उम्र के 20वें दशक के बाद कोलेजन की कमी के कारण त्वचा में एक रूखापन आने लगता है. उम्र बढ़ने के साथ शरीर में मौजूद मेलेनिन नामक कोशिकाओं से निकलने वाले मेलेनिन लिक्विड के कारण बॉडी पर असमान रंगत और धब्बे नजर आने लगते हैं.
इसके अलावा शरीर में पाए जाने वाले एक तरह के वसा लिपिड उत्पादन में कमी और नमी घटने के कारण रूखापन लगातार बढ़ता जाता है. उम्र बढ़ना एक सतत प्रक्रिया है और समय के साथ त्वचा पर महीन रेखाएं और झुर्रियां आना भी सामान्य बात है.
विज्ञान बताता है कि त्वचा की उम्र बढ़ना एक आंतरिक और बाहरी दोनों प्रक्रिया है. ये बदलाव कई बार बहुत सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण होते हैं-जैसे त्वचा का गठन, असमान रंगत और लगातार रूखापन.
हालांकि, त्वचा की उम्र बढ़ने के इन शुरुआती संकेतों को अमूमन कोई खास तवज्जो नहीं दी जाती या नजरअंदाज ही कर दिया जाता है. इन शुरुआती लक्षणों को पहचानना व्यापक स्तर पर त्वचा की देखभाल को दिनचर्या का हिस्सा बनाने के लिए बेहद जरूरी है, जिसमें उम्रदराज होती त्वचा के सभी पहलू समाहित हैं.
1. त्वचा की बनावट में बदलाव
उम्र बढ़ने के साथ त्वचा कम कोमल, कुछ ढीली-ढाली हो जाती है और छूने पर खुरदुरापन महसूस होता है. यह मुख्यत: शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन कोलेजन के धीरे-धीरे कम होने की वजह से होता है. कोलेजन त्वचा में कसाव और उसकी पूरी बनावट में अहम भूमिका निभाने वाला एक प्रोटीन है.
यह प्रोटीन 20-30 की उम्र के बाद हर साल करीब एक फीसद कम हो जाता है. ये लक्षण 40 की उम्र के बाद ज्यादा नजर आते हैं. नई कोशिकाएं निर्मित होने की धीमी गति, तेल उत्पादन में कमी और मृत त्वचा आसानी से न निकलना सामान्य प्रक्रिया है और इसके साथ ही यूवी विकिरण, प्रदूषण, खराब जीवनशैली जैसे बाहरी कारक भी त्वचा को रूखा और बेजान बनाते हैं.
ये त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर उनकी उम्र बढ़ने की गति तेज कर देते हैं. जैसे-जैसे त्वचा की उम्र बढ़ती है, मृत कोशिकाएं हटाने और उन्हें ठीक करने की उसकी क्षमता घटती जाती है. इससे त्वचा में रूखापन आता है और वो बेजान लगने लगती है और पर्यावरणीय जोखिमों के प्रति उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है.
2. असमान रंगत और हाइपरपिग्मेंटेशन
उम्र बढ़ने के साथ त्वचा की रंगत असमान हो जाती है, रूखापन, धब्बे और हाइपरपिग्मेंटेशन की भी समस्या नजर आने लगती है. जैसे-जैसे यूवी किरणों और पर्यावरणीय तनाव से निपटने की त्वचा की घटती है, मेलेनिन का उत्पादन अनियमित हो जाता है. इससे त्वचा का निखार फीका पड़ जाता है और दाग-धब्बे साफ दिखाई देने लगते हैं.
3. बढ़ता रूखापन
रूखापन लगातार बढ़ना भी उम्रदराज होती त्वचा का एक आम लेकिन कम जाना-पहचाना लक्षण है. यह लिपिड उत्पादन में कमी के कारण होता है, जिससे त्वचा की प्राकृतिक परत कमजोर होने से इसकी नमी घटी जाती है. त्वचा रूखी और खुरदुरी हो जाती है और संवेदनशील होने से बार-बार जलन महसूस होना भी आम बात हो जाती है.
त्वचा की देखभाल के लिए एक बुनियादी नियम यही है कि इसकी साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दें, नमी को बरकरार रखने के उपाय करें और इसे धूप से सुरक्षित रखें. उम्र बढ़ने के संकेत देने वाले ऐसे कम जाने-पहचाने लक्षणों पर गौर करके और बचाव के रास्ते अपनाकर आप अपनी त्वचा के निखार को आसानी से बरकरार रख सकते हैं.
कोलेजन स्तर बेहतर बनाएं
टॉपिकल रेटिनॉल क्रीम या सीरम कोलेजन बढ़ाने, त्वचा की कसावट को बरकरार रखने और नई कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करते हैं. निम्न सांद्रता (जैसे 0.1%) से शुरुआत और उन्नत तकनीकी फॉर्मूले वाले सीरम चुनना सबसे अच्छा है. पेप्टाइड्स भी कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देने और त्वचा का रुखापन दूर करने में मददगार होते हैं.
हल्का एक्सफोलिएशन
हफ्ते में दो-तीन बार अल्फा-हाइड्रॉक्सी एसिड (एएचए) जैसे ग्लाइकोलिक या लैक्टिक एसिड युक्त हल्के रासायनिक एक्सफोलिएंट के इस्तेमाल से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद मिलती है और बाहरी परत को नुकसान पहुंचाए बिना त्वचा सुगठित हो जाती है.
त्वचा की कोमलता बढ़ाएं
हायलूरोनिक एसिड त्वचा को नमीयुक्त और कोमल बनाने में मदद करता है. सेरामाइड युक्त उत्पाद रूखापन दूर करके त्वचा को कोमल बनाते हैं, जबकि शीया बटर या स्क्वैलेन जैसे उत्पाद त्वचा की नमी बरकरारर रखने में मदद करते हैं. पिग्मेंटेशन रोकने और कोलेजन को बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना भी बेहद जरूरी है.