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आखिर रमेश बिधूड़ी में ऐसा क्या है कि बार-बार फजीहत कराने के बावजूद BJP उनसे किनारा नहीं कर पाती?

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के सामने कालकाजी से बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी आप प्रत्याशी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के बारे में विवादित बयान देकर चर्चा में आए थे

बीजेपी नेता और दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कालकाजी सीट से पार्टी के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी. (Photo: X/@BJP4Delhi)
बीजेपी नेता और दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कालकाजी सीट से पार्टी के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी. (Photo: X/@BJP4Delhi)
अपडेटेड 10 जनवरी , 2025

जनवरी की 9 तारीख को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की तैयारियों को लेकर बैठक की. इसमें प्रदेश स्तर के प्रमुख नेता और चुनाव प्रबंधन में लगे पार्टी के केंद्रीय स्तर के नेता भी शामिल हुए. इस बैठक में नड्डा ने चुनाव को लेकर चल रही तैयारियों का जायजा लिया.

साथ ही आने वाले दिनों में कैसे आगे बढ़ना है, इस बारे में पार्टी नेताओं के साथ बात की. बैठक में शामिल दिल्ली प्रदेश भाजपा के एक नेता के मुताबिक इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिना किसी का नाम लिए कुछ नसीहतें भी दीं. इनमें एक नसीहत यह थी कि दूसरे दलों की महिला नेताओं के बारे में अनावश्यक टिप्पणी से हमारे नेताओं को बचना चाहिए.

उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि ऐसा करने से खराब संदेश जाता है और पार्टी अनावश्यक तौर पर बचाव की मुद्रा में आने को मजबूर हो जाती है. बैठक में शामिल नेताओं में आपसी बातचीत यही होती रही कि जेपी नड्डा ने यह बात पार्टी के पूर्व सांसद और कालकाजी से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी के संदर्भ में दी है. कालकाजी से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद रमेश बिधूड़ी ने दो विवादास्पद बयान दिए.

एक बयान में उन्होंने आतिशी के बारे में कहा कि उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए अपने पिता को बदल लिया. बिधूड़ी ने यह बयान आतिशी मार्लेना से आतिशी सिंह नाम बदले जाने के संदर्भ में दिया था. बिधूड़ी ने अपने दूसरे विवादास्पद बयान में सड़कों की तुलना कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के गाल से की थी. आतिशी और प्रियंका गांधी दोनों ने बिधूड़ी के बयान पर कड़ा प्रतिकार किया और इन दोनों नेताओं की पार्टियों के नेता भी बिधूड़ी को लेकर हमलावार रुख अपनाए हुए हैं.

दिल्ली की एक रैली में पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच में रमेश बिधूड़ी
दिल्ली की एक रैली में पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच में रमेश बिधूड़ी

दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल बिधूड़ी के बयान को लगातार मुद्दा बना रहे हैं. वे अपनी हर सभा में बिधूड़ी के बयान के बहाने भाजपा पर महिला विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं. इसी तरह से कांग्रेसी नेता भी इन बयानों के आधार पर भाजपा को महिलाओं का विरोधी बताने की कोशिश कर रहे हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है कि बिधूड़ी के बयानों की वजह से भाजपा को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. लोकसभा चुनावों से पहले संसद में रमेश बिधूड़ी ने बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली को आपत्तिजनक भाषा में काफी भला-बुरा कहा था.

जब बिधूड़ी के बयानों की हर तरफ आलोचना हुई और पार्टी के बड़े नेताओं की नाराजगी की बात उन तक पहुंची तब जाकर उन्होंने दानिश अली से अपने बयान के लिए माफी मांगी. 2024 के लोकसभा चुनाव में रमेश बिधूड़ी का टिकट काटे जाने के पीछे की एक वजह के तौर पर दानिश अली के खिलाफ दिए गए उनके असंसदीय बयान को भी एक वजह माना गया.

सांसद का टिकट नहीं मिलने के बावजूद बिधूड़ी हाशिये पर नहीं गए, बल्कि पार्टी के सांगठनिक कामों में वे लगातार खासे सक्रिय दिखे. न सिर्फ दिल्ली में बल्कि दिल्ली से बाहर भी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करते दिखे. दानिश अली के खिलाफ बयान देने के बावजूद राजस्थान विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टोंक जिले का चुनाव प्रभारी बनाया.

हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भी रमेश बिधूड़ी सक्रिय दिखे. दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ टिकट देकर भाजपा ने उनकी मुख्यधारा की राजनीति में वापसी करा दी.

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर रमेश बिधूड़ी में ऐसा क्या है कि पार्टी की इतनी फजीहत कराने के बावजूद वे पार्टी के लिए प्रासंगिक बने रहते हैं? दिल्ली प्रदेश की राजनीति में मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, विजय कुमार मल्होत्रा, जगदीश मुखी, हर्षवर्धन जैसे नेताओं के बाद की जो पीढ़ी मजबूत हुई है, उसमें रमेश बिधूड़ी एक प्रमुख चेहरा रहे हैं.

2013 में जब विधानसभा चुनाव हो रहा था कि और शीला दीक्षित के मुकाबले पार्टी में किसी नए चेहरे को आजमाने की बात चल रही थी तो उस वक्त भी भाजपा का एक खेमा रमेश बिधूड़ी को आगे करने की वकालत कर रहा था.

दिल्ली के तुगलाकाबाद विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे रमेश बिधूड़ी ने 2013 आते-आते भाजपा के गुर्जर चेहरे के तौर पर प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान बना ली थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले बिधूड़ी बाद में अखिल भारतीय वि​द्यार्थी परिषद में गए.

भाजपा संगठन में प्रदेश स्तर पर वे सचिव और महासचिव भी रहे हैं. 2013 के विधानसभा चुनावों के लिए जो लोग उन्हें 'सीएम मटिरियल' के तौर पर देख रहे थे, उन्हीं लोगों की मदद से 2014 में बिधूड़ी को दक्षिणी दिल्ली से भाजपा का लोकसभा टिकट मिला और बिधूड़ी संसद की निचली सदन में पहुंच गए. 2019 में दूसरी बार वे सांसद बने, लेकिन 2024 में उनका टिकट पार्टी ने काट दिया.

कालका जी विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार करते रमेश बिधूड़ी
कालका जी विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार करते रमेश बिधूड़ी

बिधूड़ी की मुख्यधारा में वापसी की पृष्ठभूमि के बारे में प्रदेश भाजपा के एक नेता बताते हैं, ''2025 के विधानसभा चुनावों को लेकर जब पार्टी में कुछ महीने पहले मंथन शुरू हुआ तो यह बात समझ में आई कि भाजपा और आप के वोट प्रतिशत में जो तकरीबन 16 प्रतिशत का अंतर है, उसे कम करके अगर भाजपा को जितना है तो सोशल इंजीनियरिंग के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा. पार्टी का अनुमान है कि दिल्ली में 8 से 10 प्रतिशत गुर्जर आबादी है. ऐसे में इस बात पर सहमति बनी कि अगर बिधूड़ी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो यह आबादी पार्टी के साथ जुड़ सकती है.''

वे आगे कहते हैं, ''यह तर्क दिया कि ग्रामीण दिल्ली में तकरीबन 70 गांव ऐसे हैं, जहां गुर्जर समाज के लोगों का प्रभुत्व है. बदरपुर, तुगलकाबाद, संगम विहार, घोंडा, गोकलपुर, ओखला और करावल नगर जैसे विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां गुर्जर वोट निर्णायक साबित होता है.'' भाजपा यह उम्मीद लगाए बैठी है कि आप के साथ कड़े मुकाबले वाले विधानसभा चुनाव में रमेश बिधूड़ी इन विधानसभा क्षेत्रों में कमल खिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं.

हालांकि, बिधूड़ी के नए विवादास्पद बयानों के बाद भाजपा के अंदर एक बात यह भी चलने लगी है कि उन्हें टिकट देने से जो फायदे की उम्मीद थी, उससे अधिक नुकसान उनके 'महिला विरोधी' बयानों की वजह से हो सकता है. एक केंद्रीय मंत्री के आवास पर दिल्ली भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं की चुनाव प्रबंधन से संबंधित एक बैठक में उन सारे मुद्दों पर बातचीत होनी थी, जिनसे भाजपा महिलाओं को अपने पक्ष में ला सके.

इस बैठक में भी बिधूड़ी के बयानों से होने वाले नुकसान को लेकर बातचीत हुई और प्रदेश स्तर के कुछ नेताओं ने इस केंद्रीय मंत्री के सामने यह भी कहा कि 'शीर्ष नेतृत्व' को बिधूड़ी के टिकट को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए.

हालांकि, कुछ नेताओं से बात करने के बाद इसकी संभावना न के बराबर दिख रही है कि बिधूड़ी के टिकट पर पुनर्विचार किया जाएगा. भाजपा महिलाओं को लेकर अलग रणनीति इसलिए तैयार करने में लगी है कि आप सरकार पहले महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और अब प्रस्तावित मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत 2,100 रुपये प्रति महीने की आर्थिक मदद का वादा करके एक अलग महिला वोट बैंक विकसित करने की कोशिश कर रही है. आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने को भी आप की उसी कोशिश के तौर पर देखा गया.

प्रदेश भाजपा के एक नेता कहते हैं, ''हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने व्यक्तिगत तौर पर रमेश बिधूड़ी से बात करके उनके बयानों के लिए उनसे नाराजगी जाहिर की है. जहां तक मुझे पता है कि नड्डा से फटकार खाने के बाद ही बिधूड़ी ने ट्विट करके आतिशी और प्रियंका गांधी के खिलाफ दिए गए बयानों पर माफी मांगी.''

क्या बिधूड़ी पर कोई और कार्रवाई की संभावना है? जवाब में वे कहते हैं, ''टिकट वापस लेने का तो सवाल ही नहीं उठता. दो बैठकों में कुछ नेताओं ने यह सुझाव दिया था कि कालकाजी में आप की उम्मीदवार आतिशी हैं और कांग्रेस की उम्मीदवार अलका लांबा, दोनों महिलाएं हैं, इसलिए बिधूड़ी को किसी और सीट पर भेज दिया जाए और कालकाजी से पूर्व केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी या किसी अन्य महिला उम्मीदवार को उतारा जाए. लेकिन ऐसा लग रहा है कि शीर्ष नेतृत्व इस बात के लिए तैयार नहीं है. बिधूड़ी को साफ तौर पर कह दिया गया है कि अब ऐसे बयान नहीं आने चाहिए.''

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