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DeepSeek और OpenAI की होड़ में वित्त मंत्रालय क्यों अपने अधिकारियों को इनका इस्तेमाल करने से मना कर रहा है?

29 जनवरी को वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों के लिए एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें DeepSeek और OpenAI जैसे AI टूल्स का इस्तेमाल न करने की सलाह दी गई है

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 6 फ़रवरी , 2025

'नव युग का जादू', इसी शीर्षक के साथ चैटजीपीटी ने एक गीत लिखने की 'कोशिश' की जब उसे हिंदी में एक गाना लिखने के लिए कमांड दिया गया. उसके लिखे गाने के बोल थे - दूर क्षितिज पर नई रौशनी/ज्ञान की बहती है यहां नदियां/शब्दों में बसते हैं विचार/ओपनएआई का है ये संसार. शीर्षक उसने खुद चुना और क्या खूब चुना!

बहरहाल, चैटजीपीटी हो या डीपसीक या फिर गूगल जेमिनी, ये कुछ लोकप्रिय एआई टूल्स सिर्फ गाने ही नहीं लिख रहे बल्कि इंसानों की कई कामों में मदद कर रहे हैं. निजी से लेकर सरकारी महकमे तक धड़ल्ले से इनका इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन अब वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को इनके इस्तेमाल से बचने की सलाह दी है.

29 जनवरी को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस हवाले से एक एडवाइजरी जारी की थी. इसमें कर्मचारियों से इन एआई टूल्स के इस्तेमाल से 'सख्ती से बचने' की सलाह दी गई है. मंत्रालय का मानना है कि ये एआई टूल्स भारत सरकार के कॉन्फिडेंशियल डॉक्यूमेंट और डेटा के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.

वित्त मंत्रालय के उस परामर्श में लिखा है, "यह पाया गया है कि ऑफिस के कंप्यूटरों और उपकरणों में एआई टूल्स और एआई ऐप (जैसे चैटजीपीटी, डीपसीक आदि) सरकारी डेटा और दस्तावेजों की गोपनीयता के लिए खतरा पैदा करते हैं. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि ऑफिशियल गैजेट्स में एआई टूल्स/एआई ऐप के इस्तेमाल से सख्ती से बचा जाए. इसे सभी कर्मचारियों के ध्यान में लाया जाना चाहिए."

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी

दुनिया भर के कई और देशों ने भी डेटा सेफ्टी जोखिमों का हवाला देते हुए 'डीपसीक' के इस्तेमाल पर इसी तरह का प्रतिबंध या चेतावनी जारी की है. इनमें ऑस्ट्रेलिया और इटली जैसे देश तो शामिल हैं ही, इसी हफ्ते की शुरुआत में ताइवान ने भी सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपनी सभी सरकारी एजेंसियों और अहम बुनियादी ढांचा सेवा प्रदाताओं को इस चीनी एआई स्टार्टअप डीपसीक की तकनीक का इस्तेमाल करने से रोक दिया था.

ताइवान के डिजिटल मंत्रालय ने कहा कि डीपसीक चीन द्वारा विकसित है, और इसके चीनी मूल को देखते हुए किसी भी ऑफिशियल या गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल जिज्ञासा शांत करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "यह एक ऐसा प्रोडक्ट है जो देश की इन्फॉर्मेशन सेफ्टी को खतरे में डालता है."

उधर, अमेरिकी कांग्रेस ऑफिस में भी डीपसीक इंस्टॉल करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है. ब्रिटेन ने भी अपने नागरिकों और व्यवसायों को इसी तरह की चेतावनी जारी की है. यह छिपी बात नहीं है कि चीन का भारत के साथ भी कोई बहुत अच्छा संबंध नहीं है. हाल में ऐसी खबरें भी आईं जब कहा गया कि देश के सरकारी संस्थानों में जिन चीनी सीसीटीवी कैमरों को इंस्टॉल किया गया है, चीन उनका कभी भी भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है.

डीपसीक ने हाल ही में पॉपुलैरिटी हासिल की है और इस स्टार्टअप ने किफायती कीमतों की वजह से इंडस्ट्री में खलबली मचा दी है. चीन का यह स्टार्टअप करीब 20 महीने पहले शुरू हुआ. 20 जनवरी 2025 को डीपसीक R1 चैटबॉट अचानक तेजी से लोकप्रिय हुआ और उसने पुरानी एआई कंपनियों के कई रिकॉर्ड्स को तोड़ दिया.

बहरहाल, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को एक ऐसे समय में परामर्श जारी किया जब ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन भारत आने वाले थे. वे पांच फरवरी को भारत आए और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की. ऑल्टमैन ऐसे समय में भारत दौरे पर आए हैं, जब ओपनएआई के चैटजीपीटी को चीनी कंपनी डीपसीक ने अचानक बड़ी चुनौती दे दी है.

डीपसीक अपने कम लागत वाले एआई मॉडल R1 की वजह से दुनियाभर में चर्चा में बना हुआ है. इसे 60 लाख अमेरिकी डॉलर से भी कम लागत में बनाया गया है और चैटजीपीटी जैसे लोकप्रिय मॉडलों की तुलना में इसकी 'कंप्यूटिंग पावर' बहुत कम है. डीपसीक, चैटजीपीटी को पीछे छोड़ते हुए एप्पल के ऐप स्टोर पर टॉप रैंक वाला मुफ्त ऐप भी बन गया है.

5 फरवरी को अश्विनी वैष्णव के साथ बातचीत के दौरान ऑल्टमैन ने स्टैक, चिप्स, मॉडल और इनक्रेडिबल एप्लिकेशन्स के सभी लेवल पर एआई के निर्माण में भारत की कोशिशों की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि भारत एआई और ओपनएआई के लिए एक अहम बाजार है और भारत एआई लीडर बन सकता है.

सैम ऑल्टमैन का यह बयान उनके साल 2023 में दिए गए उस बयान से उलट है जब उन्होंने भारत की क्षमताओं को कम करके आंका था. इसके लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई थी. ऑल्टमैन ने तब कहा था कि चैटजीपीटी जैसे फाउंडेशनल मॉडल बनाने वाले ओपनएआई के साथ मुकाबला करना भारत के लिए निराशानजनक होगा.

लेकिन अब डीपसीक से तगड़ी चुनौती मिलने के बाद ऑल्टमैन का सुर काफी बदल गया है. आईटी मंत्री से बातचीत के दौरान ऑल्टमैन ने कहा, "भारत सामान्य रूप से एआई के लिए एक अहम बाजार है, खासकर ओपनएआई के लिए यह हमारा दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. पिछले एक साल में यहां ओपनएआई के यूजर्स की संख्या तीन गुना हुई है."

ऑल्टमैन ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत को एआई क्रांति के अगुआ देशों में से एक होना चाहिए. यह देखना वाकई आश्चर्यजनक है कि भारत ने क्या किया है...टेक्नोलॉजी को अपनाया है और इसके आधार पर कई सारी चीजें बना रहा है." उन्होंने भारत को एआई के क्षेत्र में पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी.

ऑल्टमैन के भारत दौरे को इस लिहाज से भी देखा जा सकता है कि कुछ दिन पहले आईटी मंत्री वैष्णव ने डीपसीक को भारतीय सर्वर पर होस्ट करने की बात कही थी. 30 जनवरी को अश्विनी वैष्णव ने 'द हिंदू' को दिए एक साक्षात्कार में बताया था कि डीपसीक को जल्द ही भारतीय सर्वर पर होस्ट किया जाएगा.

वैष्णव ने कहा है, "डीपसीक एक ओपन सोर्स मॉडल है और हम बहुत जल्द ही भारतीय सर्वर पर डीपसीक को होस्ट करने जा रहे हैं, जिस तरह से हमने लामा को होस्ट किया है ताकि डेटा गोपनीयता मापदंडों को एड्रेस किया जा सके. हम जल्द ही ऐसा करेंगे. टीम ने पहले ही वह काम कर लिया है. और हम जल्द ही भारतीय सर्वर पर ओपन सोर्स मॉडल होस्ट करेंगे. इससे गोपनीयता से जुड़ी चिंताओं का समाधान होगा."

बेशक, एआई तकनीक की दुनिया में हर रोज तरक्की से इंसानों का काम आसान होता जा रहा है लेकिन डेटा सेफ्टी और निजता ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो इन एडवांस्ड तकनीकों के साथ-साथ और भी अहम होते जा रहे हैं. ऐसे में अगर सरकार कुछ सख्त निर्देश जारी कर रही है तो उसे जरूर ध्यान में रखा जाना चाहिए.

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