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अजीत डोभाल के बाद अब मास्को में एस. जयशंकर; रूसी कंपनियों से कही ये बड़ी बात

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मास्को में आयोजित एक कार्यक्रम में रूसी कंपनियों से भारत में इंवेस्ट करने का आग्रह किया

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एस. जयशंकर (फाइल फोटो)
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एस. जयशंकर (फाइल फोटो)
अपडेटेड 21 अगस्त , 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसद टैरिफ लगाया, जिसका सीधा असर दोनों देशों के संबंधों पर देखने को मिल रहा है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस की राजधानी मास्को पहुंचे हैं. इससे ठीक 15 दिन पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन से भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी मुलाकात की थी.

21 अगस्त को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई रूसी कंपनियों के सीईओ और मैनेजमेंट के साथ मीटिंग की. इस बैठक में जयशंकर ने रूस और भारत के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया. इसके साथ ही उन्होंने रूसी कंपनियों से भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर यहां इंवेस्ट करने का आग्रह किया.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस की राजधानी मास्को में क्या कहा है?

रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ मॉस्को में मुलाकात के बाद एस. जयशंकर ने कहा, "दोनों देशों को अपने व्यापार में विविधता लानी चाहिए और दोनों देशों की कंपनियों को मिलकर वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए." 

उन्होंने अपने शुरुआती भाषण में कंपनियों के सीईओ और मैनेजमेंट को संबोधित करते हुए कहा, "ज्यादा से ज्यादा और अलग तरीके से करना हमारा मंत्र होना चाहिए."

रूस में एस. जयशंकर ने कहा, "दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को बेहतर करने के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं, लॉजिस्टिक्स आदि को लेकर होने वाली समस्या को दूर करना जरूरी है.” 

साथ ही उन्होंने कहा, “इन बाधाओं को दूर करने में अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) अहम भूमिका निभा सकता है. उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारे के जरिए कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर भी काम हो रहा है. साथ ही दोनों देशों के लिए पेमेंट सिस्टम को आसान बनाने जैसे मुख्य मुद्दे हैं, जिसपर हम मिलकर काम कर रहे हैं.”

विदेश मंत्री ने इस बात की जानकारी दी है कि आयोग ने मास्को बैठक के दौरान मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए विचारार्थ शर्तों को अंतिम रूप दे दिया है. उन्होंने इसे दोनों देशों के व्यापार संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है.

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा क्या है?

भारत, रूस, ईरान, मध्य एशिया और यूरोप के बीच एक 7,200 किलोमीटर लंबा बहु-मोडल (समुद्री, रेल और सड़क) नेटवर्क है, जिसका उद्देश्य इस मार्ग पर परिवहन की लागत और समय को कम करना है. 

साल 2000 में रूस, भारत और ईरान द्वारा शुरू किया गया यह गलियारा, प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, मॉस्को, तेहरान और बाकू को जोड़ता है और सदस्य देशों के बीच संपर्क बढ़ाता है.

भारत-रूस व्यापार में उछाल, लेकिन असंतुलन बढ़ा

पिछले चार साल में भारत-रूस व्यापार पांच गुना से ज्यादा बढ़ा है, जो 2021 में 13 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 68 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है. इसका मुख्य कारण रूसी हाइड्रोकार्बन का भारतीय आयात है.

नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास ने पिछले पांच वर्षों में इस वृद्धि दर में 700 फीसद की इजाफे की बात कही है. लेकिन, जयशंकर ने दोनों देशों के व्यापार समझौते में बढ़ते असंतुलन की ओर इशारा किया है. 

रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा, जो 2021 में सिर्फ 6.6 अरब अमेरिकी डॉलर था, बढ़कर लगभग 59 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है. उन्होंने कहा, "इसलिए, हमें इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है." उन्होंने मास्को से भारतीय निर्यात के लिए अपने बाजार को और व्यापक बनाने का आग्रह किया.

भारत-रूस सहयोग में नवाचार का आह्वान

भारत-रूस व्यापार मंच पर जयशंकर ने रूसी कंपनियों से भारतीय साझेदारों के साथ निवेश करने और नए उद्यम तलाशने का आग्रह किया है. बैठक के बाद उन्होंने एक्स पर लिखा, "एक स्थायी रणनीतिक साझेदारी में एक मजबूत और टिकाऊ आर्थिक वजह होना जरूरी है. इस संदर्भ में मैंने रूस के बिजनेसमैन से भारत में ज्यादा से ज्यादा इंवेस्ट करने, संयुक्त उद्यमों पर विचार करने और आर्थिक सहयोग के नए आयाम खोलने का आग्रह किया है."

अमेरिकी टैरिफ वार्ता पर मंडरा रहा है खतरा

मॉस्को में यह चर्चा ऐसे समय में हुई है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना कर 50 फीसद कर दिया है. इसमें नई दिल्ली पर रूसी कच्चे तेल की निरंतर खरीद के लिए दंड के रूप में 25 फीसद अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है.

व्हाइट हाउस ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य रूस के व्यापारिक साझेदारों पर दबाव डालकर रूस को झुकने के लिए मजबूर करना है. अमेरिका का नाम लिए बिना जयशंकर ने स्वीकार किया, “यह बातचीत जियोपॉलिटिक्स में बदल रहे समीकरण की पृष्ठभूमि में और कठिन वक्त में हो रही है.” उन्होंने साफ किया है कि रूस और भारत का संबंध कई आयामों पर और नियमित रूप से जुड़े हुए हैं.

जयशंकर रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है.

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