मई की 12 तारीख को भारत की तीनों सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियान को लेकर जानकारी दी. सेना के अधिकारियों ने जिस आखिरी सवाल का जवाब दिया, वह पाकिस्तान के ‘किराना हिल्स’ से जुड़ा था.
भारतीय सेना ने 'किराना हिल्स' पर हमला किए जाने की खबर को खारिज कर दिया. माना जाता है कि पाकिस्तान इसी जगह पर परमाणु हथियारों को रखता है.
सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान के ‘किराना हिल्स’ को निशाना बनाया था. सोशल मीडिया यूजर्स ने कई तस्वीरें, वीडियो और इस इलाके के मैप को शेयर करते हुए दावा किया है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित सरगोधा जिले के ‘किराना हिल्स’ में विस्फोट हुआ था.
ऐसा दावा किया जा रहा है कि ‘किराना हिल्स’ का बड़ा क्षेत्र पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है. माना जाता है कि पहाड़ों के भीतर मजबूत गुफाएं हैं, जहां पाकिस्तानी सेना अपने परमाणु हथियार रखती है.
भारतीय वायुसेना के डायरेक्टर जनरल एयर ऑपरेशन ए.के. भारती से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछा गया था कि क्या किराना हिल्स पर हमला हुआ है? इसके जवाब में उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि ‘किराना हिल्स’ में पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठान हैं. हमें इसके बारे में पता नहीं था."
इसके बाद गंभीर अंदाज में उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि, "हमने ‘किराना हिल्स’ पर हमला नहीं किया है, चाहे वहां जो कुछ भी है. मैंने कल अपनी ब्रीफिंग में भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी थी."
भारत ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 26 लोगों की हत्या के बाद 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी शिविरों पर हमले किए थे.
हालांकि, भारत ने आतंकी शिविरों को निशाना बनाया, लेकिन भारतीय सेना ने यह स्पष्ट किया कि उसके सैनिक सैन्य और नागरिक क्षेत्रों से दूर रहे. हालांकि, पाकिस्तान ने मोर्टार शेल, ड्रोन और मिसाइलों से भारतीय सैन्य और नागरिक क्षेत्रों पर हमला किया.
जवाबी हमले में भारतीय वायु सेना (IAF) ने हवा से मार करने वाले सटीक हथियारों का उपयोग करते हुए पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में 11 सैन्य ठिकानों पर हमला किया.
भारतीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, लक्ष्यों में रफीकी, मुरीद, नूर खान, रहीम यार खान, सुक्कुर, चुनियन, पसरूर और सियालकोट के महत्वपूर्ण हवाई अड्डे शामिल थे. पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान के मुख्यालय रावलपिंडी के निकट नूर खान सैन्य अड्डे पर हुआ हमला सबसे महत्वपूर्ण है.
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान की परमाणु कमान
इसके अलावा रावलपिंडी के निकट चकलाला में नूर खान एयरबेस पर हमला महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व रखता था. यह सैन्य अड्डा पाकिस्तान के बड़े सैन्य अधिकारियों का पता है. पाकिस्तानी सेना के रणनीति और ऑपरेशन के लिए लिहाज से भी यह जगह महत्वपूर्ण है, जहां C-130 हरक्यूलिस और IAL-78 मिड-एयर रिफ्यूलर्स जैसे विमान रखे जाते हैं.
अधिक गंभीर बात यह है कि नूर खान एयरबेस, पाकिस्तानी सेना के सामरिक योजना मुख्यालय के बहुत निकट स्थित है. यह पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार की देखरेख करने वाली संस्था है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा, "पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर यह है कि उसकी परमाणु कमान को खत्म कर दिया जाएगा. नूर खान पर मिसाइल हमले को इस चेतावनी के तौर पर देखा जा सकता है कि भारत ऐसा कर सकता है."
सैटेलाइट इमेज से यह भी पता चला है कि सरगोधा के मुशफ एयरबेस के रनवे पर भी हमला हुआ है. यह बेस कथित तौर पर किराना हिल्स के नीचे भूमिगत परमाणु भंडारण स्थलों से जुड़ा हुआ है. यही वजह है कि भारत ने इसपर घातक हथियारों से हमला किया था.
‘किराना हिल्स’ पाकिस्तान के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
नूर खान और सरगोधा पर भारतीय सेना के हमले का उद्देश्य संघर्ष के और बढ़ने की स्थिति में पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार को तबाह करने की भारत की क्षमता को दिखाना था.
पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपनी परमाणु शक्ति का लाभ उठाने की कोशिश की है. जहां एक ओर भारत परमाणु हथियारों के मामले में पहले इस्तेमाल न करने की नीति पर चलता है, वहीं पाकिस्तान के पास संयम बरतने की कोई नीति नहीं है.
किराना हिल्स क्षेत्र के ऑनलाइन मानचित्र पर नजर डालने पर पहाड़ियों के बीच निर्माण कार्य होते हुए नजर आ रहा है. ‘किराना हिल्स’ पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक स्थान है. यह जगह सरगोधा वायु सेना बेस से सड़क मार्ग से सिर्फ 20 किमी और कुशाब परमाणु संयंत्र से 75 किमी दूर है.
फरवरी 2025 में जारी विश्व परमाणु संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, "इस्लामाबाद से 200 किलोमीटर दक्षिण में खुशाब में चार जल रिएक्टर हैं, जो परमाणु हथियार में इस्तेमाल होने वाले प्लूटोनियम का उत्पादन करते हैं."
कर्नल विनायक भट (सेवानिवृत्त) ने नवंबर 2017 में ‘द प्रिंट’ के लिए लिखा था कि ‘किराना हिल्स’ एक अत्यधिक सुरक्षित सैन्य क्षेत्र है, जो अपने भूमिगत परमाणु बुनियादी ढांचे के लिए जाना जाता है. लगभग 68 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले तथा 39 किलोमीटर परिधि से घिरे ‘किराना हिल्स’ को बहुस्तरीय रक्षा प्रणाली के साथ डिजाइन किया गया है.
पाकिस्तान की स्पेशल वर्क्स डेवलपमेंट (SWD) द्वारा कम से कम 10 किलेबंद सुरंगों का निर्माण किया गया है. कर्नल भट (सेवानिवृत्त) के मुताबिक, इन सुरंगों को मोटी दीवारों के साथ सीमेंट कंक्रीट (RCC) का उपयोग करके बनाया गया है, जो उच्च-प्रभाव वाले विस्फोटों को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है.
इन सुरंगों को लोहे की छड़ों की मदद से मजबूती से बनाया गया है, जिससे विस्फोटों के बावजूद क्षति कम से कम होती है. इन सबके बावजूद एक अनुभवी सैन्य अधिकारी ने चेतावनी दी कि भारतीय वायुसेना के पास ऐसे हथियार हैं, जो भूमिगत तहखानों को निशाना बनाने में सक्षम हैं. यही वजह है कि इस स्थल की गोपनीयता और सुरक्षा पाकिस्तान की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता के लिहाज से और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है.
नूर खान और सरगोधा एयरबेस पर भारतीय सेना के हमलों ने इस बात की चर्चा को बढ़ा दिया है कि न केवल भारतीय सेना को पाकिस्तान के बारे में सब कुछ पता है, बल्कि उनके पास पाकिस्तान में कहीं भी हमला करने की क्षमता भी है.
हालांकि, एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा, "हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि किराना हिल्स में कुछ परमाणु प्रतिष्ठान हैं. हमें इसके बारे में पता नहीं था." जब वह ये बात बोल रहे थे, तब उनके चेहरे पर एक मुस्कान थी. भारतीयों के लिए इस मुस्कान में एक संदेश छिपा था.