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सोनम वांगचुक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस, किन सवालों के जवाब मांगे

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर सोनम वांगचुक की हिरासत के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है

सोनम वांगचुक. (File Photo: ITG)
सोनम वांगचुक. (File Photo: ITG)
अपडेटेड 6 अक्टूबर , 2025

6 अक्तूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत के खिलाफ उनकी पत्नी गीतांजलि आंग्मो की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई की है.

इस मामले में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने केंद्र, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.

14 अक्तूबर को इस मामले में दोबारा सुनवाई होनी है. इस मामले पर सुनवाई के वक्त सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लेने से पहले उनकी पत्नी गीतांजलि आंग्मो सूचना क्यों नहीं दी गई? साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा कि सोनम की पत्नी को उनसे क्यों नहीं मिलने दिया जा रहा है? इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार से गीतांजलि आंग्मो की याचिका पर जवाब तलब किया है. 

गीतांजलि आंग्मो ने अपनी याचिका में दावा किया है कि हिरासत में लिए जाने के बाद से ही उन्हें अपने पति सोनम वांगचुक से नहीं मिलने दिया जा रहा है. अनुच्छेद 32 के तहत दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में गीतांजलि ने सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग की है. इसके अलावा अपनी याचिका में उन्होंने अनुच्छेद 22 के तहत सोनम की हिरासत को अवैध बताया है. 26 सितंबर को हिरासत में लिए जाने के बाद सोनम वांगचुक को जोधपुर जेल में रखा गया है.

सुनवाई के दौरान गीतांजलि आंग्मो की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि हिरासत नोटिस की कॉपी उन्हें नहीं दी गई है. इसके बिना हिरासत को चुनौती नहीं दे सकते. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सोनम वांगचुक के हिरासत के आदेश की कॉपी उनकी पत्नी को दी जाए.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सोनम वांगचुक को जेल में चिकित्सा सुविधा दी जाए. हालांकि, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिरासत के आधार पहले ही वांगचुक को बता दिए गए थे. हिरासत में लिए जाने के बाद उनके भाई ने उनसे मुलाकात की थी.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि अधिकारियों को वांगचुक की पत्नी को हिरासत में लेने का आधार बताने से आपको किसने रोका? इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि बंदी की पत्नी को इसकी जानकारी देने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है.

सरकारी वकील ने आगे कहा, "कानून के अनुसार हिरासत में लिए गए व्यक्ति की जरूरतें पूरी करनी होती हैं और हमने ऐसा किया है. बाकी इनके आरोपों की हम इसकी जांच करेंगे. ऐसा कोई मुद्दा नहीं है. लेकिन, हम नहीं चाहते कि वे हिरासत आदेश को चुनौती देने के लिए कोई नया आधार तैयार करें."

इस पर गीतांजलि के वकील सिब्बल ने कहा कि परिवार को इस केस की कोई प्रति नहीं दी गई है और उन्हें मिलने भी नहीं दिया जा रहा है. सिब्बल ने कोर्ट से अनुरोध किया कि आंग्मो को उसके पति से मिलने की अनुमति दी जाए, क्योंकि अभी तक उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आंग्मो से पूछा कि उन्होंने अपने पति से मिलने का अनुरोध कब किया था? गीतांजलि आंग्मो ने जवाब दिया कि वे पिछले सप्ताह जोधपुर गई थीं और उनसे मिलने का अनुरोध कर रही थीं, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली है.

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह दावा पूरी तरह से झूठा है. इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र समेत दो राज्यों की सरकार से याचिका पर जवाब तलब किया. अब इस पर 14 अक्टूबर को सुनवाई होनी है.

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