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सरकारी बैंकों के साथ ज्यादा फ्रॉड होता है या प्राइवेट बैंकों के साथ? क्या कहती है RBI की रिपोर्ट?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट से सरकारी और प्राइवेट बैंकों के साथ होने वाले फ्रॉड का एक दिलचस्प ट्रेंड सामने आया है

RBI closed FY 2024-25 with an $8.2% growth in assets and a net income surplus of $31.5 billion — more than any other major central bank.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (फाइल फोटो)
अपडेटेड 9 जून , 2025

भारतीय बैंकों के सबसे बड़े डिफॉल्टरों में शुमार विजय माल्या इन दिनों एक पॉडकास्ट में अपने कारोबार, बैंकों के साथ डिफॉल्ट को लेकर अपनी सफाई और जिंदगी के दूसरे पहलुओं के लेकर काफी चर्चा में हैं. इसी दौरान रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट आई है जिससे पता चलता है कि बैंकों के धोखाधड़ी का क्या ट्रेंड है. 

इसके मुताबिक बैंकों से धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में प्राइवेट बैंकों के लिए ज्यादा है हालांकि रकम के मामले में सरकारी बैंक आगे हैं. सबसे ज्यादा रकम लोन के फ्रॉड में फंसी है जो कि 33 हजार करोड़ रु. से अधिक है जबकि लोन फ्रॉड से जुड़़े मामलों की संख्या 7,950 है. फ्रॉड के सबसे ज्यादा मामले कार्ड और इंटरनेट से जु़ड़े हैं जिनकी संख्या 13,516 है और ऐसे मामलों से जुड़ी रकम रही 520 करोड़ रु. यह जानकारी हाल ही में जारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में दी गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में फ्रॉड की संख्या अधिक थी जबकि सरकारी या पब्लिक सेक्टर बैंकों में फ्रॉड की रकम ज्यादा बड़ी रही. मुख्य रूप से डिजिटल पेमेंट्स (कार्ड/इंटरनेट) में संख्या के लिहाज से और कर्ज के मामले में रकम के लिहाज से ज्यादा फ्रॉड दर्ज किए गए हैं. 

पब्लिक सेक्टर बैंकों (बोलचाल की भाषा में सरकारी बैंक) में धोखाधड़ी के ज्यादातर मामले लोन पोर्टफोलियो के हैं. 2024-25 के दौरान पब्लिक सेक्टर के बैंकों में 6935 फ्राड के मामले आए जबकि इसी दौरान प्राइवेट बैंकों के साथ धोखाधड़ी के 14,233 मामले सामने आए जो कि सरकारी बैंकों के मुकाबले दोगुने से अधिक हैं. लेकिन रकम के मामले में सरकारी बैंकों को ज्यादा गहरी चोट लगी. पब्लिक सेक्टर के बैंकों की फ्रॉड केसों में फंसी रकम 25,667 करोड़ रु. रही जबकि प्राइवेट बैंकों के मामले में यह रकम 10,088 करोड़ रु. रही. 

2024-25 के दौरान देश के सभी तरह के बैंकों और वित्तीय संस्थानों की 36 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम धोखाधड़ी की भेंट चढ़ गई. इस दौरान कुल 23,953 फ्रॉड के मामले सामने आए. इनमें स्थानीय बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंकों के साथ हुई धोखाधड़ी भी शामिल है.

ऐसी धोखाधड़ी से निपटने के लिए क्या कर रहा है रिजर्व बैंक

ग्राहकों के लेनदेन और खातों की सुरक्षा के साथ धोखाधड़ी की रोकथाम रिजर्व बैंक की प्राथमिकताओं में शामिल है. डिजिटल पेमेंट फ्रॉड से निपटने के लिए रिजर्व बैंक खासतौर पर फरवरी 2025 से bank.in नामक अलग डोमेन लेकर आया है जिससे फिशिंग अटैक जैसे साइबर सिक्योरिटी खतरों से निपटा जा सकेगा. साथ ही आम लोगों को धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिलेगी.

धोखाधड़ी से खातों से पैसा निकालने की घटनाओं पर इससे रोक लगेगी क्योंकि भारतीय बैंकों के डोमेन नेम में एकरूपता होगी. लोगों के लिए भी बैंकों की वेबसाइट पहचानना आसान होगा. सर्च रिजल्ट में फर्जी बैंक पहचानना आसान हो जाएगा. रिजर्व बैंक इस संबंध में बैंकों को निर्देश दे चुका है कि इस साल अक्तूबर तक वे अपनी वेबसाइट इस डोमेन नेम में शिफ्ट कर लें. साथ ही डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफार्म लाने की बात भी रिजर्व बैंक कह रहा है. 

पिछले साल के आखिरी में पद संभालने वाले रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा ने फरवरी में मौद्रिक नीति की घोषणा के दौरान कहा था कि डिजिटल धोखाधड़ी चिंता का विषय है और इस पर लगाम लगाने के लिए बैंक डॉट इन कारगर साबित होगा. तब यह भी बताया गया था कि गैर बैंकिंग संस्थानों के लिए fin.in डोमेन नेम दिया जाएगा.

फ्रॉड पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक संशोधित मास्टर डायरेक्शन पिछले साल जारी कर चुका है. इसमें कहा गया कि गवर्नेंस और रिस्क मैनेजमेंट में बैंक के बोर्ड की भूमिका और मजबूत होनी चाहिए. खतरे की पूर्व सूचना का तंत्र मजबूत करना होगा. इन निर्देशों में सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले की बातों को भी समाहित किया गया है. साथ ही विज्ञापनों के माध्यम से भी लोगों को धोखाधड़ी से बचने के लिए रिजर्व बैंक जागरूकता अभियान चलाता है.

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