मार्च की 7 तारीख को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि, "ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए आवेदन किया है. मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं के तहत इसकी जांच की जाएगी. हमें यह भी बताया गया है कि उन्होंने वानुअतु की नागरिकता हासिल कर ली है. हम कानून के तहत उनके खिलाफ मामले को आगे बढ़ा रहे हैं."
इसके बाद ही इस बात की चर्चा तेज हो गई थी कि IPL के संस्थापक और पूर्व चेयरमैन ललित मोदी अब लंदन को छोड़कर वानुअतु में बसने वाले हैं. हालांकि, 10 मार्च को वानुअतु के पीएम जोथम नापाट ने मोदी के पासपोर्ट को रद्द करने का आदेश दिया. ऐसे में अब सवाल उठता है कि ललित मोदी ने आखिर लंदन छोड़ कर वानुअतु जाने का फैसला क्यों किया और वहां के पीएम ने क्यों उनकी नागरिकता रद्द करने का आदेश दिया?
वानुअतु कहां है और ललित मोदी वहां क्यों जाना चाहते थे?
करीब 3 लाख की आबादी वाला यह द्वीपीय देश ऑस्ट्रेलिया से करीब 1750 किलोमीटर पूर्व में प्रशांत महासागर में स्थित है. इस देश में संपत्ति खरीदने या पैसा इन्वेस्ट करने वाले लोगों को आसानी से 'गोल्डन पासपोर्ट' मिल जाता है.
सबसे खास बात यह कि गोल्डन पासपोर्ट मिलते ही वह व्यक्ति उस देश का स्थायी नागरिक बन जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वानुअतु की नागरिकता के लिए सिर्फ 1.30 करोड़ रुपए खर्च करने होते हैं. नागरिकता लेने की प्रक्रिया आसान होने की वजह से लोग पैसा देने के दो महीने के भीतर ही इस देश के नागरिक बन जाते हैं.
133 देशों में वानुअतु के नागरिकों की फ्री एंट्री वीजा है. इतना ही नहीं इस देश का नाम दुनिया के सबसे ज्यादा मजबूत पासपोर्ट वाले देशों की सूची में शामिल है. संभव है कि इन्हीं वजहों से ललित मोदी ने यहां की नागरिकता ली थी.
वानुअतु के पीएम ने क्यों मोदी की नागरिकता रद्द करने का आदेश दिया?
10 मार्च को वानुअतु के प्रधानमंत्री जोथम नापाट ने देश की नागरिकता आयोग को ललित मोदी के वानुअतु पासपोर्ट को रद्द करने का आदेश दिया. इस दौरान उन्होंने कहा, "वानुअतु की नागरिकता एक विशेषाधिकार है और किसी व्यक्ति को वैध कारणों से ही यहां की नागरिकता लेनी चाहिए. इन वैध कारणों में प्रत्यर्पण से बचने का प्रयास कतई शामिल नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स और फैक्ट्स से पता चलता है कि ललित मोदी का इरादा यही (प्रत्यर्पण से बचना) था."
इसके आगे उन्होंने कहा, "मुझे पिछले 24 घंटों में पता चला है कि इंटरपोल ने ठोस न्यायिक सबूतों के अभाव में ललित मोदी पर अलर्ट नोटिस जारी करने के भारतीय अधिकारियों के अनुरोध को दो बार खारिज किया है. अगर ललित मोदी यहां की नागरिकता ले भी लेते हैं तो इस तरह की कोई जानकारी मिलते ही उनकी नागरिकता अपने आप खत्म कर दिया जाता."
ललित मोदी के पासपोर्ट रद्द होने की एक वजह भारत से पासपोर्ट सरेंडर सर्टिफिकेट नहीं मिलना भी बताया जा रहा है. दरअसल, भारत सरकार की ओर से ललित मोदी के भारतीय पासपोर्ट जमा करने के बाद सरेंडर सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था.
ललित मोदी भारत छोड़कर एक देश से दूसरे देश क्यों भाग रहे हैं?
IPL के संस्थापक और पूर्व चेयरमैन ललित मोदी पर 2010 में 125 करोड़ रुपए कमीशन लेने के आरोप लगे. कहा गया कि एक विदेशी कंपनी को 425 करोड़ रुपए के काम देने के बदले ललित मोदी ने ये पैसा लिया था. यही नहीं, मोदी पर IPL में टीमों की नीलामी में भी धांधली करने के आरोप लगे.
इन आरोपों के बाद ललित मोदी देश छोड़कर लंदन चले गए. कुछ समय बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर उनके पासपोर्ट को रद्द कर दिया. इसके बाद से ही मोदी भारत से लंदन और अब लंदन से दूसरे देश भागने की कोशिश कर रहे हैं.
इधर, भारत सरकार उन्हें वापस देश लाने की लगातार कोशिश कर रही है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कानूनों की वजह से उन्हें देश लाना मुश्किल हो रहा है. फिलहाल ये मामला अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन यानी इंटरपोल के पास है. भारत सरकार दो बार इंटरपोल के पास ललित मोदी के प्रत्यर्पण के लिए आवेदन कर चुकी है. सबूतों के आभाव में दोनों बार इंटरपोल ने भारत के आवेदन को रद्द कर दिया है. अब देखने वाली बात ये है कि भारत सरकार आगे ललित मोदी के प्रत्यर्पण के लिए कब और क्या ठोस कदम उठाती है.