उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थिति काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की गिनती देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों होती है. जाहिर है कि ऐसे संस्थानों में लेट-लतीफी या बेपरवाही इनकी साख पर बट्टा लगाती है, लेकिन अब कुछ-कुछ ऐसा ही होता लग रहा है. दरअसल यह विश्वविद्यालय जनवरी, 2025 से ही नए कुलपति की बाट जोह रहा है. लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अब तक नए कुलपति की नियुक्ति नहीं की है. कुलपति की नियुक्ति में देरी का मामला अदालत तक पहुंच गया है इसके बावजूद इसका फैसला करने में कोई तेजी नहीं दिख रही.
BHU के कुलपति रहे सुधीर कुमार जैन का कार्यकाल 6 जनवरी, 2025 को समाप्त हुआ. नए कुलपति की नियुक्ति नहीं होने की वजह से BHU के रेक्टर संजय कुमार को कार्यकारी कुलपति की जिम्मेदारी दी गई. तब से तकरीबन साढ़े चार महीने से अधिक का वक्त गुजर गया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में स्थित इस विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई है.
सुधीर कुमार जैन का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद जब BHU के नए कुलपति की नियुक्ति में देरी होने लगी कि तो यह मामला अदालत पहुंचा. सामाजिक कार्यकर्ता और वकील हरिकेश बहादुर सिंह ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका यानी पीआईएल दायर की. उन्होंने अपनी याचिका में न सिर्फ कुलपति की नियुक्ति में देरी का मुद्दा उठाया है बल्कि उन्होंने अन्य नियुक्तियों में हो रही देरी का मसला भी उठाया है.
हरिकेश बहादुर सिंह ने अपनी पीआईएल में कहा है कि जून, 2021 से BHU की कार्यकारी परिषद में कई स्थान खाली पड़े हैं लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय की तरफ से इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जा रहा है. कार्यकारी परिषद विश्वविद्यालय के संदर्भ में नीतिगत निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था के तौर पर काम करती है.
इस पीआईएल पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पहले 5 फरवरी, 2025 तक का समय केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को इन नियुक्तियों को पूरा करने के लिए दिया था. लेकिन इस समय सीमा तक भी नियुक्ति नहीं हो पाई. इसके बाद मंत्रालय की तरफ से अदालत से और समय की मांग की गई. फिर अदालत ने 5 मार्च, 2025 तक का समय दिया.
हैरानी की बात यह है कि अदालत द्वारा दी गई इस समय सीमा में फिर से नियुक्ति नहीं हो पाई. इसके बाद 12 मार्च, 2025 को हाई कोर्ट ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि 16 अप्रैल, 2025 तक हर हाल में इन नियुक्तियों का काम पूरा कर लिया जाए. लेकिन एक बार फिर से अदालती निर्देश का पालन नहीं हुआ और इस समय सीमा के बावजूद नियुक्ति की
प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई.
इस बारे में इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए हरिकेश बहादुर सिंह कहते हैं, "16 अप्रैल के बाद भी कोर्ट ने तीन बार BHU और शिक्षा मंत्रालय को तलब किया लेकिन उनके वकील कोर्ट नहीं आए. बीते 14 मई को भी मामले की सुनवाई हुई लेकिन न तो BHU के वकील और न ही मंत्रालय के वकील हाईकोर्ट में पेश हुए. कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद कोई फैसला न लेकर BHU और शिक्षा मंत्रालय अदालत की अवमानना कर रहे हैं. अब कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में 26 मई को अंतिम आदेश दिया जाएगा."
आखिर इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति में इतनी देरी क्यों हो रही है? इस बारे में BHU के एक प्रोफेसर बताते हैं, "पांच नामों को लेकर चर्चा है. इनमें कुछ नाम दिल्ली के हैं. BHU में चर्चा यह चल रही है कि कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल लोगों में एक नाम को लेकर सहमति नहीं बन रही है. क्योंकि इस प्रक्रिया में शामिल लोग अपने-अपने नामों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं."
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि BHU के नए कुलपति के लिए जो विज्ञापन निकला था, उसके जवाब में 100 से अधिक आवेदन मंत्रालय को मिले थे और सर्च कमेटी ने आवेदनकर्ताओं से इंटेरैक्शन का काम भी काफी पहले पूरा कर लिया है. इस अधिकारी की मानें तो अब मामला इनमें से चार-पांच नामों पर आकर अटक गया है और किसी एक नाम पर सहमति बनने में देरी हो रही है.
दरअसल, पिछले 11 सालों में ऐसा चौथी बार हो रहा है कि BHU की कुलपति की नियुक्ति में देर लग रही है. 21 अगस्त, 2014 को उस समय के कुलपति लालजी सिंह रिटायर हुए थे. लेकिन इसके बाद तीन महीने से भी अधिक का वक्त गुजरने के बाद 27 नवंबर, 2014 को नए कुलपति के तौर पर गिरीश चंद्र त्रिपाठी की नियुक्ति हुई. त्रिपाठी का कार्यकाल 26 नवंबर, 2017 को पूरा हुआ.
इस बार नए कुलपति की नियुक्ति में चार महीने से अधिक का वक्त लगा. 28 मार्च, 2018 को BHU के नए कुलपति के तौर पर राकेश भटनागर ने कार्यभार संभाला. यही कहानी 2021 में फिर से दोहराई गई. 28 मार्च, 2021 को भटनागर का कार्यकाल पूरा होने के बाद कुलपति का कार्यभार उस समय के रेक्टर विजय कुमार शुक्ल को सौंपा गया था. नए कुलपति की नियुक्ति में 2021 में नौ महीने से भी अधिक का समय लग गया. अंतत: 7 जनवरी, 2022 को सुधीर कुमार जैन ने BHU के नए कुलपति के तौर पर कार्यभार संभाला.
BHU के छात्रों और शिक्षकों को इस बार भी यही डर सता रहा है कि कहीं कुलपति की नियुक्ति का मामला 2021 की तरह लंबा न खींच जाए. लेकिन यह मामला अदालत में है और यही BHU के छात्रों और शिक्षकों के लिए उम्मीद की किरण है.