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पाकिस्तान के वे 5 फैसले जो उसकी घबराहट को दिखाते हैं?

पहलगाम आतंकी हमलों के बाद भारत के दृढ़ संकल्प ने पाकिस्तान में दहशत फैला दी है. इसका असर अब पाकिस्तान सरकार के फैसले में साफ देखने को मिल रहा है.

भारत के फैसले ने पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ा दी है. (सांकेतिक फोटो)
भारत के फैसले ने पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ा दी है. (सांकेतिक फोटो)
अपडेटेड 30 अप्रैल , 2025

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पिछले 8 दिनों में भारत सरकार ने जिस तरह से ताबड़तोड़ फैसले लिए, उससे पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ती दिख रही है.

‘सिंधु जल समझौते’ को स्थगित करने से लेकर दोनों देशों के बीच वीजा सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द करने और फिर पाकिस्तानी राजनयिकों को 7 दिन के भीतर देश छोड़ने का अल्टीमेटम देकर भारत सरकार ने आतंकी घटना पर अपना कड़ा रुख जाहिर कर दिया.

इतना ही नहीं कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान पर चोट करने के साथ ही भारत सरकार ने जिस तरह से तीनों सेनाओं को खुली छूट दी, उससे जाहिर हो गया कि पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों के नरसंहार में शामिल अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा.

इसी घटना के जवाबी कार्रवाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रक्षा अधिकारियों की बैठक हुई. इसके बाद प्रधानमंत्री ने दो सबसे शक्तिशाली कैबिनेट समितियों - सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) और राजनीतिक मामलों पर कैबिनेट समिति (CCPA) की उच्च स्तरीय बैठकों की अध्यक्षता की.

भारत सरकार के इन जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान न केवल घबराया हुआ है, बल्कि किसी  भी परिस्थिति के लिए खुद को तैयार भी कर रहा है.
2016 में उरी में सेना मुख्यालय पर आतंकी हमले और 2019 में पुलवामा में CRPF काफिले पर हुए हमले के बाद भारत ने भारतीय सीमा के पास आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी.

ऐसे में पाकिस्तान को डर है कि दोबारा भारतीय सेना सीमा के पास कोई ऑपरेशन शुरू कर सकती है. पाकिस्तान का यह डर उसके सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार की ओर से आधी रात में की गई प्रेस कांफ्रेंस में भी नजर आया है.

29 अप्रैल की रात में तरार ने कहा, “पाकिस्तान को विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली है कि भारत अगले 24 से 36 घंटों के भीतर सैन्य हमला करेगा."  भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया है, क्योंकि पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है.

भारत के पास कूटनीतिक और साथ ही साथ सैन्य तौर पर भी जवाबी हमले करने के विकल्प मौजूद हैं. उसने पहले ही कुछ अभूतपूर्व कदम उठाए हैं, जैसे सिंधु जल संधि को निलंबित करना और अटारी-वाघा सीमा को बंद करना. ऐसे में अब भारत सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस बात को लेकर पाकिस्तान डरा हुआ है. पाकिस्तान का यह डर उसके इन 5 फैसलों में साफ नजर आ रहा है.

1. पाकिस्तान ने रडार सिस्टम को भारत के करीब तैनात किया और युद्धाभ्यास शुरू किया

पाकिस्तान ने भारतीय सेना की किसी भी गतिविधि का जवाब देने के लिए नियंत्रण रेखा (LoC) पर कई कदम उठाए हैं. इंडिया टुडे को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना संभावित भारतीय हवाई हमलों का पता लगाने के लिए सियालकोट सेक्टर में अग्रिम ठिकानों पर अपने रडार सिस्टम को तैनात कर रही है.

इसके अलावा भारतीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए फिरोजपुर सेक्टर के पास इलेक्ट्रॉनिक सैन्य उपकरण भी तैनात किए जा रहे हैं. पाकिस्तान की ओर से ये तैयारियां तब की गईं, जब राफेल समेत भारत के ताकतवर लड़ाकू विमानों ने ‘आक्रमण’ के नाम से एक सैन्य अभ्यास किया. भारत के इस सैन्य अभ्यास के जवाब में पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भी अपने लड़ाकू विमान उड़ाए.  

2. पाकिस्तान ने आतंकवादियों को लॉन्चपैड से बंकरों में भेजा

इंडिया टुडे को खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना के हमले के डर से पाकिस्तानी सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में कई आतंकी लॉन्च पैडों को खाली करना शुरू कर दिया है. आतंकवादियों को सेना के बंकरों में छिपाया जा रहा है.

मिल रही जानकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सेना ने यह कदम भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कई सक्रिय लॉन्च पैडों की पहचान के बाद उठाया है.

खबर ये भी है कि आतंकवादियों को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के दुधनियाल, अथमुकाम, जुरा, लीपा, पच्चीबन, फॉरवर्ड कहुटा, कोटली, खुईराट्टा, मंधार, निकेल, चमनकोट और जानकोट सहित ऐसे कई प्रमुख जगहों से दूसरे जगहों पर भेजा जा रहा है.

3. नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अकारण गोलीबारी

28 अप्रैल की रात को पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास कई स्थानों पर बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की. अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना ने इसका जवाब संयमित और प्रभावी तरीके से दिया.

कुपवाड़ा और बारामुल्ला जिलों के साथ-साथ अखनूर सेक्टर में भी गोलीबारी की घटनाएं सामने आईं. पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम उल्लंघन का यह लगातार पांचवां दिन था.

पाकिस्तान ने आतंक से प्रेरित अपनी आक्रामकता को नियंत्रण रेखा से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक बढ़ा दिया है. रक्षा सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने पहली बार 29-30 अप्रैल की रात को जम्मू के परागवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी की.

बीएसएफ ने त्वरित और सुनियोजित तरीके से जवाब दिया. अतिरिक्त जवानों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भेजा गया है. काफी समय से रही शांति के बाद नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बिना उकसावे के गोलीबारी पाकिस्तानी सेना में घर कर रहे डर को दिखाती है.

4. पाकिस्तान के मंत्रियों की चिंताजनक प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के सूचना मंत्री तरार का यह बयान कि भारत "अगले 24-36 घंटों" में हमला करेगा, पाकिस्तानी नागरिक नेतृत्व द्वारा दिए गए कई बयानों में से एक था.

घबराहट भरी प्रतिक्रियाओं के साथ यह धमकी भी दी गई कि कोई भी टकराव क्षेत्रीय मुद्दे का रूप ले सकता है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की ओर से किसी भी आक्रामक कार्रवाई का निर्णायक जवाब दिया जाएगा. साथ ही इस पूरे क्षेत्र में किसी भी गंभीर परिणाम के लिए भारत पूरी तरह जिम्मेदार होगा."

पाकिस्तान की घबराहट का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि खुद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र से भारत को "सलाह" देने की अपील की.

‘रेडियो पाकिस्तान’ के अनुसार, शरीफ ने पहलगाम आतंकी हमले की तटस्थ एवं निष्पक्ष जांच के लिए अपना अनुरोध दोहराया और संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भारत को जिम्मेदारी से काम करने और संयम बरतने की सलाह देने के लिए प्रोत्साहित किया.

5. पाकिस्तान ने अपने राजदूतों को अलग-अलग देशों में भेजा

22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत के रुख को देखते हुए पाकिस्तान ने अपने डिप्लोमैटिक चैनल यानी कूटनीतिक मशीनरी को एक्टिव कर दिया. इसके बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने तुर्की सहित अपने सहयोगी देशों से बातचीत कर इस मामले से जुड़ी जानकारी साझा की और किसी भी विशेष परिस्थिति में मदद की अपील की.

ऐसी खबरें हैं कि इस्तांबुल द्वारा पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की जा रही है. साथ ही ये जानकारी भी है कि 27 अप्रैल को तुर्की द्वारा भेजे गए सैन्य परिवहन विमान भी पाकिस्तान पहुंचे हैं.

27 अप्रैल को उप-प्रधानमंत्री इसहाक डार ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बात की और उन्हें पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ तनाव के बारे में जानकारी दी. डार ने ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी से भी बात की है.

28 अप्रैल को रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने मास्को में पाकिस्तान के राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली के अनुरोध पर उनसे मुलाकात की. पाकिस्तानी उप-प्रधानमंत्री इसहाक डार ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से भी बात की, जिसके बाद बीजिंग ने पहलगाम आतंकवादी हमले की "निष्पक्ष जांच" के लिए इस्लामाबाद के आह्वान का समर्थन किया.

भारत को मिला प्रमुख सहयोगी देशों का साथ
पाकिस्तान की घबराहट समझ में आती है क्योंकि प्रमुख देशों से कूटनीतिक मदद पाने की कोशिशों के बावजूद उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली है. केवल चीन ने ही तटस्थ जांच के लिए उसका समर्थन किया है.

हालांकि, इस वक्त चीन के सामने भी कई समस्याएं हैं, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टैरिफ युद्ध प्रमुख है. ऐसे में यह संभावना नहीं है कि किसी भी परिस्थिति में वह इस्लामाबाद का समर्थन करने के लिए बहुत आगे आएगा.

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अमेरिका जैसे प्रमुख वैश्विक सहयोगियों ने भी सार्वजनिक रूप से भारत का समर्थन किया है.
रविवार को अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान से पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद एक "जिम्मेदार समाधान" निकालने का आग्रह किया और साथ ही भारत के लिए अपना समर्थन जाहिर किया. एक अमेरिकी प्रवक्ता ने हमले की निंदा की और कहा कि वाशिंगटन "भारत के साथ खड़ा है."
 

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