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पाकिस्तानी आर्मी चीफ मुनीर दो महीने में अब दूसरी बार क्यों जा रहे अमेरिका?

पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर 2 महीने में दूसरी बार अमेरिका जा रहे हैं. उनकी इस यात्रा से पहले तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है.

अमेरिका जा रहे आसिम मुनीर (सांकेतिक तस्वीर-AI)
अमेरिका जा रहे आसिम मुनीर (सांकेतिक तस्वीर-AI)
अपडेटेड 7 अगस्त , 2025

पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर इस महीने फिर से अमेरिका जाएंगे. दो महीने में यह उनकी दूसरी वाशिंगटन यात्रा होगी, जो पाकिस्तान और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का संकेत है.

मुनीर संयुक्त राज्य अमेरिका के सेंट्रल कमांड कमांडर (CENTCOM) जनरल माइकल कुरिल्ला के विदाई समारोह में शामिल होंगे. कुरिल्ला ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को "शानदार साझेदार" बताया था.

अमेरिकी सैन्य कार्रवाई की देखरेख करने वाले फोर स्टार आर्मी जनरल कुरिल्ला इस महीने के अंत में रिटायर होने वाले हैं.

कुछ महीने पहले कुरिल्ला ने अमेरिका के जरिए मिली खुफिया जानकारी के आधार पर पांच ISIS-खोरासन आतंकवादियों को पकड़ने के लिए पाकिस्तान की तारीफ की थी.

कुरिल्ला ने सदन की सशस्त्र सेवा समिति के सामने सुनवाई के दौरान कहा, "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान एक अभूतपूर्व साझेदार रहा है... इसलिए हमें पाकिस्तान और भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने की जरूरत है."

ऐसे समय में जब भारत आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की भूमिका को दुनिया के सामने उजागर कर रहा था, तब अमेरिका का पाकिस्तान की खुलेआम तारीफ करना नई दिल्ली को रास नहीं आ रहा है.

अमेरिकी सेंटकॉम प्रमुख के इस बयान को भारत और पाकिस्तान को एक तरह से या एक नजरिए से देखने की पुरानी पश्चिमी नीति की वापसी के रूप में देखा जा रहा है.

पाकिस्तान ने भी अमेरिकी सेना अधिकारी जनरल कुरिल्ला के इस बयान के बाद तोहफे में उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक "निशान-ए-इम्तियाज" से सम्मानित किया है. जब कुरिल्ला जुलाई में इस्लामाबाद आए थे, तब पाकिस्तान ने उनको यह सम्मान दिया था.

इन घटनाक्रमों से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ती सैन्य और रणनीतिक भागीदारी का संकेत मिलता है. जून में मुनीर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच पर मुलाकात की थी.

इस मुलाकात की टाइमिंग बेहद खास थी, क्योंकि पहलगाम आतंकी हमले और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कुछ हफ्ते के बाद ही ट्रंप पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर से मिले थे.

इतिहास में यह पहली बार था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान सरकार के किसी प्रतिनिधि की मौजूदगी के बिना किसी पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी का स्वागत किया.

ट्रंप ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में मुनीर की भूमिका की भी सार्वजनिक रूप से सराहना की. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "मैंने उन्हें यहां इसलिए बुलाया था, क्योंकि मैं उन्हें भारत के साथ जंग शुरू नहीं करने के लिए धन्यवाद देना चाहता था."

बदले में पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने दोनों पड़ोसियों के बीच "परमाणु युद्ध टालने" के लिए ट्रंप के नाम नोबेल शांति पुरस्कार की मांग की. उन्होंने ट्रंप को यह पुरस्कार दिए जाने का समर्थन किया. कुछ दिनों बाद पाकिस्तान की सरकार ने भी औपचारिक रूप से ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नामांकित किया.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान ने ट्रंप के अहंकार को संतुष्ट करने का काम किया है. मई से ही ट्रंप बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने टैरिफ की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में मदद की. हालांकि, भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को बार-बार गलत बताया है.

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