scorecardresearch

TCS हजारों लोगों को नौकरी से यूं ही नहीं निकाल सकती! क्या है सरकार की तैयारी?

TCS ने घोषणा की थी कि वह वित्त वर्ष 2026 तक अपने ग्लोबल वर्कफोर्स का 2 फीसदी यानी तकरीबन 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है

TCS
सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 1 अगस्त , 2025

भारत की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने 27 जुलाई को यह घोषणा की थी कि वह हजारों कर्मचारियों की छंटनी की योजना पर काम कर रही है. TCS ने यह घोषणा ऐसे वक्त में की जब दूसरी आईटी कंपनियों में भी छंटनी को लेकर कई आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं. 

छंटनी के बारे में TCS ने घोषणा की थी कि वह वित्त वर्ष 2026 तक अपने ग्लोबल वर्कफोर्स का 2 फीसदी यानी तकरीबन 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है. यह कंपनी के 50 साल के इतिहास में सबसे बड़ी छंटनी है.

इसके बाद केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इस मामले में TCS को तलब किया है. मंत्रालय ने कंपनी से इस छंटनी की योजना पर स्पष्टीकरण मांगते हुए आला अधिकारियों को 1 अगस्त को श्रम मंत्रालय में बुलाया है. आईटी कर्मचारियों की यूनियन ने श्रम मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने की मांग की थी.

TCS के आला अधिकारियों को मुख्य श्रम आयुक्त के सामने अपना पक्ष रखना है. श्रम मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो TCS को दो प्रमुख मुद्दों पर जवाब देने के लिए श्रम मंत्रालय ने तलब किया है: 12,000 कर्मचारियों की छंटनी और 600 से अधिक अनुभवी पेशेवरों की भर्ती में देरी. इन 600 कर्मचारियों को कंपनी की तरफ से ऑफर लेटर के बावजूद काफी समय से उनकी ज्वाइनिंग नहीं कराई जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि इन्हें कंपनी की तरफ से बताया भी नहीं जा रहा कि आखिर ज्वाइनिंग कब होगी.

भारत के आईटी उद्योग का आकार तकरीबन 245 अरब डॉलर है. लेकिन TCS की इस घोषणा के बाद पूरे आईटी उद्योग में चिंता की लहर है. क्योंकि इस घटना ने अन्य आईटी कंपनियों में भी छंटनी की आशंकाओं को बल दिया है.

TCS के इस फैसले के बाद नासेंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (एनआईटीईएस) और कर्नाटक स्टेट आईटी/आईटीईएस एम्प्लॉइज यूनियन (केआईटीयू) जैसे आईटी कर्मचारी संगठनों ने केंद्रीय श्रम मंत्रालय को लिखित शिकायत भेजकर दखल देने की मांग की. इन संस्थाओं ने TCS द्वारा की जा रही छंटनी को 'अमानवीय', 'अनैतिक' और 'गैरकानूनी' करार दिया है.

इस पूरे मामले पर एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा कहते हैं, ''कंपनी ने कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना या सरकारी अनुमति के नौकरी से निकाला, जो औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 का उल्लंघन है. अगर TCS जैसी प्रमुख कंपनी को बिना पारदर्शिता या कानूनी जवाबदेही के बड़े पैमाने पर छंटनी करने की अनुमति दी गई, तो यह अन्य तकनीकी कंपनियों के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा.'' केआईटीयू ने भी TCS के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. इसमें दावा किया गया है कि कंपनी ने बड़े पैमाने पर छंटनी के लिए सरकार से पहले अनुमति नहीं ली, जो कानूनन अनिवार्य है.

इस पूरे मामले पर TCS ने अपने बयान में कहा है, ''यह छंटनी 'भविष्य के लिए तैयार' होने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वर्कफोर्स का पुनर्गठन, एआई का बड़े पैमाने पर उपयोग और अगली पीढ़ी की तकनीकों और बाजारों में निवेश शामिल है. इस यात्रा के हिस्से के रूप में, हम उन सहयोगियों को संगठन से मुक्त करेंगे जिनका तैनाती संभव नहीं है.''

जून, 2025 तक की स्थिति यह थी कि TCS में कुल 6,13,069 कर्मचारी काम कर रहे थे. इनमें से तकरीबन 12,000 की छंटनी हो रही है. इनमें से अधिकांश मिडल और अपर लेवल के कर्मचारी हैं. इनमें से भी अधिकांश ऐसे हैं जो पिछले 10 वर्षों से अधिक से कंपनी में काम कर रहे हैं.

दरअसल, आईटी कर्मचारियों के बीच असहजता इस नाते भी बढ़ रही है कि TCS अकेली आईटी कंपनी नहीं है, जो छंटनी की योजना पर काम कर रही है. आईटी कंपनियों का यही रुख केंद्र सरकार की भी चिंता बढ़ाने वाली है. श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी बताते हैं, ''रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष लगातार सरकार की नीतियों पर आक्रामक रुख अपनाए हुए है. ऐसे में अगर आईटी कंपनियों में छंटनी का दौर शुरू हुआ तो इससे मौजूदा सरकार के खिलाफ राजनीतिक माहौल बनने की आशंका है. इसलिए हमें इन मामलों में दखल देने को कहा गया है.''

TCS की इस घोषणा के पहले एचसीएल टेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सी. विजयकुमार ने कहा था कि कंपनी ने उत्पादकता और ऑटोमेशन बढ़ाने के लिए कुछ कर्मचारियों को कंपनी से बाहर किया है. देश की प्रमुख आईटी कंपनी विप्रो ने भी अपने वर्कफोर्स के पुनर्गठन की बात हाल के दिनों में कई बार दोहराई है. इंफोसिस से छंटनी को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन कर्मचारियों के बीच इस आशंका को लेकर बातचीत चल रही है. इसकी मुख्य वजह के तौर पर कंपनी के राजस्व में धीमी बढ़ोतरी और एआई के बढ़ते उपयोग को बताया जा रहा है. अप्रैल से जून, 2025 तिमाही में इंफोसिस की राजस्व वृद्धि दर सिर्फ 0.85 प्रतिशत रही.

TCS के एक मौजूदा कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ''कंपनी एक तरफ हजारों कर्मचारियों को निकाल रही है, जिन्होंने अपने जीवन के कई वर्ष इस कंपनी की प्रगति में लगाए हैं. वहीं सीईओ की सैलरी तकरीबन पांच प्रतिशत बढ़ाकर 26.5 करोड़ रुपये कर दी गई. इससे कर्मचारियों में असंतोष की स्थिति गहराती जा रही है.''

Advertisement
Advertisement