों तक सैनिकों और रसद आपूर्ति ले जा सकता है. इसके अलावा यह छोटी, बिना तैयारी वाली हवाई पट्टियों पर भी उड़ान भर सकता है क्योंकि यह शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग (STOL) में सक्षम है. एयरबस का कहना है कि यह सिर्फ 2,200 फीट लंबी छोटी हवाई पट्टियों से उड़ान भर सकता है और सामरिक मिशनों के लिए 110 नॉट की कम गति से उड़ान भरकर निम्न-स्तरीय संचालन कर सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सभी 56 विमानों में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित स्वदेशी 'इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट' लगाया जाएगा. यह प्रणाली युद्ध क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक प्रभुत्व और उत्तरजीविता (Survival) सुनिश्चित करने के लिये आधुनिक रडार और जहाज-रोधी मिसाइलों के खिलाफ रक्षा की एक इलेक्ट्रॉनिक परत प्रदान करेगी.
पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार के मुताबिक, विमान में स्वदेशी सामग्री भारत में अब तक की सबसे अधिक होगी. और विमान बनाने के लिए एयरबस द्वारा स्पेन में किया जाने वाला 96 फीसद काम वड़ोदरा की मैन्यूफैक्चरिंग इकाई में किया जाएगा.
भारत के लिए कई मायनों में गेमचेंजर
पिछले साल एक्स पर अपनी एक पोस्ट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि C295 के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की मीडियम लिफ्ट सामरिक क्षमता में वृद्धि होगी. मौजूदा समय में वायुसेना के पास सीमित संख्या में सैनिकों और रसद को कम दूरी पर ले जाने के लिए सोवियत मूल के एएन-32 विमानों का बेड़ा है. हालांकि, इन विमानों को 1980 के दशक में शामिल किया गया था और कई खराब होने के कारण चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने के कगार पर हैं. C295 इस कमी को पूरा करने में मदद करेगा.
टाटा-एयरबस C295 प्रोजेक्ट से रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ने की उम्मीद है. वड़ोदरा में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट के शुरू होने से भारत के एयरोस्पेस उद्योग में विविधता आने आएगी, जो परंपरागत रूप से बेंगलुरु, हैदराबाद और बेलगाम जैसे दक्षिणी क्षेत्रों में केंद्रित है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे विभिन्न स्थानों पर 3,000 से अधिक नौकरियां सीधे तौर पर पैदा होंगी और सप्लाई चेन में 15,000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी.
प्रत्येक विमान की असेंबली के लिए टीएएसएल और उसके आपूर्तिकर्ताओं को 10 लाख से अधिक घंटों के श्रम की जरूरत होगी, जिससे कुशल कार्यबल को बढ़ावा मिलेगा. MyGovIndia के X हैंडल के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक स्टिक होल्डिंग डिपो और आगरा में वायु सेना स्टेशन में एक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना भी शामिल है. इससे भारत के उभरते नागरिक और सैन्य विमानन उद्योग को मदद मिलेगी, जिस पर बोइंग, एयरबस, एटीआर जैसी विदेशी कंपनियों और सरकारी क्षेत्र के निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का प्रभुत्व है.
यह प्रोजेक्ट न केवल भारत की घरेलू जरूरतों के लिए अहम है, बल्कि भविष्य में निर्यात के अवसरों के लिए भी उम्मीद के अनुरूप है. प्रधानमंत्री मोदी ने वड़ोदरा में कहा कि टाटा-एयरबस विनिर्माण सुविधा न केवल भारत की विमान निर्यात की महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाएगी, बल्कि देश के पहले नागरिक विमान के प्रोडक्शन में भी योगदान देगी.
भारतीय वायुसेना को 56 विमानों की आपूर्ति पूरी होने के बाद एयरबस डिफेंस एंड स्पेस को भारत में निर्मित विमानों को सिविल ऑपरेटरों को बेचने और भारत सरकार द्वारा स्वीकृत देशों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी. यह 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' पहल के अनुरूप है, जो यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों के प्रभुत्व वाले वैश्विक एयरोस्पेस बाजार में भारत को एक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है.