
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय ब्रिटेन यात्रा के बाद 25 जुलाई यानी शुक्रवार को मालदीव की राजधानी माले पहुंचे. एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत करने खुद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और उनके कई मंत्री आए.
पीएम मोदी की आगवानी करने वालों में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के अलावा मालदीव के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री शामिल थे. पीएम मोदी जैसे ही अपने विमान से नीचे उतरे दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया.
इतना ही नहीं पीएम मोदी और मोहम्मद मुइज्जू एक दूसरे के गले भी लगे. ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चलाने वाले मुइज्जू से पीएम मोदी के गले मिलने को भारत और मालदीव के रिश्तों में नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.

नरेंद्र मोदी बतौर पीएम तीसरी बार मालदीव की यात्रा पर पहुंचे हैं. हालांकि, मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार वे मालदीव गए हैं. राष्ट्रपति मुइज्जू के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 26 जुलाई को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे.
उनके आगमन से पहले, मालदीव की राजधानी माले को रंग-बिरंगे बैनरों, विशाल पोस्टरों और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से सजाया गया है. रिपब्लिक स्क्वायर और माले अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जाने वाली मुख्य सड़कों सहित कई प्रमुख चौराहों को प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए खास तौर पर सजाया गया है.
हवाई अड्डे के पास और रास्ते में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी जमा हुए, जिनमें से कई ने तिरंगा लहराया और प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए नारे लगाए. माले के माहौल में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के प्रति आधिकारिक और आम जनता का उत्साह साफ दिखाई दे रहा था, जिसे क्षेत्रीय कूटनीति और हिंद महासागर में समुद्री सहयोग के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
मालदीव में 'इंडिया आउट' और भारत में चला था 'बायकॉट मालदीव' कैंपेन
मुइज्जू सितंबर 2023 में 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाकर देश के राष्ट्रपति बने थे. इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ते चले गए. मालदीव पर चीन के करीब आने का आरोप लगा था. बीते कुछ सालों में भारत-मालदीव के रिश्ते उतार चढ़ाव भरे रहे हैं.
2024 की शुरुआत में मालदीव के कुछ मंत्रियों की पीएम मोदी और लक्षद्वीप यात्रा के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के बाद भारत में 'बायकॉट मालदीव' कैंपेन शुरू हुआ था.
जनवरी 2024 में मुइज्जु ने चीन यात्रा के बाद कहा कि मालदीव एक छोटा देश हो सकता है, लेकिन कोई इसे "धमका" नहीं सकता. उन्होंने मई 2024 तक भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की थी, जिसके बाद भारत ने सैनिकों को हटाकर उनकी जगह तकनीकी कर्मचारी भेजे थे.
हालांकि, दिसंबर 2023 में दुबई में UN के एक कार्यक्रम में दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के बाद रिश्तों में सुधार आने की उम्मीद बढ़ गई थी.
मालदीव ने पीएम मोदी को ही स्वतंत्रता दिवस समारोह में क्यों बुलाया?
विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर राजन कुमार का कहना है कि मुइज्जू भारत विरोधी भावनाओं को भड़काकर सत्ता में आए थे. उन्होंने भारत विरोधी कैंपेन चलाया था. उन्होंने प्रो-चाइना पॉलिसी को बढ़ावा देना शुरू किया था.
इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि दोनों देशों के रिश्ते खराब होंगे. लेकिन, अब उसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. पीएम मोदी को अपने 60वें स्वतंत्रता दिवस पर बुलाकर मालदीव ने यह मैसेज देने की कोशिश की है कि भारत उसके लिए अब भी खास है. यह निश्चित तौर पर दोबारा से दोनों देशों के बीच बेहतर होते रिश्ते को दिखाता है.
भारत-मालदीव को एक-दूसरे की कितनी जरूरत?
प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक, भारत और मालदीव दोनों एक दूसरे के लिए जरूरी है. इसकी वजह यह है कि एक ओर जहां मालदीव की इकॉनमी में 30 फीसद योगदान पर्यटन का है. भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक वहां जाते हैं. 'बॉयकॉट मालदीव' कैंपेन से यहां पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई थी.
सन सियाम रिसॉर्ट्स के संस्थापक और अध्यक्ष और सांसद अहमद सियाम मोहम्मद ने संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि इस अभियान के परिणामस्वरूप मालदीव को अपना पूरा भारतीय पर्यटन बाजार खोना पड़ा है, जिससे उसे 1 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ है. सियाम ने संसद को संबोधित करते हुए यह बयान दिया और देश के पर्यटन उद्योग पर बहिष्कार के भारी असर को उजागर किया था.
इसके अलावा मालदीव पर कर्ज काफी ज्यादा है. उसके GDP का करीब 134 फीसद मालदीव पर कर्ज है. इस कर्ज को उतारने में मालदीव को काफी समस्या आ रही है. इस साल में लगभग 600 मिलियन डॉलर मालदीव को कर्ज तोड़ने के लिए चाहिए. इसके अलावा अगले साल एक बिलियन डॉलर जितना पैसा उसे कर्ज उतारने के लिए चाहिए. मालदीव की आर्थिक स्थिति खराब है. ऐसे में कर्ज तोड़ना उसके लिए आसान नहीं है.
अगर भारत की बात करें तो मालदीव भारत के लिए सिर्फ एक मायने में महत्व रखता है और वो है समुद्री सुरक्षा. भारत का मालदीव के साथ व्यापार मुश्किल से 500 से 600 मिलयन डॉलर के करीब होता है. यह अगर 1 बिलियन डॉलर भी पहुंच जाए तो इससे भारत पर ज्यादा असर नहीं होता है. मतलब साफ है कि भारत के लिए मालदीव समुद्री सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
अरब सागर की अगर बात करें तो केरल से अफ्रीका तक भारत सबसे बड़ी शक्ति है. इस क्षेत्र में भारत, चीन और साउथ एशिया देशों के ट्रेड का रास्ता मालदीव के करीब से होकर गुजरता है. ऐसे में भारत नहीं चाहेगा कि मालदीव की मदद से चीन यहां अपनी दादागिरी स्थापित करे. इसलिए दोनों देशों के मजबूत रिश्तों से सिक्योरिटी के लिहाज से हमारी बड़ी जीत होगी.