पिछले कुछ दिनों से अचानक एक खबर लोगों की सोशल मीडिया फीड में नजर आने लगी जिसमें चीन में कोरोना वायरस जैसी ही एक बीमारी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस या HMPV के फैलने की बात कही जा रही थी. अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ संस्थानों ने भी चीन के अस्पतालों में तेजी से भीड़ बढ़ने की बात कही है.
इस बीच भारत में भी ICMR (इंडियन कॉउन्सिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च) ने अपनी जांच में दो HMPV के केस रिकॉर्ड किए जिसके बाद अपने देश में भी एक नई महामारी के फैलने की आशंकाओं का बाजार गर्म हो गया. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि HMPV है क्या और क्या वाकई में यह एक नई वैश्विक महामारी का रूप ले सकता है.
क्या है HMPV?
कोरोना वायरस की ही तरह HMPV वायरस एक रेस्पिरेटरी या श्वसन वायरस है जो मुख्य रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को प्रभावित करता है. हालांकि जहां कोविड-19 महामारी में संक्रमण का कारण बनने वाले वायरस के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं थी, HMPV कोई नया वायरल संक्रमण नहीं है और बच्चों में सांस संबधी सभी संक्रमणों का अनुमानित 12 फीसदी बीमारियां इसकी वजह से होती हैं.
इस वायरस के कारण खांसी, बुखार, नाक बहना और गले में खराश जैसे फ्लू जैसे लक्षण होते हैं. यह कभी-कभी निमोनिया जैसे अधिक गंभीर लक्षणों का कारण भी बन सकता है. पांच साल से कम उम्र के बच्चे जब पहली बार इस वायरस से संक्रमित होते हैं तब उनमें गंभीर संक्रमण की आशंका अधिक होती है. इन्फ्लूएंजा की ही तरह यह वायरस बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में भी गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है.
दुनियाभर में कैसे मचा एचएमपीवी वायरस का हल्ला?
सोशल मीडिया पर HMPV वायरस के बारे में चिंतित होने वालों के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि कोरोना की तरह यह कोई नया वायरस नहीं है. इसे पहली बार डच शोधकर्ताओं ने 2001 में श्वसन संबंधी बीमारी की शिकायत करने वाले बच्चों में पाया था.
पर्यावरण से जुड़ी ख़बरों की मैगजीन डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्लड सीरम की अध्ययन शाखा सीरोलॉजी के कुछ रिसर्च ने प्रमाणित किया है कि HMPV कम से कम 60 सालों से अस्तित्व में है और यह चीन तक सीमित नहीं है. यह पूरी दुनिया में पाया जाने वाला एक सामान्य रेस्पिरेटरी पैथोजन है.
इंडिया टुडे की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक, फ़िलहाल चीन के उत्तर-पूर्वी भाग जैसे बीजिंग, तियानजिन, हेबेई, शांक्सी और इनर मंगोलिया से ज्यादातर मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि, एचपीएमवी को लगभग तीन दशकों से एक पैथोजन या रोग फ़ैलाने वाले वायरस के रूप में जाना जाता है, लेकिन अभी तक इसकी कोई वैक्सीन विकसित नहीं हुई है.
अभी तक चीन ने अपनी तरफ से कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. कुछ अन्य पड़ोसी देशों ने मामलों की संख्या बताना शुरू कर दिया है क्योंकि HMPV का प्रकोप अन्य पूर्वी एशियाई देशों में भी फैल गया है.
जापान ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की मानें तो 15 दिसंबर 2024 तक एक ही सप्ताह में 94,259 फ्लू के मरीज़ सामने आए हैं. जापान में कुल मामलों की संख्या फ़िलहाल सात लाख से ज्यादा दर्ज की गई है.
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भले ही सोशल मीडिया पर इस वायरस से जुड़े उन्माद से ऐसा आभास होता है कि चीन में स्थिति गंभीर हो गई है, लेकिन न तो WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और न ही चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने अभी तक किसी भी स्तर की इमरजेंसी की घोषणा की है.
भारत में क्या हैं हालात?
HMPV ने भारत में तब ध्यान खींचा जब बेंगलुरु में इस वायरस के दो मामले सामने आए. बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में आठ महीने के एक लड़के और तीन महीने की एक लड़की में HMPV का पता चला है. इन मामलों के सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह साफ किया है HMPV के मामले पहले से ही भारत सहित दुनिया भर में फैल रहे हैं लेकिन इसको लेकर लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. वायरस की स्थिति को स्पष्ट करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि जांच के दौरान पाए गए दो मामलों में से किसी का भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं था, जिसका मतलब है कि इन संक्रमणों का चीन के संक्रमण में कथित उछाल से कोई संबंध नहीं है.
Amid concerns over the Human Metapneumovirus (HMPV) outbreak in China, Dr. Atul Goel, Director-General of Health Services, reassured the public that there is no cause for alarm.
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) January 6, 2025
He explained that HMPV is similar to other respiratory viruses, typically causing mild cold-like… pic.twitter.com/65BXKOcdLH
स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने लोगों को आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में अस्पताल सांस संबंधी तकलीफों में मौसमी वृद्धि से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और पर्याप्त आपूर्ति और बिस्तर उपलब्ध हैं. उन्होंने लोगों से बुनियादी साफ़-सफाई का पालन करने और सर्दियों के मौसम में सुरक्षित रहने के लिए सामान्य सावधानियां बरतने का आग्रह किया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 4 जनवरी को स्थिति की समीक्षा के लिए बुलाई गई संयुक्त निगरानी समूह की बैठक के बाद कहा कि चीन में श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि फ्लू के मौसम के मद्देनजर सामान्य है. मंत्रालय ने कहा कि भारतीय अस्पतालों में श्वसन संबंधी बीमारियों या इन्फ्लूएंजा के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीन से प्राप्त रिपोर्टों से पता चलता है कि वहां मामलों में हालिया वृद्धि का कारण इन्फ्लूएंजा वायरस, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) और रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) हैं, जो इस मौसम में फैलना सामान्य है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि आईसीएमआर नेटवर्क दूसरे सांस संबंधी वायरस जैसे एडेनोवायरस, आरएसवी, एचएमपीवी आदि के लिए भी परीक्षण करता है और इन पैथोजन में भी जांच किए गए नमूनों में असामान्य वृद्धि नहीं देखी गई है. एहतियाती उपाय के रूप में कहा गया कि आईसीएमआर की ओर से एचएमपीवी के लिए जांच करने वाली प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी और सालभर तक इस वायरस के रुझानों की निगरानी की जाएगी.
क्या है HMPV का इलाज?
इसके लिए कोई ख़ास एंटीवायरल उपचार नहीं है, फिर भी शुरुआती पहचान से सिम्पटम्स पर काबू पाने और जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है. गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी के साथ अच्छी देखभाल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ख़ास तौर पर पीक सीज़न के दौरान, स्वास्थ्य अधिकारी हाथ की सफ़ाई, मास्क पहनना और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने जैसे एहतियाती उपायों पर ज़ोर देने की बात करते हैं.
कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इंडिया टुडे से बातचीत में यह आश्वस्त किया कि HMPV कोविड-19 जैसा वैश्विक स्वास्थ्य संकट पैदा नहीं करता है. हालांकि कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए सतर्कता फिर भी जरूरी है.