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सोनम वांगचुक अपनी ‘दिल्ली चलो’ पदयात्रा से क्या मांग उठा रहे थे और उन्हें क्यों हिरासत में लिया गया?

लद्दाख के क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और उनके साथियों को दिल्ली पुलिस ने सिंघू बॉर्डर के पास राष्ट्रीय राजधानी में घुसने से पहले ही डिटेन कर लिया है

सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक
सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक
अपडेटेड 1 अक्टूबर , 2024

क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की अगुवाई में अपने क्षेत्र के लिए संवैधानिक सुरक्षा मांग रहे लद्दाख के 150 लोगों को 30 सितंबर की देर रात सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. यह 'दिल्ली चलो' पदयात्रा 1 सितंबर को लेह से शुरू हुई थी और 30 सितंबर की शाम दिल्ली पहुंचनी थी. दिल्ली पहुंचकर लद्दाख के लोग गांधी जयंती के दिन राजघाट पर अपनी यात्रा समाप्त करना चाहते थे.

लद्दाख के दो प्रभावशाली सिविल सोसाइटी ग्रुप - लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने यह मार्च आयोजित किया था. 'दिल्ली चलो' मार्च का उद्देश्य लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची (आदिवासी क्षेत्रों की सुरक्षा से जुड़ी) में जगह, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और क्षेत्र के लिए दो लोकसभा और एक राज्यसभा सीट की मांग उठाना और उसे पूरी कराना था.

इसके साथ ही लद्दाख के अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग में भूमि अधिकारों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व भी शामिल है, जिससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके. इन मांगों को लेकर लद्दाख के लोग 2019 से ही धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. सोनम वांगचुक के साथ लगभग 75 स्वयंसेवकों ने 1 सितंबर को लेह से अपना पैदल मार्च शुरू किया था. वे इससे पहले मार्च में 21 दिन की भूख हड़ताल भी कर चुके है.

जब 5 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A को खत्म करते हुए संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित किया गया, तो लद्दाख के लोगों, खासकर लेह के लोगों ने इस स्थिति में बदलाव का जश्न मनाया और खुशी मनाई. केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग लद्दाख के लोग लंबे समय से कर रहे थे.

हालांकि, नौकरशाहों के वर्चस्व को लेकर उनमें संदेह पैदा हो गया और इस तरह उन्होंने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग शुरू कर दी. वे नहीं चाहते कि इस क्षेत्र पर नई दिल्ली में बैठे नौकरशाहों का शासन हो. छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्र को अपने संसाधनों, भूमि, प्रशासन, शासन पर अधिक नियंत्रण मिलता है और लद्दाख के लोगों का कहना है कि इससे उनकी सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण होगा.

नौकरशाहों से ही जुड़े सुधारों के लिए लोग लद्दाख के लिए अलग 'पब्लिक सर्विस कमीशन' की भी मांग कर रहे हैं जिससे कि उन्हें प्रशासन में बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सके. लद्दाख के लोगों का दावा है कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने से वहां के संसाधनों का अधिक दोहन किया जा सकता है और यह हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्र के लिए भी सही नहीं. इसलिए, खुद को और अपने क्षेत्र को औद्योगिक शोषण से बचाने के लिए उन्होंने अपनी मांगें रखी हैं.

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, वांगचुक और उनके साथ आए लोगों को आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर हिरासत में लिया गया और उन्हें बवाना, नरेला औद्योगिक क्षेत्र और अलीपुर सहित अलग-अलग पुलिस थानों में ले जाया गया है. अधिकारी ने पीटीआई को दिए बयान में कहा, "हमने उन्हें वापस जाने के लिए मनाने की कोशिश की क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 (जो पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाती है) लागू है, लेकिन वे अड़े रहे."

पदयात्रा समूह के ही एक प्रतिनिधि ने ही देर रात बताया कि वांगचुक को बवाना पुलिस स्टेशन ले जाया गया लेकिन इस सामाजिक कार्यकर्ता को उसके वकीलों से मिलने नहीं दिया जा रहा है. हिरासत में लिए जाने के बाद सोनम वांगचुक के समूह से जुड़े लोगों ने उन पुलिस स्टेशनों पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया है, जहां उन्हें रखा गया है.

प्रतिनिधि ने दावा किया कि वांगचुक और समूह के अन्य सदस्यों ने आधिकारिक अनुमति मांगी थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ईमेल भी किया था, लेकिन उस जानकारी का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के लिए किया गया. लद्दाख के सांसद मोहम्मद हनीफा ने पीटीआई को बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों में करीब 30 महिलाएं भी शामिल हैं और उन्हें पुरुष बंदियों के साथ रखा गया है. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने सोमवार रात बताया था कि महिला प्रदर्शनकारियों को हिरासत में नहीं लिया गया है.

इससे पहले 30 सितंबर की सुबह, दिल्ली पुलिस ने अगले छह दिनों के लिए उत्तरी और मध्य दिल्ली और दिल्ली की सीमा से लगे इलाकों में पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने, बैनर, तख्तियां, हथियार लेकर चलने या विरोध प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. पुलिस ने इसके पीछे दलील दी थी कि दिल्ली में लॉ एंड आर्डर के हिसाब से माहौल संवेदनशील है. साथ ही पुलिस ने प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के मद्देनजर सांप्रदायिक माहौल, एमसीडी स्थायी समिति के चुनावों का राजनीतिक मुद्दा, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों की लंबित घोषणा, 2 अक्टूबर (महात्मा गांधी की जयंती) पर वीवीआईपी की भारी आवाजाही, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव और त्योहारों का मौसम का हवाला दिया था.

हिरासत में लिए जाने से कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में सोनम वांगचुक ने दिल्ली बॉर्डर से वीडियो साझा किए, जहां भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बीच उनकी बसों को रोका गया था. अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस की कई गाड़ियां उनकी बसों के साथ थीं. हालांकि उन्हें शुरू में लगा कि राष्ट्रीय राजधानी के पास पहुंचने पर उन्हें एस्कॉर्ट किया जा रहा है, लेकिन बाद में यह साफ हो गया कि उन्हें हिरासत में लिया जाएगा.

वांगचुक ने लिखा, "जैसे-जैसे हम दिल्ली के पास पहुंच रहे हैं, ऐसा लग रहा है कि हमें एस्कॉर्ट नहीं किया जा रहा है, बल्कि हमें हिरासत में लिया जा रहा है." उन्होंने बताया कि दिल्ली की सीमा पर लगभग 1,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और उन्हें बताया गया है कि दिल्ली में लद्दाख भवन और उन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है जहां लद्दाख के छात्र रहते हैं.

इधर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 1 अक्टूबर, 2024 को सोनम वांगचुक और अन्य लद्दाखियों की हिरासत को "अस्वीकार्य" करार दिया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लद्दाख की आवाज़ सुननी होगी.

इसके अलावा दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने भी सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने को गलत बताते हुए कहा, "सोनम वांगचुक और हमारे 150 लद्दाखी भाई-बहन शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली आ रहे थे. उनको पुलिस ने रोक लिया है. कल रात से बवाना थाने में कैद हैं. क्या लद्दाख के लिए लोकतांत्रिक अधिकार मांगना गलत है? क्या 2 अक्टूबर को सत्याग्रहियों का गांधी समाधि जाना गलत है? सोनम वांगचुक जी को रोकना तानाशाही है." दिल्ली की सीएम ने सोनम वांगचुक से बवाना थाना जाकर मिलने की बात भी अपनी ट्विटर पोस्ट में कही.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सोनम वांगचुक और अन्य लोगों को हिरासत में लिया जाना गैरकानूनी और असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि हम आजाद देश के लोग हैं और हमें अपनी बात रखने का अधिकार है, हम सभी लोग उनके साथ हैं.

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