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मस्जिद में सपा का ऑफिस! बीजेपी के आरोपों का सच क्या है?

संसद भवन से सटी एक मस्जिद में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मौजूदगी से गरमाई सियासत, सपा ने सामाजिक मुलाकात बताया तो बीजेपी लगा रही है धार्मिक स्थल के दुरुपयोग का आरोप

Akhilesh Yadav accused of holding meeting in mosque (Photo- @MPDharmendraYdv/X)
अखिलेश यादव पर मस्जिद में बैठक करने का आरोप (Photo- @MPDharmendraYdv/X)
अपडेटेड 24 जुलाई , 2025

संसद भवन से सटी एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का अपने सांसदों के साथ जाने की घटना ने सपा और केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच की सियासी तकरार को एक बार फिर से बढ़ा दिया है. 

संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन यानी 21 जुलाई को अखिलेश यादव अपने सांसदों के साथ इस मस्जिद में गए थे लेकिन इस घटना की गूंज बुधवार को सुनाई दी. 23 जुलाई को जब संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी नेताओं के साथ सपा सांसद भी बिहार में चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन के विरोध में सत्र नहीं चलने देने के लिए खड़े हुए. तब बीजेपी सांसदों ने आक्रामक रुख अपनाते हुए सपा पर धार्मिक स्थल के दुरुपयोग का आरोप लगाया और सपा को बैकफुट पर लाने की कोशिश की. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने दावा किया कि अखिलेश ने मस्जिद को "सपा का कार्यालय" बना दिया है.

हालांकि, सपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे सामाजिक मेलजोल बताया और बीजेपी पर असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाते हुए पलटवार किया. दरअसल, संसद भवन से सटी इस मस्जिद के इमाम रामपुर से सपा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी हैं. उनका आवास भी इस मस्जिद परिसर के अंदर ही है. वे पिछले तकरीबन 15 सालों से इस मस्जिद के इमाम हैं और मस्जिद परिसर में ही रहते हैं.

संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन अखिलेश यादव की वहां जाने की योजना कैसे बनी? इस बारे में अखिलेश यादव के साथ वहां गए चंदौली से सपा सांसद वीरेंद्र सिंह बताते हैं, ''संसद की कार्यवाही ​स्थगित हुई. हम सभी सांसद अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही थे. डिंपल यादव भी थीं. तय हुआ कि कॉफी पीते हुए बातचीत करते हैं. एक विकल्प पार्लियामेंट की कैंटीन जाने का था. इतने में हमारे रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा कि उनका आवास बिल्कुल संसद के गेट के पास ही है और उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे उनके आवास पर चलें. उन्होंने कहा कि कॉफी की व्यवस्था वे करा देंगे. मोहिबुल्लाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से ये भी कहा कि अगर आप मेरे यहां चलेंगे तो मेरा भी मान-सम्मान थोड़ा बढ़ जाएगा. इसके बाद हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष वहां जाने के लिए तैयार हो गए और हम सबको लेकर वहां गए. इतनी-सी बात है जिसको बीजेपी बेवजह तूल दे रही है.''

इस मुद्दे पर बीजेपी के आक्रामक रुख के बारे में वे कहते हैं, ''बीजेपी पानी में आग लगाने वाली पार्टी है. जहां कुछ नहीं होगा, वहां उनको बहुत अच्छा दिखेगा और जहां बहुत कुछ है, उस पर चर्चा करने से कतराते हुए दिखेंगे.'' सांसद मोहिबुल्लाह के घर पर क्या बातचीत हुई, इस बारे में वीरेंद्र सिंह बताते हैं, ''राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी सांसदों के बीच जो सामान्य बातचीत होती है, वही बातचीत हुई. हम लोग अपने किसी सांसद के आवास पर गए थे, कोई पार्टी की मीटिंग के लिए तो गए नहीं थे.''

मोहिबुल्लाह नदवी ने भी इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने ही अखिलेश यादव को मस्जिद आने का निमंत्रण दिया था. उन्होंने कहा कि जब वे आए तो हमने मस्जिद के ऐतिहासिक अहमियत के बारे में बताया, जहां पूर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मौलाना आजाद जैसे स्वतंत्रता सेनानी नमाज पढ़ चुके हैं. नदवी ने कहा कि वहां कोई राजनीतिक बैठक नहीं हुई.

बीजेपी ने इस घटना को तूल देते हुए इसे धार्मिक संवेदनाओं का अपमान बताया. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी कहते हैं, "मस्जिद इबादत की जगह है न कि सियासी बैठकों का अड्डा. अखिलेश ने इसे सपा का कार्यालय बना दिया." उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड और दिल्ली की मंत्री रेखा गुप्ता से नदवी को इमाम पद से हटाने की भी मांग कर दी. सिद्दीकी ने 25 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद मस्जिद में विरोध प्रदर्शन की भी घोषणा की. इससे लगता है कि बीजेपी अभी इस मामले को ठंढ़ा पड़ने देने के मूड में नहीं है.

इन आरोपों के बारे में बुधवार को जब अखिलेश यादव से संसद भवन परिसर ने पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, "आस्था जोड़ती है. हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. बीजेपी को यही दिक्कत है कि लोग एकजुट न हों. उनका हथियार धर्म है, जो समाज को बांटता है." सपा सांसद डिंपल यादव ने भी इसे सामाजिक मुलाकात बताया और कहा कि बीजेपी बिहार में एसआईआर, पहलगाम हमले, और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है.

इस विवाद को और तूल देते हुए बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने डिंपल यादव के पहनावे पर आपत्ति जताई. सिद्दीकी कहते हैं, "डिंपल ने ब्लाउज पहना था, जिसमें उनका पेट दिख रहा था. यह मस्जिद की मर्यादा के खिलाफ है." संसद भवन परिसर में डिंपल यादव ने इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उनके कपड़े भारतीय संस्कृति के अनुरूप थे और बीजेपी महिलाओं का अपमान कर रही है.

दोनों तरफ से इस मामले पर जिस तरह की बयानबाजी चल रही है और दिल्ली की घटना जिस ढंग से लखनऊ में राजनीतिक बयानबाजी की वजह बन रही है, उससे साफ दिख रहा है कि अभी यह मामला शांत नहीं होने वाला है.

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