रूसी विदेश मंत्रालय ने रूस से तेल खरीदना बंद करने के लिए अमेरिका और नाटो के लगातार दबाव के बावजूद भारत के दृढ़ रहने और धमकियों के बावजूद अपनी प्रतिबद्धताओं को जारी रखने की प्रशंसा की. रूसी सरकार ने इसके आगे चेतावनी भी दी कि संबंधों को बिगाड़ने की कोई भी कोशिश "नाकाम" होगी.
अमेरिका रूसी तेल खरीद जारी रखने के नाम पर भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी टैरिफ लगा चुका है और इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नाटो देशों पर भी दबाव डाल रहे हैं कि उन्हें भी सामान खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाना चाहिए. इस बीच 14 सितंबर को रूसी विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया है.
इसमें आगे यह भी कहा गया है कि दिल्ली के साथ रूस के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और "स्थिरता से" आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही, चेतावनी दी गई है कि संबंधों को बिगाड़ने की कोई भी कोशिश "नाकाम" होगी.
रूसी विदेश मंत्रालय ने सरकारी मीडिया आउटलेट आरटी को दिए बयान में ये बातें कही हैं. इस बयान में रूसी तेल खरीदना बंद करने के लिए अमेरिका और नाटो देशों के लगातार दबाव के बावजूद दृढ़ रहने तथा धमकियों के बावजूद अपनी प्रतिबद्धताओं को जारी रखने के लिए भी भारत की प्रशंसा की है.
आरटी के सवालों के जवाब में जारी मंत्रालय के बयान में, बाहरी खतरों और आलोचनाओं के बावजूद, रूस के साथ साझेदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर किया गया है. रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत का नजरिया "दीर्घकालिक रूस-भारत मित्रता की भावना और परंपराओं" पर आधारित है और "अंतर्राष्ट्रीय मामलों में रणनीतिक स्वायत्तता" का प्रतिनिधित्व करता है.
मास्को ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि यह साझेदारी "संप्रभुता के सर्वोच्च मूल्य और राष्ट्रीय हितों की सर्वोच्चता" को प्राथमिकता देती है.
भारत और रूस लंबे वक्त से नागरिक और सैन्य उत्पादन, मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन, परमाणु ऊर्जा और रूसी तेल खोज में भारतीय निवेश से जुड़ी संयुक्त परियोजनाओं में साझेदार हैं. मंत्रालय ने नई भुगतान प्रणालियों के विकास, राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ाने और वैकल्पिक परिवहन एवं रसद मार्गों को बेहतर बनाने के लिए संयुक्त प्रयासों पर भी इस बयान में जोर दिया है.