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अमेरिकी का रूस के साथ व्यापार 23 फीसद बढ़ा; फिर भारत को तेल खरीदने से क्यों रोक रहे ट्रंप?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदना जारी रखने पर भारत को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है.

पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप  (File Photo: Reuters)
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप (File Photo: Reuters)
अपडेटेड 5 अगस्त , 2025

अगस्त को एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धमकी दी. ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “भारत केवल रूस से भारी मात्रा में तेल ही नहीं खरीद रहा, बल्कि उसे बेचकर भारी मुनाफा भी कमा रहा है. अगर भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखता है तो मैं भारत पर लगाए टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करूंगा.”

ट्रंप की धमकी के कुछ देर बाद ही भारत ने वाशिंगटन और यूरोपीय संघ पर पलटवार करते हुए कच्चे तेल के आयात पर उनके दोहरे रुख पर सवाल उठाया है. भारत ने कहा कि खुद अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूस से सामान खरीद रहे हैं. ऐसे में भारत को टैरिफ लगाने की धमकी देना सही उचित नहीं है.

भारत की ओर से विदेश मंत्रालय ने क्या कहा है?

विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदने का फैसला यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद लिया है. जंग शुरू होने के बाद भारत जिन देशों से तेल खरीदता था, उन पारंपरिक ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं ने अपना निर्यात यूरोप की ओर शिफ्ट कर दिया. ऐसे में भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा.

उस समय, अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर रखने के लिए भारत के रूस से तेल खरीदने को प्रोत्साहित भी किया था. विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए किफायती दर पर तेल मिले, इसके लिए रूस से तेल आयात करना जरूरी है.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "रूसी तेल आयात का मकसद भारतीय उपभोक्ताओं के लिए किफायती कीमत पर तेल मिले यह सुनिश्चित करना है. वैश्विक बाजार की फिलहाल जो स्थिति है, उसमें रूस से आयात अनिवार्य हैं. हालांकि, यह भी साफ है कि रूसी तेल खरीदने पर भारत की आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं.जबकि भारत के विपरीत उनके लिए रूस से व्यापार करना कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है."

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "जहां तक संयुक्त राज्य अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम और खाद जैसे रसायनों का आयात अब भी धड़ल्ले से कर रहा है.”

क्या सच में अमेरिका अब भी रूस से व्यापार कर रहा है?

ट्रंप रूसी तेल आयात को लेकर भारत पर दबाव बना रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ रूस से अमेरिका में कुछ खास सामानों का आयात चुपचाप बढ़ रहा है.

जनवरी से मई 2025 के बीच अमेरिका का रूस से आयात पिछले साल की तुलना में 23 फीसद बढ़ा है. इन पांच महीनों में यह बढ़कर 2.1 बिलियन डॉलर हो गया है. इस बढ़ोतरी में मुख्य रूप से पैलेडियम (37 फीसद बढ़ा), यूरेनियम (28 फीसद बढ़ा), और उर्वरक (21 फीसद बढ़ा) शामिल हैं.

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के दो साल बाद यानी 2024 में अमेरिका का रूस से माल का आयात 2021 की तुलना में 90 फीसद कम होकर 3 अरब डॉलर (कस्टम मूल्य) रह गया. 2021 युद्ध शुरू होने से पहले का साल था.

इन सबके बावजूद 2024 में कई रूसी सामान अमेरिका आते रहे. अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग (USITC) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 2024 में रूस से अमेरिका ने जो सामान खरीदे हैं, उनमें उर्वरक (1.1 अरब डॉलर), पैलेडियम (87.8 करोड़ डॉलर), यूरेनियम (62.4 करोड़ डॉलर) और विमान इंजन के पुर्जे (75 करोड़ डॉलर) शामिल हैं.

खुद अमेरिका व्यापार कर रहा तो भारत से ट्रंप क्यों चिढ़ रहे हैं?

इस सवाल का जवाब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बयान में मिलता है. रुबियो ने कहा, "भारत रूसी तेल खरीद रहा है. इससे मास्को को यूक्रेन पर हमला करने की ताकत मिल रही है. यह वाशिंगटन के साथ नई दिल्ली के संबंधों में निश्चित रूप से एक परेशानी की बात है. हालांकि, भारत से परेशानी सिर्फ इसी बात से नहीं है."

फॉक्स रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में रुबियो ने कहा, "रूसी तेल खरीदना हमारे लिए परेशानी का एकमात्र बिंदु नहीं है. भारत से हमारे निराशा की कई अन्य बिंदु भी हैं."

हालांकि यह बात अभी खुलकर नहीं कही गई है लेकिन बीते दिनों अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर जो बातचीत हुई उसें कृषि और डेयरी क्षेत्र टकराव का बड़ा बिंदू बनकर उभरा. दरअसल, भारत नहीं चाहताकि अमेरिकी डेयरी और कृषि प्रोडक्ट उसके बाजारों में पहुंचे. जबकि अमेरिका अपनी जीएम फसलों, डेयरी और मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम और इथेनॉल जैसे उत्पादों को भारत के कृषि बाजार में बेचना चाहता है. अमेरिका इन संवेदनशील क्षेत्रों में भारत की ओर से लगाए जाने वाले टैरिफ में कटौती पर जोर दे रहा है.

19 जून 2025 को रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में विल्सन सेंटर से जुड़े विदेश मामलों के जानकार डॉ. माइकल कुगेलमैन ने कहा, "संभव है कि डोनाल्ड ट्रंप भारत से इसलिए नाराज हैं क्योंकि भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्धविराम का श्रेय उन्हें नहीं दिया. ट्रंप ने बार-बार दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीजफायर कराने का दावा किया, लेकिन भारत ने इस दावे को बार-बार खारिज किया. कुछ लोग इसे ट्रंप के लिए अपमानजनक मानते हैं." कुगेलमैन का अनुमान है कि ट्रंप की हालिया धमकियों इन सब बातों का असर हो सकता है.

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