24 सितंबर को लेह में शांतिपूर्ण आंदोलन अचानक हिंसक हो गया. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की. मामला यहीं नहीं थमा, प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई और भीड़ ने BJP दफ्तर को आग के हवाले कर दिया.
इस हिंसक आंदोलन में चार लोगों की मौत हुई और 40 पुलिस अधिकारियों सहित कम से कम 80 लोग घायल हुए. लेह में सड़कों पर झड़पें और आगजनी के बाद प्रशासन ने BNSS की धारा 163 के तहत पूरे लद्दाख में कर्फ्यू लगा दिया.
हिंसा के कारण जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को अपनी भूख हड़ताल खत्म करनी पड़ी. दरअसल, वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और लद्दाख में छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर पिछले दो सप्ताह से भूख हड़ताल पर बैठे थे.
केंद्र सरकार ने इस अशांति के लिए सोनम वांगचुक को दोषी ठहराया है. सरकार ने आरोप लगाया कि वांगचुक के भड़काऊ बयानों और “राजनीति से प्रेरित” समूहों ने प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाया है. सरकार का कहना है कि केंद्रीय अधिकारियों और लद्दाखी प्रतिनिधियों के बीच चल रही बातचीत से कुछ लोग खुश नहीं हैं, उन्हीं लोगों ने इस हिंसक प्रदर्शन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है.
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में क्या कहा है?
10 सितंबर को केंद्रीय अधिकारियों और लद्दाखी प्रतिनिधियों के बीच चल रही बातचीत से नाखुश “सोनम वांगचुक ने छठी अनुसूची और लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी. भारत सरकार इन्हीं मुद्दों पर लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ बातचीत कर रही है.
उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) और उप-समितियों के औपचारिक माध्यम से यहां के नेताओं के साथ कई बैठकें हुईं. इस बातचीत के आधार पर सरकार लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 45 फीसद से बढ़ाकर 84 फीसद करने पर सहमत हुई है. इसके अलावा परिषदों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण देने और भोटी व पुर्गी भाषा को आधिकारिक भाषा घोषित करने पर भी विचार हो रहा है.
इसके साथ ही लद्दाख में सरकारी 1800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. हालांकि, कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्ति एच.पी.सी. के तहत हुई इन प्रगति से खुश नहीं हैं. ऐसे लोग वार्ता प्रक्रिया को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं.
उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अगली बैठक 6 अक्टूबर को निर्धारित की गई है, जबकि लद्दाख के नेताओं के साथ 25 और 26 सितंबर को भी बैठकें आयोजित करने की योजना है.
जिन मांगों को लेकर श्री वांगचुक भूख हड़ताल पर थे, वे एचपीसी में चर्चा का प्रमुख विषय है. कई नेताओं ने उनसे भूख हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया, इसके बावजूद उन्होंने भूख हड़ताल जारी रखी. इतना ही नहीं सोनम ने अपने भाषण में अरब स्प्रिंग और नेपाल के Gen Z विरोध प्रदर्शनों का जिक्र कर लोगों को हिंसक आंदोलन के लिए उकसाया.
24 सितंबर को सुबह लगभग 11:30 बजे उनके भड़काऊ भाषणों से उत्तेजित भीड़ ने भूख हड़ताल स्थल से निकलकर एक राजनीतिक दल (BJP) के कार्यालय और लेह के मुख्य चुनाव आयुक्त के सरकारी कार्यालय पर हमला कर दिया. उन्होंने इन कार्यालयों में आग लगा दी, सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया. पुलिस वाहनों में आग लगा दी.
बेकाबू भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया, जिसमें 30 से ज्यादा पुलिस/सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए. भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और पुलिसकर्मियों पर हमला करना जारी रखा. आत्मरक्षा में पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी, जिसमें दुर्भाग्य से कुछ लोगों के मारे जाने की खबर है.
दिन के शुरुआती समय में घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद शाम 4 बजे तक स्थिति नियंत्रण में आ गई. यह स्पष्ट है कि श्री सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों ने भीड़ को उकसाया था. इस हिंसक घटनाक्रम के बीच उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई गंभीर प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गांव के लिए रवाना हो गए.
सरकार संवैधानिक सुरक्षा देकर लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे में लद्दाख के लोगों से यह अनुरोध किया जाता है कि लोग पुराने और भड़काऊ वीडियो मीडिया और सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करें.