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SC कल्याण फंड का पैसा 10 साल में सबसे कम खर्च! आखिर कहां चूकी केंद्र सरकार?

केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालयों को अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए 2024-25 में जो फंड मिला था उसका करीब एक-चौथाई हिस्सा खर्च नहीं हो पाया

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले
अपडेटेड 19 मई , 2025

राहुल गांधी 15 मई को पटना पहुंचे थे. यहां उन्होंने कांग्रेस के ‘शिक्षा न्याय संवाद’ आयोजन में हिस्सा लिया और कई मोर्चों पर केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने एक खास मुद्दा उठाया. कांग्रेस नेता ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के लिए सरकार ने जो अलग से फंड तय कर रखा, उसका उनके लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा. 

यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बीजेपी के बचाव करना काफी मुश्किल है क्योंकि आंकड़े पूरी तरह इसकी गवाही देते हैं. केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के दस्तावेज बता रहे हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में अनुसूचित जातियों के लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा बजट में आवंटित 1.66 लाख करोड़ रुपये में से तकरीबन एक चौथाई खर्च ही नहीं हो पाया. 

हैरानी की बात यह है कि कोरोना के दौरान भी आवंटन के मुकाबले खर्च का अनुपात इससे बेहतर था. मंत्रालय से मिली जानकारी बताती है कि पिछले दस साल में आवंटन के मुकाबले सबसे कम खर्च 2024-25 में हुआ. दरअसल, डेवलपमेंटल एक्शन प्लान फॉर शेड्यूल्ड कास्ट (DAPSC) के तहत यह व्यवस्था बनाई गई है कि केंद्र सरकार का हर मंत्रालय पूरे वित्त वर्ष में अपनी योजनाओं पर आवंटन की जो व्यवस्था बनाएंगे, उसमें यह साफ-साफ बताएंगे कि इनमें से कितना अनुसूचित जातियों के कल्याण वाली योजनाओं पर खर्च होना है. 

यह व्यवस्था चार दशक से अधिक पुरानी है. इसकी शुरुआत 1979 में स्पेशल कंपोनेंट प्लान के तौर पर हुई थी. उस समय यह कहा गया कि हर मंत्रालय को अपने बजट का कम से कम 2 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए आवंटित करना होगा. 2006 में इसका नाम बदलकर शेड्यूल्ड कास्ट्स सब प्लान (SCSP) कर दिया गया. बाद में इसका नाम बदलकर DAPSC कर दिया गया.

इस DAPSC के तहत केंद्र सरकार के 39 मंत्रालयों ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 1.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इन सभी मंत्रालयों ने कुल मिलाकर 242 योजनाओं के लिए फंड आवंटित किया था. लेकिन इस आवंटन का 74.74 प्रतिशत यानी 1.24 लाख करोड़ रुपये का खर्च ही वित्त वर्ष 2024-25 में हो पाया. अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण के लिए आवंटित रकम में से तकरीबन 42,000 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाया. दो साल पहले यानी वित्त वर्ष 2022-23 में कुल आवंटन की 97.37 प्रतिशत रकम का इस्तेमाल हुआ था.

बीते वित्त वर्ष का 74.54 प्रतिशत इस्तेमाल का आंकड़ा कोरोना से प्रभावित दो वर्षों के मुकाबले भी कम है. कोरोना की पहली लहर वाले साल 2020-21 में आवंटित रकम का 75.41 प्रतिशत इस्तेमाल हुआ था. वहीं कोरोना की दूसरी लहर वाले साल 2021-22 में आवंटित रकम का 97.35 रकम का इस्तेमाल अनुसूचित जाति के लोगों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं में हुआ था.

आखिर बीते वित्त वर्ष में इतना कम खर्च क्यों हुआ? इसके जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के अधिकारियों का तर्क है कि बीते साल लोकसभा चुनाव की वजह से दो महीने तक आदर्श आचार संहिता लगी रही. इसलिए इन दो महीनों में योजनाओं के लिए आवंटित रकम जारी नहीं की गई और जो बैकलॉग वहां से बना, वो वित्त वर्ष के अंत तक रहा.

2011 की जनगणना के मुताबिक देश भर में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 20.14 करोड़ थी. यह उस समय की कुल आबादी का 16.6 प्रतिशत था. बीते 14 साल में यह संख्या और बढ़ी होगी. जाहिर है कि अगर इस वर्ग के लिए आवंटित रकम का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया तो इससे प्रभावित लोगों की संख्या भी बड़ी होगी.

DAPSC के तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, समग्र शिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण, पीएम श्री स्कूल योजना, छात्रवृत्ति योजना, उन्नत भारत अभियान, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना जैसी और भी कई योजनाओं के लिए फंड का आवंटन होता है.

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