
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है. दरअसल दोनों देशों की सेनाएं अभी आधिकारिक तौर पर आमने-सामने के युद्ध में नहीं हैं इसलिए दोनों तरफ से कार्रवाई के तहत एयर स्ट्राइक की जा रही हैं. ऐसे हमलों के दौरान असल अहमियत होती है एयर डिफेन्स की. किसी भी देश के एयर डिफेन्स का मतलब होता है आसमान से किए गए हमले से निबटने का सिस्टम. इसमें दुश्मन की मिसाइल या ड्रोन को आसमान में ही खत्म कर दिया जाता है.
भारत ने 2021 में अपना एयर डिफेन्स सिस्टम अपग्रेड करते हुए S-400 लॉन्ग रेंज एयर डिफेन्स मिसाइलों की तैनाती की थी. रूस से ये सिस्टम खरीदने के बाद भारत ने इसका नाम रखा था ‘सुदर्शन’. ये वही मिसाइलें हैं जो इस समय ख़ूब चर्चा में हैं क्योंकि पाकिस्तान के करीब सभी हवाई हमलों को भारत ने न्यूट्रलाइज करने में कामयाबी हासिल की है. आसमान में मिसाइलों की टक्कर वाले कई वीडियो और जम्मू, पंजाब, राजस्थान में गिरी नाकाम मिसाइलें इस बात की तस्दीक करती हैं.

दो दिनों से सुदर्शन मिसाइलों की चर्चा इतनी ज्यादा हुई है कि ऐसा लगता है जैसे भारत का सारा एयर डिफेन्स सुदर्शन के हवाले ही है. जबकि हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भारत के पास सुदर्शन डिफेन्स सिस्टम नहीं था तब भी भारत के पास अपना स्वदेशी एयर डिफेन्स सिस्टम था. रूस से सीमित संख्या में हासिल किए गए सुदर्शन के अलावा बाकी के एयर डिफेन्स पर बात करें उससे पहले सुदर्शन के बारे में और जान लेते हैं.
क्यों सबसे कारगर है सुदर्शन?
सुदर्शन S-400 एयर डिफेंस सिस्टम एक ही समय में 36 लक्ष्यों को भेद सकता है. यह एक साथ 72 मिसाइलें लॉन्च कर सकता है क्योंकि एक मिसाइल के पीछे दूसरी मिसाइल इसलिए जाती है कि अगर किसी वजह से पहली मिसाइल टार्गेट को हिट ना कर सके तो उसके ठीक पीछे चल रही दूसरी मिसाइल टार्गेट को खत्म कर दे. इसमें चार अलग-अलग मिसाइलें होती हैं. ये दुश्मन के विमान, बैलिस्टिक मिसाइल और AWACS विमानों को 400 किमी, 250 किमी, मध्यम दूरी की 120 किमी और कम दूरी की 40 किमी पर मार सकती हैं.
सुदर्शन में एक कॉम्बैट कंट्रोल पोस्ट हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए एक थ्री-कोऑर्डिनेट जैम-रेसिस्टेंट फेज़्ड एरे रडार, छह-आठ एयर डिफेंस मिसाइल कॉम्प्लेक्स (12 ट्रांसपोर्टर-लॉन्चर के साथ), एक मल्टी-फंक्शनल फोर-कोऑर्डिनेट इल्यूमिनेशन एंड डिटेक्शन रडार, एक टेक्निकल सपोर्ट सिस्टम, मिसाइल ट्रांसपोर्टिंग व्हीकल और एक ट्रेनिंग सिमुलेटर शामिल है. सिस्टम में एक ऑल-एल्टीट्यूड रडार और एंटीना पोस्ट के लिए मूवेबल टावर भी शामिल होते हैं. इसकी एक ताकत ये भी है कि इसका रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है.

रूस ने क्यों बनाया था S-400
शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी. जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टार्गेट पर पहुंचने से पहले ही खत्म कर दे. 1967 में रूस ने S-200 प्रणाली विकसित की. ये S सीरीज की पहली मिसाइल थी. साल 1978 में S-300 को विकसित किया गया. S-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी. साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली S-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया, जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया. 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दी.
अमेरिकी दबाव को ठुकराकर हासिल किया था सुदर्शन
S-400 को हासिल करने की राह आसान नहीं थी. 2018 में भारत ने रूस के साथ पांच S-400 स्क्वाड्रन के लिए 5.43 अरब डॉलर का सौदा किया, लेकिन अमेरिका ने इसका कड़ा विरोध किया. अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शन्स एक्ट (CAATSA) के तहत भारत को प्रतिबंधों की धमकी दी, क्योंकि वह भारत और रूस के बढ़ते सैन्य संबंधों से चिंतित था. अमेरिका ने नतीजों की चेतावनी दी थी और भारत को अमेरिकी THAAD या पैट्रियट PAC-3 सिस्टम खरीदने के लिए दबाव डाला, यह कहते हुए कि वे NATO गाइडलाइन के हिसाब से भारत की जरुरत के हिसाब से ठीक हैं.
लेकिन भारत ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी. S-400 की बेहतर रेंज और क्षमताएं अमेरिकी विकल्पों से कहीं आगे थीं—THAAD मुख्य रूप से बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा पर केंद्रित है, लेकिन S-400 की तरह हर तरह के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम नहीं है. इसके अलावा, रूस के साथ भारत की पुरानी रक्षा साझेदारी भी अहम थी, क्योंकि भारत का 60-70% सैन्य हार्डवेयर रूस से आता है. 2021 में जब पहला S-400 स्क्वाड्रन भारत पहुंचा, तब तक भारत ने कूटनीतिक चतुराई से अमेरिकी दबाव को कम कर लिया था. भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और क्वाड गठबंधन में अपनी रणनीतिक अहमियत का फायदा उठाकर प्रतिबंधों से बचाव किया. इस खरीद ने न केवल भारत की हवाई रक्षा को मजबूत किया, बल्कि रणनीतिक आजादी का संदेश भी दिया, जिसमें भारत ने दोनों महाशक्तियों के साथ संतुलन बनाया.

भारत का एयर डिफेन्स सिस्टम सिर्फ S-400 के भरोसे?
भारत की आत्मरक्षा की कार्रवाई में लगातार सुदर्शन का नाम लिया जा रहा है इसलिए ऐसा लग सकता है कि भारत का सारा एयर डिफेन्स सिस्टम सुदर्शन के भरोसे है. लेकिन अच्छी बात ये है कि ऐसा है नहीं. भारत के पास जब सुदर्शन नहीं था तब भी भारत का एयर डिफेन्स काफी मजबूत था. भारत के पास एयर डिफेन्स के और भी ऑप्शन हैं जो एक ही समय पर सस्ते, सटीक और कारगर हैं. हमारे पास अपना डिवेलप किया हुआ आकाश है, L-70 है, ZCU-23 है, Shilka-29 है, AMT-49 है और बाकी डीआरडीओ की काफ़ी वेरायटी वाली ट्रेसर ड्रीज्लर एयर गन्स तो हैं ही.
क्यों सिर्फ सुदर्शन के भरोसे बैठना मुश्किल है?
सबसे पहली बात ये कि रूस से भारत ने S-400 की पांच यूनिट खरीदने का करार किया था, जिनमें से तीन ही डिलीवर हो पाई थीं. उसके बाद रूस युक्रेन वॉर शुरू हो गया जिसकी वजह से बाकी के दो यूनिट भारत को मिल नहीं पाए. तो इस वजह से सुदर्शन मिसाइल्स की संख्या सेना के पास लिमिटेड ही है. दूसरी बात कि आसमान से आते हर प्रोजेक्टाइल के लिए सुदर्शन मिसाइल से जवाब देने की जरुरत भी नहीं है. क्योंकि इनसे निपटने के लिए भारत के एयर डिफेन्स के पास पहले से कारगर ऑप्शन हैं.

पाकिस्तान की तरफ से होने वाली स्ट्राइक को आसमान में ही तबाह करने के लिए सबसे अंतिम उपाय के तौर पर सुदर्शन मिसाइल का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि जब क्रिकेट मैच गिनती के ओवर्स का हो रहा हो तो आपको अपना सबसे कारगर बोलर आख़िरी के ओवर्स तक बचा कर रखना पड़ता है.
पाकिस्तान ने 8 मई की रात जम्मू, पंजाब और राजस्थान के कई इलाकों पर स्ट्राइक करने की भरपूर कोशिश की लेकिन भारत के एयर डिफेन्स सिस्टम को भेदने में कामयाब नहीं हो पाया. ज़ाहिर सी बात है कि पाकिस्तान भारत की सबसे सटीक एयर डिफेन्स मिसाइल सुदर्शन के खत्म होने का इंतजार कर रहा है और इसीलिए कम क्षमता वाली मिसाइलों से स्ट्राइक करके भारत के ज्यादा से ज्यादा एयर डिफेन्स को ख़र्च करवाना चाहता है. लेकिन सीमा पार की इस चाल को भारत भी अच्छी तरह से समझ रहा है और अपने सुपरहीरो सुदर्शन को तभी एक्टिव कर रहा है जब बाकी के एयर डिफेन्स सिस्टम के बस से बात बाहर जा चुकी हो.

कितना मजबूत है भारत का एयर डिफेन्स
भारत सरकार की जारी की गई गाइडलाइन्स के मुताबिक़ रक्षा क्षेत्र की बहुत बारीक जानकारियां उजागर करने से ‘परहेज किया जाना चाहिए’. लेकिन ये बात तय है कि पाकिस्तान के मुकाबले भारत का एयर डिफेन्स सिस्टम कई गुना बेहतर है. इस बात को भारत ने शुरुआती स्ट्राइक्स को पूरी तरह न्यूट्रलाइज करके साबित भी कर दिया है. इसलिए चिंता करने की वजह भारत का एयर डिफेन्स तो नहीं ही है.