कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की कड़ी आलोचना की है. ऐसा करके उन्होंने कांग्रेस पार्टी के साथ अपने पहले से चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों को और ज्यादा बिगाड़ लिया है.
69 वर्षीय थरूर पहले भी कई बार कांग्रेस की परंपराओं को चुनौती दे चुके हैं. उन्होंने न सिर्फ वंशवादी राजनीति के खिलाफ मजबूती से अपनी राय रखी, बल्कि 2022 में पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव में भी उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ नामांकन दाखिल कर दिया.
अपने इस कदम से एक तरह से थरूर ने सीधे गांधी परिवार को चुनौती दी थी, ऐसा इसलिए क्योंकि खड़गे को गांधी परिवार का उम्मीदवार माना जाता था. हाल ही में थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी खुलकर प्रशंसा की है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद पर भारत के रुख को दुनिया के सामने रखने के लिए केंद्र सरकार ने कई प्रतिनिधि मंडल विदेशों में भेजे थे. इनमें से एक दल का नेतृत्व खुद शशि थरूर कर रहे थे.
अपने गृह राज्य केरल के तिरुवनंतपुरम से लगातार चौथी बार शशि थरूर सांसद चुने गए हैं. उन्हें भले ही राज्य कांग्रेस इकाई का समर्थन न मिला हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर वे काफी लोकप्रिय हैं.
कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य और अनुभवी पूर्व राजनयिक शशि थरूर का देश और दुनिया में एक बड़ा प्रशंसक समूह है. संयुक्त राष्ट्र में लंबे और सफल करियर के बाद थरूर कांग्रेस के साथ राजनीति में आए.
हालांकि, पिछले कुछ समय से थरूर पार्टी के खिलाफ भी खुलकर अपनी राय रखते रहे हैं. हाल में उन्होंने 21 महीने के लंबे आपातकाल के दौरान कथित ज्यादतियों को लेकर पार्टी की दिग्गज नेता इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी के खिलाफ मोर्चा खोला है.
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के आसपास आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने आपातकाल को "भारत और दुनिया के लिए सबक" बताया. कुछ लोगों का मानना है कि थरूर के इस तरह के बयानों का गहरा राजनीतिक परिणाम हो सकता है.
शशि थरूर ने आपातकाल को लेकर कहा, "जब इमरजेंसी की घोषणा हुई थी, तब मैं भारत में था. हालांकि, जल्द ही मैं स्नातक की पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया और बाकी का पूरा घटनाक्रम मैंने दूर से ही देखा. आपातकाल की शुरुआत में मैं बाकी लोगों की तरह काफी बेचैन रहा.”
कांग्रेस सांसद थरूर के मुताबिक, भारत हमेशा से सार्वजनिक जीवन में जीवंत कोलाहल, जोरदार बहस और अभिव्यक्ति की आजादी का आदी था, लेकिन इमरजेंसी ने इन सबको अचानक से एक भयानक सन्नाटे में बदल दिया.
इसके साथ ही थरूर ने एक मलयालम लेख में लिखा था कि कैसे व्यापक संवैधानिक उल्लंघनों ने मानवाधिकारों के हनन की एक भयावह श्रृंखला को जन्म दिया. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं में संजय गांधी की भूमिका भी अहम थी.
थरूर की मानें तो 'अनुशासन' और 'व्यवस्था' की चाहत अक्सर क्रूरता में तब्दील हो जाती है, जिसका उदाहरण इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के चलाए गए जबरन नसबंदी अभियान हैं.
थरूर ने अपने लेख में लिखा कि नसबंदी अभियान गरीब और ग्रामीण इलाकों में केंद्रित थे, जहां मनमाने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जबरदस्ती और हिंसा का इस्तेमाल किया जाता था. नई दिल्ली जैसे शहरों में निर्ममता से की गई झुग्गी-झोपड़ियों को ढहाने की कार्रवाई ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया. उनके जीवन और दुख-दर्दों की कोई चिंता नहीं की गई.
थरूर की टिप्पणी सीधे तौर पर बीजेपी के उस बयान को मजबूती देती है, जिसमें पार्टी आपातकाल को आधुनिक भारतीय इतिहास का सबसे काला अध्याय बताती है. नरेंद्र मोदी सरकार ने आपातकाल लगाए जाने वाले दिन यानी 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की है.
हालांकि, जैसी संभावना थी, थरूर की टिप्पणियों ने कांग्रेस को नाराज कर दिया है. केरल में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन समेत कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भी उनकी आलोचना की है, लेकिन वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी ने उनका विरोध नहीं किया है. कांग्रेस नेता ए.के. एंटनी उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने 1978 में चिकमंगलूर उपचुनाव को लेकर इंदिरा गांधी के खिलाफ विद्रोह किया था.
केरल विश्वविद्यालय के पूर्व उप-कुलपति और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. जे. प्रभाष ने फिलहाल अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना से इनकार किया है. वे कहते हैं, "कांग्रेस में कम से कम फिलहाल तो थरूर के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है, लेकिन उनकी टिप्पणी आपातकाल की क्रूरताओं पर कांग्रेस के शोर मचाने वालों की नींद उड़ा देगी. मैंने तो उस वक्त को भी देखा है."
इसमें कोई दो राय नहीं कि शशि थरूर ने अपने बयानों से कांग्रेस में एक बड़ा तूफान खड़ा कर दिया है. उन्होंने कांग्रेस आलाकमान द्वारा खींची गई सीमा लांघ दी है. कांग्रेस को लेकर उनका रुख और नरेंद्र मोदी के साथ जिस तरह से वे घुलते-मिलते दिख रहे हैं, उसे देखते हुए यह सवाल जायज हो जाता है कि आखिर थरूर का कितना ज्यादा कांग्रेस के लिए आने वाले समय में बहुत ज्यादा हो सकता है?