मई में भारत के साथ सैन्य झड़प के बाद पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम की कलई खुल गई थी. अपनी कमजोरियां सामने आने के बाद पड़ोसी मुल्क अब अपनी 'एयर कॉम्बेट कैपेबिलिटिज' यानी हवाई लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए तेजी से खरीदारी कर रहा है.
सबसे पहले पाकिस्तान ने इस बात की जानकारी दी है कि उसे चीन से कई हथियार खरीदने का प्रस्ताव मिला है. इनमें पांचवीं पीढ़ी के 40 J-35 स्टेल्थ फाइटर जेट, 500-KJ AWACS और 19 HQ लंबी दूरी की एंटी-बैलिस्टिक डिफेंस सिस्टम शामिल हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान तुर्की से पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट KAAN खरीदने की मंशा रखता है.
तुर्की ने बार-बार पाकिस्तान के साथ 'भाईचारे' के संबंधों पर जोर दिया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर के मुद्दे पर उसका समर्थन करता रहा है.
इस बीच भारत भी अपनी स्टेल्थ महत्वाकांक्षाओं को तेजी से बढ़ा रहा है और देश में निर्मित पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को तेजी से विकसित कर रहा है. यह निजी खिलाड़ियों को प्रोग्राम में शामिल होने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट या निविदा जारी करने की प्रक्रिया में है.
27 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने AMCA के लिए क्रियान्वयन मॉडल को मंजूरी दे दी, जो भारत की एयरोस्पेस महत्वाकांक्षाओं में एक अहम चरण को बताता है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक क्रियान्वयन मॉडल, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी यानी ADA को एक मजबूत इंडस्ट्री पार्टनरशिप के जरिए कार्यक्रम को पूरा करने की अनुमति देगा. ADA, AMCA के लिए नोडल डिजाइन बॉडी है.
यह मॉडल पब्लिक और प्राइवेट दोनों सेक्टर के खिलाड़ियों को समान अवसर प्रदान करता है, जिससे वे स्वतंत्र रूप से, ज्वॉइंट वेंचर के रूप में, या राष्ट्रीय नियमों का पालन करने वाली भारतीय पंजीकृत कंपनी के तहत कंसोर्शिया के रूप में प्रतिस्पर्धी बोली लगा सकते हैं.
शुरुआत में, सरकार ने तय किया था कि AMCA का विकास विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के तहत किया जाए. अब, यह इंडस्ट्री पार्टनरशिप मॉडल की ओर शिफ्ट होता दिख रहा है. प्राइवेट सेक्टर की दिग्गज रक्षा कंपनियों, जैसे एलएंडटी और टाटा, के प्रमुख एयरोस्पेस खिलाड़ी के रूप में उभरने के साथ, ADA का मानना है कि यह भारतीय निजी उद्योग को मजबूत करने का सही समय है, न कि सिर्फ सरकारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पर निर्भर रहने का.
AMCA के विकास से जुड़े एक प्रमुख रक्षा अधिकारी बताते हैं, "हम बहुत जल्द ही AMCA के विकास के बारे में निविदा जारी करने जा रहे हैं. एक बार अंतिम रूप दिए जाने के बाद, इंडस्ट्री पार्टनर को जेट के विकास, प्रोडक्शन और लाइफटाइम मेंटेनेंस के लिए चुना जाएगा. चुने गए भागीदार को विकास चरण में निवेश करने की जरूरत नहीं है. उन्हें सिर्फ मैन्यूफैक्चरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बेस करने में निवेश करना होगा."
पिछले हफ्ते, पाकिस्तानी सरकार के सोशल मीडिया अकाउंट ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को श्रेय देते हुए राजनयिक उपलब्धियों की एक सूची में कहा कि पाक को "चीन से 40 पांचवीं पीढ़ी के शेनयांग जे-35 स्टील्थ विमान, शानक्सी केजे-500 एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) और HQ-19 एयर डिफेंस सिस्टम" ऑफर की गई हैं.
पोस्ट में यह भी कहा गया कि अजरबैजान और पाकिस्तान ने पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स द्वारा निर्मित 40 JF-17 फाइटर जेट खरीदने के लिए अजरबैजान के साथ 4.6 बिलियन डॉलर का अनुबंध किया है.
सैन्य मामलों के जानकारों ने दावा किया कि KJ-500 चीन की सेवा में लेटेस्ट एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट डिजाइन है, जो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) के साथ सेवारत है, J-35 जेट विमानों को PL-17 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (400 किमी की रेंज, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में से एक बनाती है) से लैस किए जाने की भी उम्मीद है.
इस साल अगस्त तक J-35 जेट विमानों के आने की उम्मीद है. ऐसी खबर है कि आधे दाम पर ये सौदा किया जा रहा है, और पाकिस्तानी पायलट पहले से ही चीन में ट्रेनिंग ले रहे हैं. J-35 को फिलहाल चीन के PLAAF और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी एयर फोर्स (PLANAF) दोनों के लिए विकसित किया जा रहा है, उम्मीद है कि PLANAF अपने कैरियर एयर विंग्स पर इस प्रकार के विमानों को पेश करेगा.
इसके अलावा, पाकिस्तान ने तुर्की के KAAN लड़ाकू विमान में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. बताया गया है कि इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान में पाकिस्तान-तुर्की औद्योगिक एक्सपो की आठवीं बैठक में कई संस्थानों के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए और तुर्की के KAAN लड़ाकू विमान के उत्पादन के लिए दोनों देशों के बीच साझेदारी की योजना को अंतिम रूप दिया.
उस समय तुर्की के रक्षा मंत्री यासर गुलर ने कथित तौर पर KAAN जेट परियोजना में पाकिस्तान की आधिकारिक भागीदारी के लिए एक समझौते की पुष्टि की थी. इस बीच, इंडोनेशिया ने तुर्की से 48 KAAN फाइटर जेट खरीदने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी अनुमानित लागत 10 बिलियन डॉलर है. 2026 में डिलीवरी शुरू होने की उम्मीद है. इंडोनेशिया अब अतिरिक्त राफेल ऑर्डर पर जोर नहीं देगा. जकार्ता ने 2022 में दसॉ एविएशन के साथ 42 राफेल जेट के लिए 8.1 बिलियन डॉलर में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
अपनी खरीद-फरोख्त की होड़ को देखते हुए पाकिस्तान ने अपने रक्षा खर्च में 20 फीसद से अधिक की बढ़ोत्तरी की है. यह एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है. 10 जून को सालाना केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने देश की तीनों सशस्त्र सेनाओं के लिए 2.55 ट्रिलियन रुपये (9 बिलियन डॉलर) के आवंटन का प्रस्ताव रखा, जो पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.97 फीसद है, जबकि पिछले बजट में यह 1.7 फीसद था.
पाकिस्तान अपनी एयर फोर्स को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में क्षेत्रीय सुरक्षा और शक्ति संतुलन पर इन सौदों के प्रभाव के बारे में सवाल उठ रहे हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि इन सौदों का समय काबिलेगौर है, क्योंकि ये ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद हुए हैं, जिसने भारत की सैन्य क्षमताओं को प्रदर्शित किया और पाकिस्तान की वायु रक्षा कमजोरियों को उजागर किया. चूंकि पाकिस्तान अपनी वायु शक्ति को मजबूत करना चाहता है, इसलिए यह देखना बाकी है कि क्या ये अधिग्रहण उसके पक्ष में तराजू को झुकाने के लिए पर्याप्त होंगे या क्षेत्र में एक नई हथियारों की दौड़ को शुरू करेंगे.