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भारतीय माता-पिता क्यों छोड़ रहे अपने बच्चों को अमेरिकी बॉर्डर पर?

वित्त वर्ष-2024 में अमेरिका में 500 से अधिक भारतीय नाबालिगों को पकड़ा गया, जिनके साथ कोई भी नहीं था

सांकेतिक तस्वीर/एआई
सांकेतिक तस्वीर/एआई
अपडेटेड 5 मई , 2025

भारत में माता-पिता और उनके बच्चों के बीच जिस लगाव की दुहाई दी जाती है, शायद अमेरिकी बॉर्डर पर जाते-जाते यह 'सच' अपना रूप थोड़ा बदल लेता है. इस बात का प्रमाण ये कि उन हजारों माता-पिताओं में कई ऐसे भारतीय अभिभावक भी शामिल हैं, जो अपने बच्चों को मेक्सिको-अमेरिका या कनाडा-अमेरिका बॉर्डर पर ले जाते हैं और उन्हें वहीं छोड़ देते हैं.

सवाल है क्यों और किसलिए? जवाब ज्यादा मुश्किल नहीं है - बच्चों और खुद के लिए अमेरिकी नागरिकता की उम्मीद में. वित्त वर्ष-2024 में अमेरिका में 500 से अधिक भारतीय नाबालिगों को पकड़ा गया, जिनके साथ कोई भी नहीं था. लेकिन अब ट्रंप प्रशासन उन 'अकेले बच्चों' पर सख्ती कर रहा है जिनके माता-पिता उन्हें अमेरिका की सीमा पर छोड़ जाते हैं.

आंकड़ों की मानें तो अमेरिकी नागरिकता हासिल करने के लिए ऐसे जुगाड़ लगाना कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन बच्चों से जुड़े जोखिमों के कारण इसे समझना मुश्किल है. कई अभिभावक, जिनमें भारतीय भी शामिल हैं, अपने 12-17 वर्ष की आयु के बच्चों को और कभी-कभी छह साल के बच्चों को भी सीमा पर छोड़ देते हैं.

कभी-कभी बच्चों के पास सिर्फ एक पर्ची होती है, जिस पर उनके माता-पिता का संपर्क और नाम लिखा होता है. ऐसे मामलों में माता-पिता पहले से ही अवैध रूप से अमेरिका में मौजूद होते हैं और फिर नाबालिग को बुलाते हैं.

अपने बच्चों को अमेरिकी सीमाओं पर छोड़ने वाले भारतीयों की क्या रहती है उम्मीद

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, आव्रजन (इमिग्रेशन) विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह कुछ भारतीय परिवारों द्वारा शरण पाने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए अपनाई गई एक सोची-समझी रणनीति को बताता है.

कई मामलों में, बच्चों को अकेले या असंबद्ध समूहों के साथ भेजा जाता है, और फिर उन्हें अमेरिकी जांच चौकियों के पास छोड़ दिया जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार हिरासत में आने के बाद, उम्मीद होती है कि बच्चों की मौजूदगी से माता-पिता को बाद में प्रवेश पाने में मदद मिलेगी, अक्सर वे परिवार के पुनर्मिलन के आधार पर शरण के लिए आवेदन करते हैं.

अवैध इमिग्रेशन की कार्यप्रणाली से परिचित एक व्यक्ति ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अवैध तरीके से रह रहे माता-पिता अक्सर बच्चों का इस्तेमाल अमेरिका में अपने प्रवास को वैध बनाने के लिए करते हैं.

उन्होंने बताया, "आमतौर पर माता-पिता पहले अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने में सफल हो जाते हैं. बाद में, वे अपने बच्चों को अन्य अवैध प्रवासियों के साथ यात्रा करने की व्यवस्था करते हैं. जब बच्चे सीमा पर पकड़े जाते हैं, तो परिवार शरण के लिए आवेदन करते हैं - और अक्सर उन्हें मानवीय आधार पर रहने की अनुमति मिल जाती है."

एक अमेरिकी सूत्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इनमें से कई बच्चे, हालांकि औपचारिक रूप से "परित्यक्त" (छोड़े गए) के रूप में लेबल नहीं किए जाते, लेकिन जुवेनाइल कोर्ट के फैसलों के बाद छह से आठ महीनों के भीतर ग्रीन कार्ड हासिल करने की उच्च संभावना रखते हैं.

सूत्र ने आगे समझाया, "एक बार कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ने और बच्चों को ग्रीन कार्ड मिलने के बाद अमेरिका में उनके रिश्तेदार आमतौर पर गोद लेने की प्रक्रिया शुरू करते हैं."

2022 से 2025 तक 1656 अकेले भारतीय नाबालिग पकड़े गए

द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग अब उन बच्चों की "वेलफेयर चेकिंग" भी कर रहा है जो अकेले अमेरिका पहुंचे हैं. आलोचकों ने इसे 'बैकडोर फैमिली सेपरेशन' यानी 'पिछले दरवाजे से परिवार को अलग करना' कहा है.

इमिग्रेशन के संदर्भ में, खासकर असहाय नाबालिगों (Unaccompanied Minors) के मामले में, वेलफेयर चेक का मतलब है कि आंतरिक इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) या अन्य संघीय एजेंसियां उन बच्चों की स्थिति की जांच करती हैं जो अकेले अमेरिका में प्रवेश करते हैं. इसका उद्देश्य यह तय करना है कि बच्चे सुरक्षित हैं, उनकी तस्करी या शोषण नहीं हो रहा है और वे उचित देखभाल में हैं.

बहरहाल, यह बात तब सामने आई जब पता चला कि बिना किसी सुरक्षा के नाबालिग, जिनमें भारतीय भी शामिल हैं, अमेरिकी सीमा में प्रवेश कर रहे हैं. अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (यूएससीबीपी) के आंकड़ों से भी यही बात सामने आई है.

अक्टूबर 2024 से 25 फरवरी तक 77 भारतीय नाबालिगों को अमेरिकी सीमा पर पकड़ा गया. इन बच्चों को अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर या कनाडा के रास्ते "रणनीतिक रूप से छोड़ दिया गया" था.

डेटा से पता चलता है कि 77 बच्चों में से 53 को मैक्सिको के साथ दक्षिणी भूमि सीमा पर पकड़ा गया और 22 को कनाडा से सीमा पार करते समय पकड़ा गया. उन्हें अमेरिका के भीतर ही रोका गया. 2022 से 2025 तक कम से कम 1,656 भारतीय नाबालिग अकेले अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए पकड़े गए हैं.

वित्त वर्ष-2024 में 517 अप्रवासी भारतीय बच्चों को अमेरिका में अकेले पकड़ा गया. वित्त वर्ष-2023 में सबसे ज्यादा 730 बच्चों ने ऐसा करने की कोशिश की. कोरोनावायरस महामारी के दौरान यात्रा प्रतिबंधों के कारण तुलनात्मक रूप से कम संख्या देखी गई, 2020 में 219 और 2021 में 237 नाबालिग अवैध एंट्री करते पाए गए.

होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की अप्रैल 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि अमेरिका में 2.2 लाख (220,000) बिना दस्तावेज के भारतीय रह रहे हैं. जनवरी 2025 से अब तक 332 से ज्यादा भारतीयों को वतन निर्वासित किया जा चुका है.

असहाय आप्रवासी बच्चों पर ICE का कड़ा रुख

नेशनल इमिग्रेशन प्रोजेक्ट एडवोकेसी ग्रुप द्वारा प्राप्त और बाद में द गार्जियन के साथ साझा किए गए एक ICE दस्तावेज से पता चलता है कि ICE आव्रजन प्रवर्तन और संभावित आपराधिक मुकदमों के लिए अकेले अप्रवासी बच्चों और उनके अमेरिका स्थित प्रायोजकों को निशाना बना रहा है.

असहाय नाबालिगों के लिए कानूनी सेवाएं काफी हद तक कम कर दी गई हैं, और अदालत के आदेशों के बावजूद फंडिंग में देरी बनी हुई है. इस बीच, असहाय आप्रवासी बच्चों की देखरेख करने वाली संघीय एजेंसी ने ICE के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करना शुरू कर दिया है.  

नेशनल इमिग्रेशन प्रोजेक्ट के कानूनी संसाधन और प्रशिक्षण निदेशक मिशेल मेंडेज ने कहा कि आइस दस्तावेज में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि "यह केवल बच्चों पर नजर रखने, यह सुनिश्चित करने के बारे में नहीं है कि वे अपने बारे में बता सकें और उनका शोषण न हो रहा हो. यह दिखाता है कि उनके अन्य लक्ष्य हैं, और लक्ष्य बच्चे या प्रायोजक का अपराधीकरण करना है. यह पिछले दरवाजे से परिवारों का अलगाव है."

ICE दस्तावेज से पता चलता है कि यह सत्यापित करने के अलावा कि बच्चों की न तो तस्करी की गई है और न ही उनका शोषण किया गया है, अधिकारी यह भी पता लगाने के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं कि क्या बच्चे "भागने का जोखिम" या "पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा" हैं.

इमिग्रेशन एक्सपर्ट और वकीलों का कहना है कि असहाय नाबालिगों को ट्रैक करने के लिए ICE द्वारा इस तरह की "फैक्ट-फाइंडिंग" कार्रवाइयां अभी शुरुआती चरण में हैं.  

वेलफेयर-चेक में क्या हो रहा है?

अप्रैल की शुरुआत में ICE अधिकारियों ने वाशिंगटन में एक 16 वर्षीय लड़की पर तथाकथित "वेलफेयर-चेक" की. इस विजिट के दौरान, जिसकी रिपोर्ट सबसे पहले स्पोक्समैन-रिव्यू द्वारा दी गई थी, इस डरी हुई नाबालिग लड़की ने मैन्जनिटा हाउस में अप्रवासी कानूनी सहायता के निदेशक सैमुअल स्मिथ से संपर्क किया, जो उसके आव्रजन मामले में उसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

स्मिथ ने कहा, "उसने जो संदेश भेजे और फोन पर उसकी आवाज में डर था. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है और वह डरी हुई थी कि उसकी जिंदगी उलट-पुलट होने वाली है."

वाशिंगटन पोस्ट ने भी बताया कि अन्य संघीय एजेंसियां ​​भी इसी प्रकार की 'वेलफेयर-चेक' कर रही हैं और ICE के साथ जानकारी साझा कर रही हैं.

स्मिथ ने आगे कहा, "मैं सार्वजनिक रूप से जाहिर की गई मंशा को समझता हूं, लेकिन मैं इस पर पूरी तरह भरोसा नहीं करता हूं."

द गार्जियन को हासिल ICE दस्तावेज के मुताबिक, अधिकारियों से कहा गया है कि "वे याद रखें कि जहां संभव हो, उन्हें निष्कासन के अंतिम आदेशों को लागू करना है और अपराध करने वाले यूएसी (अकेले विदेशी बच्चों) के लिए आपराधिक विकल्पों का अनुसरण करना है."

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