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'ट्रंप टैरिफ' की राजस्थान पर सबसे ज्यादा मार; कौन-कौन से कारोबार हैं खतरे में?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से वहां निर्यात होने वाले सामानों पर 25 फीसद टैरिफ लगाने की घोषणा की है और इसके बाद से राजस्थान के कारोबारी आशंकित हैं

Rajasthani handicraft
राजस्थानी हस्तशिल्प का भी अमेरिका सहित कई देशों में निर्यात होता है
अपडेटेड 1 अगस्त , 2025

अगस्त की पहली तारीख से भारत पर लागू होने वाले डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ की राजस्थान पर सबसे भारी मार पड़ने वाली है. भारतीय उत्पादों के आयात पर 25 फीसद ट्रंप टैरिफ का सबसे ज्यादा असर राजस्थान के रत्न-आभूषण, टेक्सटाइल्स और हैंडीक्राफ्ट (हस्तशिल्प व हथकरघा) उद्योग पर पड़ने वाला है. 

राजस्थान इन उत्पादों का विश्व में करीब 85 हजार करोड़ रुपए का निर्यात करता है जिसमें से 18 हजार करोड़ रुपए का निर्यात अमेरिका में होता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि 25 फीसद टैरिफ लगाए जाने से राजस्थान से अमेरिका में होने वाला निर्यात जमीन पर आ सकता है. 

राजस्थान से अमेरिका में हर साल हैंडीक्राफ्ट का 8-9 हजार करोड़, रत्न-आभूषणों का 6-7 हजार करोड़ और गारमेंट्स व टैक्सटाइल्स का करीब 4 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है. अब तक अमेरिका में भारत के टैक्सटाइल कारोबार पर ही 5.5 फीसद टैरिफ था. एक अगस्त से 25 फीसद टैरिफ होने से भारतीय निर्यातकों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. 

फेडरेशन ऑफ राजस्थान एक्सपोर्टर्स के अध्यक्ष और राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के पूर्व चेयरमैन राजीव अरोड़ा का कहना है, ‘‘ट्रंप के टैरिफ से भारत के रत्न-आभूषण और टैक्सटाइल्स क्षेत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा. केंद्र सरकार को तत्काल और प्रभावी कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से इस टैरिफ को कम कराने के लिए कदम उठाने चाहिए. नहीं तो अमेरिकी बाजार में ये उत्पाद महंगे हो जाएंगे. इस टैरिफ से न केवल निर्यात घाटे का खतरा है, बल्कि लाखों नौकरियों पर भी संकट आएगा.’’ 

राजस्थान रत्न-आभूषणों का अमेरिका में सबसे ज्यादा निर्यात करता है. इस उद्योग से राजस्थान में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब ढाई से तीन लाख लोग जुड़े हैं. साल 2023 में भारत के कुल निर्यात में जेम्स एंड ज्वैलरी की हिस्सेदारी 9 फीसद रही. अमेरिका भारत के जेम्स एंड ज्वैलरी का सबसे बड़ा आयातक देश है. करीब 16 फीसद जेम्स एंड ज्वैलरी का आयात अकेला अमेरिका करता है. 

वहीं भारत के कुल रत्न-आभूषण निर्यात की 18 फीसद हिस्सेदारी अकेले राजस्थान की है. इसके साथ ही मीनाकारी आभूषणों के निर्यात में 90 फीसद और कुंदन आभूषणों के निर्यात में राजस्थान की हिस्सेदारी 60 फीसद से भी ज्यादा है. साल 2023-24 में राजस्थान से 83 हजार 704 करोड़ का कुल निर्यात हुआ जिसमें रत्न-आभूषणों की हिस्सेदारी 11 हजार 183 करोड़ रुपए की रही. 

जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में रत्न-आभूषण के लिए एक विशेष आर्थिक जोन बनाया गया है जो 110.8 एकड़ भूमि पर फैला है. इस आर्थिक क्षेत्र में 154 इकाइयां हैं जिनमें 20 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इसके साथ ही राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में रत्न-आभूषणों के 112 कारखाने संचालित हैं जिनमें 300 से ज्यादा प्रकार के बहुमूल्य व अर्द्ध कीमती रत्न-आभूषणों को तैयार किया जाता है. 

जयपुर के जौहरी बाजार व अन्य क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर जेम्स एंड ज्वैलरी का काम होता है जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर एक से डेढ़ लाख लोग जुड़े हुए हैं. जयपुर जेम्स आर्ट के कासिम खान कहते हैं, ‘‘ट्रंप टैरिफ का छोटे से लेकर बड़े व्यापारी तक असर होगा क्योंकि छोटे व्यापारी माल तैयार कर बड़े व्यापारियों को देते हैं तभी हमारे उत्पादों का विदेशों में निर्यात हो पाता है. 25 फीसद टैरिफ बढ़ा तो हमारे जैसे मध्यम व्यापारी तो निर्यात ही नहीं कर पाएंगे.’’  

रत्न-आभूषणों के साथ ही ट्रंप टैरिफ की मार हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र में पड़ने वाली है. विश्व का 95 फीसद हाथ से बुना कपड़ा भारत से निर्यात होता है. राजस्थान में करीब छह लाख शिल्पकार और कारीगर हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र से जुड़े हैं. हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग में राजस्थान की बड़ी भागीदारी का सबसे बड़ा कारण ये है कि ऊन, तांबे और कपास का यहां बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है. जयपुर की ब्लॉक प्रिंटिग और ब्लू पॉटरी, जोधपुर का लकड़ी का फर्नीचर और हस्तशिल्प, उदयपुर की लघु चित्रकला व संगमरमर की नक्काशी, बीकानेर के ऊंट के चमड़े से बने उत्पाद और बेहतरीन डिजाइन वाले कालीनों की विश्व में सबसे ज्यादा मांग है. राजस्थान में हथकरघा और हस्तशिल्प कला के 500 से ज्यादा उद्योग हैं.

ट्रंप टैरिफ का शिकार होने वाला राजस्थान का तीसरा बड़ा क्षेत्र गारमेंट्स व टैक्सटाइल है. भारत विश्व में कपड़ा उद्योग का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. फिलहाल राजस्थान का कपड़ा निर्यात 2 अरब अमेरिकी डॉलर है. राजस्थान में करीब दो हजार से ज्यादा कपड़ा उत्पादक इकाइयां संचालित हैं. यहां फाइबर से लेकर फैशन तक हर चीज का उत्पादन होता है. बीते साल करीब 30 लाख गांठ के साथ राजस्थान देश का सबसे बड़ा कपास उत्पादक राज्य बन गया है. देश में ऊन उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी 46 फीसद है. बंधनी, लहरिया, कोटा डोरिया जैसे उत्पादों की विश्व में खूब मांग है. भीलवाडा़, जयपुर, पाली और बालोतरा में राजस्थान का सबसे ज्यादा कपड़ा उत्पादन होता है. जाहिर है कि अब अमेरिकी टैरिफ की मार से ये भी अछूते नहीं रहेंगे.

हालांकि आने वाले महीनों में जब नए आंकड़े आएंगे तब यह साफ होगा कि हालात कितने खराब हैं, बहरहाल इसकी आशंका तो है ही.

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