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ह्यूमन ट्रैफिकिंग भारत के लिए कितनी बड़ी समस्या है और इसकी कानूनी परिभाषा क्या है?

पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर वेश्यावृत्ति, यौन शोषण, जबरन मजदूरी, गुलामी और इस तरह के कई सारे गैरकानूनी कामों के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती है

फ्रांस में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के संदेह के बाद रोकी गई फ्लाइट
फ्रांस में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के संदेह के बाद रोकी गई फ्लाइट
अपडेटेड 26 दिसंबर , 2023

फ्रांस में ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी के संदेह के चलते चार दिनों से रोका गया विमान मुंबई पहुंच गया है. 26 दिसंबर यानी मंगलवार को 276 यात्रियों को लेकर एयरबस A340 मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड हुआ. फ्रांस के अधिकारियों ने बताया कि 276 यात्री उड़ान के लिए विमान में सवार थे. वहीं पांच नाबालिगों सहित 20 लोग शरण की तलाश में फ्रांस में ही रुके हुए हैं. 

यह फ्लाइट दुबई से 303 यात्रियों को लेकर निकारागुआ जा रही थी जिसे कि मानव तस्करी यानी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के संदेह के चलते फ्रांस के वैट्री हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था. हालांकि एयरलाइन के वकील ने तस्करी की किसी भी तरह की बात को खारिज किया है.

ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक ऐसा क्राइम है जिसके बारे में अक्सर ही खबरें सुनने को मिलती हैं. ऐसे में अब जानते हैं कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग या मानव तस्करी क्या होती है? 

क्या है ह्यूमन ट्रैफिकिंग

बॉलीवुड फिल्मों में 'स्मगलिंग' नाम का शब्द खूब इस्तेमाल में लाया जाता रहा है. पुरानी से लेकर नई फिल्मों में स्मगलरों के इर्द-गिर्द कई सारे किरदार रचे गए. जैसा कि फिल्मों में दिखाया जाता था कि ये लोग किसी समान को एक जगह से दूसरी जगह भेजते थे. बस फर्क ये होता था कि तरीका और सामान दोनों ही गैरकानूनी होते थे. इसी तरह जब सामानों की जगह इंसानों को गैरकानूनी तरीके से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है तो वह ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती है. यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम की वेबसाइट के मुताबिक मानव तस्करी मानवता के विरुद्ध एक अपराध है. इसके तहत किसी व्यक्ति का शोषण करने के इरादे से जबरदस्ती या फिर धोखा देकर उसे एक देश से दूसरे देश भेजा जाता है. हर साल हजारों की तादाद में पुरुष, महिलाएं और बच्चे तस्करों का शिकार होते हैं. 

पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर वेश्यावृत्ति, यौन शोषण, जबरन मजदूरी, गुलामी और इस तरह के कई सारे गैरकानूनी कामों के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती है. वहीं भारत के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 23 (1) के तहत ह्यूमन ट्रैफिकिंग को प्रतिबंधित किया गया है. इमॉरल ट्रैफिक (प्रिवेंशन) एक्ट, 1956 के तहत यौन शोषण के रोकथाम का कानून बनाया गया है. क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) एक्ट 2013 के तहत अवैध व्यापार सहित शारीरिक शोषण या किसी भी रूप में बच्चों के यौन शोषण, गुलामी, दासता, या अंगों के साथ छेड़-छाड़ करने सहित किसी भी रूप में शोषण को रोकने का प्रावधान शामिल किया गया है. 14 नवंबर, 2012 से लागू प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन एक्ट, 2012, बच्चों को यौन अपराधों और यौन शोषण से बचाने के लिए विशेष कानून है.  

भारत लंबे वक्त से ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे अपराधों का सामना कर रहा है. बांग्लादेश से भारत में सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं. हालांकि बांग्लादेश से भारत में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी भी आते हैं. अवैध प्रवासियों और ह्यूमन ट्रैफिकिंग में कुछ बुनियादी अंतर है. आसान भाषा में समझना हो तो किसी भी देश में वैध दस्तावेजों के बिना दाखिल होने वालों को अवैध प्रवासी माना जाता है. वहीं साल 1951 के 'यूएन कन्वेंशन ऑन द स्टेटस ऑफ रिफ्यूजीस' और साल 1967 के प्रोटोकॉल के मुताबिक अपने मूल देश से बाहर रहने वाले लोगों को शरणार्थी कहते हैं. ऐसे लोग जो नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता या राजनीतिक राय के कारण उत्पीड़न के डर से अपने देश नहीं लौटना चाहते या नहीं लौट पाते हैं.  

भारत और बांग्लादेश के बीच ह्यूमन ट्रैफिकिंग की बड़ी वजह दोनों देशों के बीच लंबी खुली हुई सीमा का होना है. दोनों देशों के बीच एक बड़े हिस्से में चौकसी के कोई खास पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि भारत से बांग्लादेश में मवेशी भेजे जाते हैं. बदले में वहां से लड़कियां या महिलाएं भारत लाई जाती हैं. मानव तस्करी पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो रिपोर्ट-2017 के मुताबिक बांग्लादेश के साथ लगे बेनोपोल बॉर्डर को दलाल मानव तस्करी के लिये सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. 

नवंबर 2023 में भी बीएसएफ (BSF) और एनआईए (NIA)ने मिलकर कई राज्यों की पुलिस के साथ ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया था. इसका मकसद भारत-बांग्लादेश बॉर्डर के जरिए अवैध प्रवासियों की घुसपैठ और भारत में मानव तस्करी के नटवर्क को खत्म करना था. इसमें 44 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. मामले में एनआईए की जांच से पता चला था कि इस अवैध मानव तस्करी के अलग-अलग मॉड्यूल तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों में फैले हुए थे.

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