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क्या है 'पीएम श्री स्कीम', जिसे लागू न करने की वजह से केंद्र रोक रहा है राज्यों की फंडिंग?

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने तीन गैर-बीजेपी शासित राज्यों - दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल में समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत फंडिंग देना बंद कर दिया है

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
अपडेटेड 18 जुलाई , 2024

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने तीन गैर-बीजेपी शासित राज्यों - दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल में समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत फंडिंग देना बंद कर दिया है. कहा जा रहा है कि ये तीनों राज्य, केंद्र सरकार की 'पीएम श्री' योजना में हिस्सा लेने के इच्छुक नहीं हैं, और यही वजह है इनकी फंडिंग रोकी गई है.

इन तीनों राज्यों ने अपनी इस मनाही के पीछे अलग-अलग वजहें गिनाई हैं. शुरू में बिहार, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा जैसे राज्य भी पीएम श्री योजना से दूरी बनाए हुए थे, लेकिन इस साल मार्च में उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति दे दी. लेकिन दिल्ली, पंजाब और बंगाल अभी तक इसके लिए तैयार नहीं हैं.

'पीएम श्री' या कहिए 'प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया' एक केंद्रीय योजना है, जिसे साल 2022 में शुरू किया गया था. अगले पांच सालों (2026-27 तक) चलने वाली इस योजना के लिए कुल 27,360 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था. इसमें से 60 फीसद हिस्सा (18,128 करोड़ रुपए) केंद्र सरकार को वहन करना था जबकि बाकी 40 फीसद खर्च राज्य सरकारों के जिम्मे था.

इस योजना का उद्देश्य था - कम से कम 14,500 सरकारी स्कूलों को एक मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करना, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के मुताबिक नवीनतम तकनीक, स्मार्ट क्लास और मॉडर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी सुविधाओं से लैस हों. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शिक्षा मंत्रालय के साथ एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर करके इसमें अपनी भागीदारी की पुष्टि करनी थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरू में दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल के साथ-साथ तमिलनाडु, केरल ने भी इस योजना में हिस्सा लेने में अरुचि दिखाई, लेकिन बाद में तमिलनाडु और केरल इसके लिए तैयार हो गए. पर बाकी तीनों राज्यों ने इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया. और यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इन तीनों राज्यों का समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) फंड रोक दिया.

शिक्षा मंत्रालय हर तीन महीने पर राज्यों को एसएसए फंड जारी करता है. यानी एक वित्तीय वर्ष में कुल चार बार. इन तीनों राज्यों को पिछले वित्तीय वर्ष के अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाहियों के लिए एसएसए फंड की तीसरी और चौथी किस्त नहीं मिली है, न ही चालू वित्तीय वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही की पहली किस्त ही मिली है.

राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली को करीब 330 करोड़, पंजाब को करीब 515 करोड़ और पश्चिम बंगाल को करीब 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की लंबित राशि का इंतजार है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी जारी नहीं की है. लेकिन मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि, "राज्यों को एसएसए फंड के तहत पैसे तब तक नहीं मिलेंगे जब तक वे पीएम श्री योजना लागू नहीं करते क्योंकि यह उसी प्रोग्राम का हिस्सा है."

वहीं इन तीन राज्यों की मनाही के पीछे की वजहों में जाएं तो इन सभी ने इसके पीछे अलग-अलग कारण बताए हैं. दिल्ली और पंजाब, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है, का कहना है कि चूंकि 'आप' शासित इन दोनों राज्यों में पहले से ही "स्कूल ऑफ एमिनेंस (श्रेष्ठ स्कूल)" और "स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस" नाम से योजनाएं चल रही हैं जो काफी हद तक पीएम श्री से मिलती जुलती है, ऐसे में उससे (पीएम श्री) जुड़ने का कोई खास मतलब नहीं है.

जबकि पश्चिम बंगाल ने स्कूलों के नाम के आगे 'पीएम श्री' के इस्तेमाल को लेकर विरोध जताया है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले इस राज्य का कहना है कि चूंकि राज्य सरकार लागत का 40 फीसद हिस्सा वहन कर रही है तो पीएम श्री लगाने की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए. 

कैसे होता है पीएम श्री योजना के लिए स्कूलों का चयन?

पीएम श्री स्कूलों का चयन 'चैलेंज मोड' के जरिए किया जाता है. यानी वे स्कूल जो कुछ न्यूनतम मानदंडों को पूरा करते हैं. इन मानदंडों में अच्छी स्थिति में एक पक्की इमारत, बैरियर फ्री एक्सेस रैंप, लड़के और लड़कियों के लिए कम से कम एक-एक टॉयलेट शामिल हैं. जिन स्कूलों के पास ये न्यूनतम सुविधाएं हैं, वे इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

आवेदन के बाद स्कूलों का चयन कुछ मापदंडों के आधार पर किया जाता है. इनमें शहरी स्कूलों को कम से कम 70 फीसद और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को 60 फीसद अंक हासिल होने चाहिए. राज्य उन अनुशंसित स्कूलों की सूची केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेजते हैं, जहां चयनित स्कूलों की अंतिम सूची स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव की अध्यक्षता वाली एक विशेष समिति तैयार करती है.

राज्य या केंद्र शासित प्रदेश या केंद्रीय विद्यालय संगठन/नवोदय विद्यालय समिति को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होता है. इस एमओयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कानूनों को पूरी तरह लागू करने की प्रतिबद्धता जाहिर की गई होती है और चयनित विद्यालय के नाम के आगे पीएम श्री लगाना होता है.

इसके अलावा भी कुछ शर्तें होती हैं जिनमें चयन के दो साल के भीतर ड्रॉपआउट दर शून्य करना शामिल है. प्रत्येक ब्लॉक/शहरी स्थानीय निकाय से ज्यादा से ज्यादा दो स्कूलों - एक प्राथमिक विद्यालय और एक माध्यमिक या उच्च माध्ममिक विद्यालय का चयन किया जा सकता है.

पीएम श्री डैशबोर्ड पर फिलहाल 10,077 स्कूल सूचीबद्ध हैं. इनमें से 839 स्कूल केंद्रीय विद्यालय, 599 नवोदय विद्यालय हैं. इन स्कूलों को केंद्र सरकार संचालित करती है. बाकी बचे 8,639 स्कूलों को राज्य सरकार या स्थानीय सरकारें संचालित करती हैं. सबसे ज्यादा पीएम श्री स्कूल उत्तर प्रदेश में हैं. यहां इनकी संख्या 1,865 है. इसके बाद महाराष्ट्र (910) और फिर आंध्र प्रदेश (900) का नंबर आता है.

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