कर्नाटक के संसदीय क्षेत्र हासन के मौजूदा एमपी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण के गंभीर आरोपों को लेकर देशभर में सियासी तूफान मचा हुआ है. इसी बीच इंटरपोल ने रेवन्ना के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया है.
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने 5 मई को कहा था कि मामले की जांच कर रही एसआईटी रेवन्ना को भारत वापस लाने के लिए इंटरपोल की मदद लेगी. इधर रेवन्ना के पिता और जेडीएस विधायक एचडी रेवन्ना भी अपहरण के एक मामले में गिरफ्तार हैं.
इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस आर्गेनाईजेशन या इंटरपोल एक अंतर-सरकारी कानूनी संगठन है जो अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए 196 सदस्य देशों में वहां के क्षेत्रीय पुलिस-प्रशासन की मदद करता है. इंटरपोल विश्व स्तर पर किए गए अपराधों और वांटेड अपराधियों के बारे में जानकारी साझा करता है. इसके अलावा यह संगठन देश से भागे हुए अपराधियों का पता लगाने के लिए तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है. इंटरपोल इन वांटेड अपराधियों का एक डेटाबेस तैयार करता है, जिसका इस्तेमाल इंटरपोल के सदस्य देश ऐसे व्यक्तियों का पता लगाने के लिए कर सकते हैं.
इंटरपोल एजेंसी के सभी सदस्य देशों में एक राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो है, जो उस देश के कानूनी संगठनों के साथ संपर्क स्थापित करने में मदद करता है. इंडिया में आधिकारिक तौर पर सीबीआई इंटरपोल की नोडल एजेंसी के रूप में काम करती है.
इंटरपोल अपने सदस्य देशों और यूएन, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस जैसे वैश्विक संगठनों से अपराध से संबंधित जानकारी की मदद से दूसरे देशों को अलर्ट भेजने और जरूरी जानकारी साझा करने के लिए एक कलर-कोडेड सिस्टम का इस्तेमाल करती है. हालांकि इस तरह के अलर्टस और इंटरपोल के दूसरे नोटिस को सदस्य देश मानने के लिए बाध्य नहीं हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इन अलर्टस का पालन पूरी तरह से विवेकाधीन है.
इंटरपोल के इस कलर-कोडेड सिस्टम में फिलहाल आठ तरह के नोटिस हैं - रेड, येलो, ब्लैक, ग्रीन, ऑरेंज, पर्पल, ब्लू और इंटरपोल-यूएनएससी स्पेशल नोटिस. 'रेड नोटिस' का उपयोग आमतौर पर सदस्य देशों को गंभीर मामलों में सजायाफ्ता या नामजद अपराधियों के लोकेशन और गिरफ्तारी के बारे में सचेत करने के लिए किया जाता है. वहीं येलो कॉर्नर नोटिस का इस्तेमाल किसी लापता व्यक्ति के लिए वैश्विक अलर्ट जारी करने के लिए होता है.
इसके अलावा अज्ञात शवों के बारे में जानकारी मांगने पर 'ब्लैक नोटिस' जारी किया जाता है तो वहीं इंटरपोल 'ग्रीन नोटिस' की मदद से लोगों की सुरक्षा के लिए संभावित खतरे के बारे में चेतावनी दे सकती है. अगर कोई व्यक्ति, वस्तु या घटना सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे पैदा करती है, तो 'ऑरेंज नोटिस' का उपयोग किया जाता है.
अपराधियों की तरफ से इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकी चीजों और उनके छिपने के तरीकों के बारे में जानकारी मांगने या प्रदान करने के लिए इंटरपोल 'पर्पल' नोटिस जारी करता है. साथ ही 'इंटरपोल-यूएनएससी स्पेशल नोटिस' उन संस्थाओं और लोगों के लिए जारी किया जाता है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निशाने पर हैं.
अब आते हैं ब्लू कॉर्नर नोटिस पर जो इंटरपोल ने प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ जारी किया है. जब मामला लापता व्यक्तियों से जुड़ा हो तो यह अंतरराष्ट्रीय एजेंसी 'ब्लू कॉर्नर' नोटिस जारी करती है. सामान्य शब्दों में समझें तो यह एक तरीके का 'पूछताछ नोटिस' है जिसे सदस्य राज्यों से किसी व्यक्ति के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने के लिए जारी किया जाता है.
यह रेड कॉर्नर नोटिस से अलग है क्योंकि 'ब्लू' नोटिस का उद्देश्य किसी जांच में 'पर्सन ऑफ इंटरेस्ट' के बारे में जानकारी इकट्ठी करना है, जबकि रेड कॉर्नर नोटिस आम तौर पर प्रत्यर्पण के लिए वांटेड लोगों या ऐसों के खिलाफ जारी किया जाता है जिन्हें अदालत की ओर से सजा मिल चुकी होती है.
प्रज्वल रेवन्ना 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में अपने मतदान होने के एक दिन बाद अपने डिप्लोमेटिक पासपोर्ट का उपयोग करके जर्मनी भाग गया था. इसके बाद उसके वकील ने पैनल के सामने पेश होने के लिए सात दिन का समय मांगा था. सात दिनों में पेश नहीं होने के बाद एसआईटी ने लुक-आउट सर्कुलर जारी किया. इसके बाद एसआईटी ने सीबीआई से इस मामले में मदद मांगी और अब इंटरपोल ने इसी मामले में 'ब्लू कॉर्नर नोटिस' जारी किया है.