scorecardresearch

मुंबई और दिल्ली में क्या हैं होर्डिंग लगाने के लिए नियम-कानून

मुंबई के घाटकोपर इलाके में लगा होर्डिंग आंधी चलने के दौरान 13 मई को गिर गया था जिसमें दर्जन भर से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी  

मुंबई के घाटकोपर में पेट्रेल पंप पर होर्डिंग गिरने के बाद का दृश्य
मुंबई के घाटकोपर में पेट्रेल पंप पर होर्डिंग गिरने के बाद का दृश्य
अपडेटेड 17 मई , 2024

मुंबई में 13 मई को आई आंधी के चलते घाटकोपर इलाके में लगी एक बड़ी सी होर्डिंग के गिरने से 14 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. वहीं इस हादसे में अभी तक 74 लोगों के घायल होने की खबर भी सामने आई है. यह होर्डिंग घाटकोपर में रमाबाई इलाके में एक पेट्रोल पंप के पास लगा था.

गिरने वाली होर्डिंग की ऊंचाई 100 फुट बताई जाती है. हालांकि जब से यह हादसा हुआ है, तभी से ही इसकी वजहों पर आरोपों और प्रत्यारोप का दौरा जारी है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने होर्डिंग को अवैध बताया है. इसके साथ ही विज्ञापन कंपनी ईगो मीडिया (जिसकी होर्डिंग थी), अवैध होर्डिंग की अनदेखी करने के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के निर्देश पर राज्य रेलवे पुलिस और मुंबई नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज कराया गया है. 

मुंबई नगर निगम ने बिना लाइसेंस वाले सभी होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश भी दिया है. घाटकोपर इलाके में लगे होर्डिंग के मामले में भी नियमों की अनदेखी सामने आई है. बीएमसी आरोप भी लगाया है कि होर्डिंग लगाते वक्त इससे जुड़ी सरकारी एजेंसियों की मंजूरी भी नहीं ली गई थी. नगर निगम का यह भी कहना था कि होर्डिंग दूर से ही देखी जा सके इसलिए पेड़ों को भी काट दिया गया था.

बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी के बयानों के मुताबिक भले ही जमीन चाहे किसी की भी हो पर होर्डिंग लगाने के लिए निगम की मंजूरी जरूरी होती है. घाटकोपर होर्डिंग वाले मामले में निगम की मंजूरी नहीं ली गई थी. नगर निगम के मुताबिक होर्डिंग कलेक्ट्रेट की जमीन पर लगाई गई थी और राज्य सरकार ने जमीन जीआरपी को दी थी.

जीआरपी ने ही साल 2020 में अपनी वेबसाइट पर होर्डिंग के लिए टेंडर निकाला था और दिसंबर 2021 में ईगो मीडिया कंपनी को चार होर्डिंग्स लगाने की मंजूरी दी गई. इन्हीं में गिरने वाली होर्डिंग भी शामिल थी.

मुंबई नगर निगम के तय नियमों के मुताबिक, शहर में केवल 40 बाई 40 स्क्वायर फीट तक की होर्डिंग्स लगाई जा सकती है. लेकिन घाटकोपर इलाके में लगे होर्डिंग का साइज 120 बाई 120 स्क्वायर फीट तक था. अगर छत पर होर्डिंग लगाना है तो उसका आकार 60 बाई 40 का हो सकता है. वहीं कुछ खास परिस्थितियों में ही 75 फीट से ज्यादा की ऊंचाई वाले होर्डिंग की मंजूरी दी सकती है. चूंकि मुंबई समुद्र के किनारे स्थित है इसी वजह से चलने वाली समुद्री हवाओं को ध्यान में रखकर होर्डिंग्स का आकार तय किया गया गया है.

मुंबई में होर्डिंग लगाने से पहले ठेकेदार से इसकी ड्राइंग मंगाई जाती है और उसके वजन की जानकारी भी मांगी जाती है. इसके बाद होर्डिंग के आकार का ऑडिट किया जाता है. मुंबई में हर दो साल में आकार के ऑडिट का नियम है. इसके अलावा होर्डिंग लगाने के लिए नगर निगम से लाइसेंस भी लेना अनिवार्य है. मुंबई में मुंबई महानगरपालिका कॉरोपोरेशन एक्ट, 1888, की धारा 328 और328A के तहत इनका रेगुलेशन किया जाता है.

लगभग सभी शहरों में होर्डिंग की व्यवस्था नगर पालिका के अंदर ही आती है. इसके अलावा होर्डिंग्स पर जो विज्ञापन दर्शाए जाते हैं उनकी शालीनता और नैतिकता का परीक्षण भी होता है. आसान शब्दों में कि होर्डिंग्स पर ऐसा कोई भी विज्ञापन ना छपा हो जिससे समाज में एक गलत संदेश जाता हो. साथ ही हर एक होर्डिंग की एक समय सीमा होती है जिसके बाद इसे वापस से रिन्यू भी करवाना होता है.

होर्डिंग लगवाने से पहले इसके अकार की जानकारी के अलावा ट्रैफिक पुलिस की तरफ से मिला नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी जमा करना होता है. इसमें यह भी ध्यान रखना होता है कि सड़क किनारे लगी होर्डिंग की वजह से ड्राइवरों को देखने में कोई दिक्कत ना हो या उनको गाड़ी चलाने में कोई परेशानी ना उठानी पड़े.

बेंगलुरु में नए प्रचार नियम के मुताबिक बिलबोर्ड या होर्डिंग्स का साइज 60 बाई 30 हो सकता है. इसकी ऊंचाई 59 फुट या फिर 18 मीटर ऊंची हो सकती है. हालांकि बेंगलुरु की कुछ सड़कों पर किसी भी तरह की होर्डिंग लगाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.

दिल्ली में भी पर्यावरण प्रदूषण अथॉरिटी (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) ने होर्डिंग्स को लेकर एक नई पॉलिसी पेश की है. इसके मुताबिक होर्डिंग्स के जरिए अश्लीलता, जातिवाद, नस्लीय टिप्पणी, ड्रग्स, जानवरों के प्रति क्रूरता या किसी भी प्रकार की हिंसा को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों को दिखाना गैर-कानूनी है.

दिल्ली शहरी विकास विभाग ने दिल्ली संपत्ति विरूपन रोकथाम अधिनियम, 2007 के तहत अनधिकृत इश्तहारों और होर्डिंग को हटाने के लिए एक नीति तैयार की है. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली संपत्ति विरूपन रोकथाम अधिनियम, 2007 के तहत सार्वजनिक स्थलों पर साफ-सफाई सुनिश्चित करने और खास तौर पर सार्वजनिक संपत्तियों के रखरखाव को सुनिश्चित करने के इरादे से नीति तैयार करने के लिए अधिकारियों की एक समिति बनायी गयी थी.

मुंबई होर्डिंग हादसे के बाद 14 मई को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने आउटडोर होर्डिंग को मैनेज करने वाले सभी ठेकेदारों को होर्डिंग्स, यूनिपोल और इस तरह की हर संरचना का सेफ्टी ऑडिट करने और तीन दिनों में रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है.

दिल्ली में 100 फीट से ज्यादा चौड़ी सड़कों पर होर्डिंग्स का आकार 32x16 फीट हो सकता है, वहीं 100 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर 20x10 फीट वाले हेर्डिंग्स लगाए जा सकते हैं. दिल्ली में होर्डिंग्स का रेगुलेशन 1997 से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है. इसी वजह से 2007 में दिल्ली में आउटडोर विज्ञापन पॉलिसी भी लागू की गई थी, जिसमें 2007 और 2017 में कुछ बदलाव भी किए गए. 2017 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने इस संबंध में पॉलिसी को लागू किया था.

इस पॉलिसी के तहत विज्ञापनों को चार कटेगरी में बांटा गया था. इसमें बड़े प्रारूप जैसे कि बिलबोर्ड, यूनिपोल और एलईडी स्क्रीन, सार्वजनिक सुविधाओं पर लगाए गए विज्ञापन, बेड़े और परिवहन से संबंधित बुनियादी ढांचे, और व्यावसायिक क्षेत्रों के विज्ञापन शामिल हैं.

नियमों के अनुसार, बिलबोर्ड, होर्डिंग्स, यूनिपोल, बैनर, सेल्फ साइनेज, फ्लैगपोल को स्थापित करने के लिए नगर निगम की मंजूरी जरूरी है. इसके अलावा कंपनियों को एमसीडी में इसका स्ट्रक्चर और स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट भी जमा कराना होगा. साथ ही कंपनियों के अनुभवी और इस क्षेत्र में काम कर रहे इंजीनियरों से हर एक विज्ञापन साइट का ऑडिट भी करवाना होगा. इन नियमों से दिल्ली मेट्रो और भारतीय रेलवे को कुछ विशेष परिस्थितियों में छूट का प्रावधान किया गया है.

Advertisement
Advertisement