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विधानसभाओं में कैसे घट रही बहस की गुंजाइश! बीते साल के आंकड़े और किस ट्रेंड का इशारा देते हैं?

‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ ने मई 2025 में ‘एनुअल रिव्यू ऑफ स्टेट लॉज 2024’ रिपोर्ट जारी की है. इसमें 2024 के दौरान तमाम राज्यों की विधानसभाओं से मिले आंकड़ों की बुनियाद पर कई ट्रेंड सामने आए हैं

विधानसभा की सांकेतिक तस्वीर
विधानसभा की सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 19 मई , 2025

विधानसभा से पास विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी मिलने का मसला इन दिनों बहस का विषय बना हुआ है. 

साल 2024 में विधानसभा से पारित विधेयकों को राज्यपाल के दफ्तर से पास होने में कितना समय लगा, यह जानना दिलचस्प है. 

दरअसल, पिछले साल कुछ राज्यों में विधानसभा से पास विधेयक राज्यपाल दफ्तर से तुरंत पास हो गए, जबकि कुछ राज्यों में कई विधेयकों को पास होने में तीन महीने से भी ज्यादा समय लग गए. 

2024 में 18 फीसद विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी मिलने में तीन महीने से अधिक का समय लगा, जबकि 60 फीसद विधेयकों को एक महीने के भीतर मंजूरी मिल गई. बता दें कि देश में कुल 31 विधानसभा हैं, जिनमें 28 राज्यों की विधानसभा है और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा हैं.  

यह जानकारी ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ की मई 2025 में जारी  ‘एनुअल रिव्यू ऑफ स्टेट लॉज 2024’ रिपोर्ट में सामने आई है. इस रिपोर्ट की एक खास बात यह है कि अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मिजोरम और राजस्थान के सभी विधेयकों को एक दिन के भीतर ही मंजूरी मिल गई. 

हैरानी की बात ये भी है कि विधानसभा में विधेयकों पर बहस की परंपरा लगभग समाप्त होती दिख रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2024 में 51 फीसद विधेयक जिस दिन सदन में पेश किया गया, उसी दिन या अगले दिन पास हो गया. देश की सभी विधानसभा ने बीते साल 500 से ज्यादा विधेयक पास किए हैं.

दक्षिणी राज्य तमिलनाडु ने 2020 से 2023 के बीच 12 विधेयकों को राज्यपाल से  मंजूरी न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इन विधेयकों को मंजूरी देने की खातिर राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए समय-सीमा तय की थी. 

इसके बाद पिछले दिनों राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से ही इस मसले के विभिन्न पहलुओं पर राय मांगी. राष्ट्रपति को संवैधानिक या कानूनी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से परामर्श का अधिकार संविधान में दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में राज्यों की विधानसभा ने 500 से ज्यादा विधेयक पारित किए. इस दौरान सबसे ज्यादा 49 विधेयक कर्नाटक ने पास किए. इसके अलावा तमिलनाडु ने 45, हिमाचल प्रदेश ने 32 और महाराष्ट्र ने 32 विधेयक पास किए, जबकि दिल्ली ने सिर्फ एक, राजस्थान ने दो और ओडिशा व पुडुचेरी ने तीन-तीन विधेयक पास किए.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा अपना काम एकदम झटपट अंदाज में कर रही है. वैसे तो विधेयक पर बहस के लिए नेता बयान देते रहते हैं, लेकिन विधानसभा के आंकड़े एकदम अलग कहानी बयां करते हैं.

साल 2024 में 51 फीसद विधेयक जिस दिन सदन में आए उसी दिन या उसके अगले दिन पारित हो गए. वहीं, 2023 में 44 फीसद विधेयक जिस दिन सदन में आए उसी दिन पास हो गए. 

आठ राज्यों-बिहार, दिल्ली, झारखंड, मिजोरम, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने सभी विधेयक पेश होने वाले दिन या उसके अगले दिन पारित कर दिया. 

16 राज्यों ने पांच दिन के भीतर सभी विधेयक पारित कर दिए. हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने 32 विधेयक पारित किए, जिनमें से 17 विधेयक 5 सितंबर 2024 को पेश किए गए और सदन में पेश होने के अगले दिन पारित किए गए.

राजस्थान ने सभी विधेयकों को पारित करने के लिए 5 दिन से ज्यादा का समय लिया. आश्चर्य की बात है कि विचार के लिए समितियों को सिर्फ 4 फीसद विधेयक भेजे गए.

हिमाचल प्रदेश में 72 फीसद पारित विधेयकों को मंजूरी देने में तीन महीने से ज्यादा का समय लगा। बंगाल में 38 प्रतिशत पारित विधेयकों को मंजूरी देने में ज्यादा समय लिया गया। सिक्किम में 56 प्रतिशत पारित विधेयकों को मंजूरी देने में ज्यादा समय लिया गया. वहीं, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मिजोरम और राजस्थान जैसे राज्यों में सभी विधेयकों को एक महीने के भीतर मंजूरी मिल गई

संविधान का अनुच्छेद 178 कहता है कि चुनाव के बाद राज्यों में जल्द से जल्द स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होगा. स्पीकर का चुनाव तो हो जाता है, लेकिन डिप्टी स्पीकर के मामले में स्थिति बहुत खराब है. 

अप्रैल 2025 तक आठ राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों की विधानसभा में डिप्टी स्पीकर नहीं चुना गया. झारखंड में तो 20 साल से डिप्टी स्पीकर ही नहीं चुना गया है.

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