कर्नाटक में 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सैयद नासिर हुसैन की जीत के बाद 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनकी पहचान दिल्ली के इल्तहाज, बेंगलुरु के मुनव्वर और कर्नाटक के हावेरी जिले के मोहम्मद शफी के तौर पर की गई है.
इस घटना के ठीक बाद कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य बीके हरिप्रसाद का एक बयान आया कि पाकिस्तान बीजेपी के लिए 'दुश्मन देश' हो सकता है पर कांग्रेस इसे केवल एक पड़ोसी देश के तौर पर ही देखती है. इसके बाद केंद्र में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इस बयान के हवाले से कांग्रेस पर जमकर हमला करती दिखी.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 5 मार्च को कर्नाटक के बेलगावी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पूछा कि क्या यही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मकसद है? हालांकि भले ही पाकिस्तान को 'दुश्मन' मानने या ना मानने पर बवाल मचा हुआ हो, पर क्या वाकई में कानूनन पाकिस्तान या चीन भारत के दुश्मन हैं भी? इसके अलावा कुछ और बुनियादी सवाल भी खड़े होते हैं, मसलन भारत ने अब तक कितने देशों को दुश्मन घोषित किया है? दुश्मन देश घोषित होने के बाद उस देश के साथ किस तरह के न्यूनतम संबंध कायम रखे जाते हैं?
'दुश्मन' शब्द की सही पड़ताल के लिए भारतीय संविधान में 'द डिफेंस ऑफ इंडिया ऐक्ट, 1962' नाम का एक कानून है. इसे साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद पब्लिक सेफ्टी के नजरिए से लाया गया था. इस कानून में कुछ खास प्रावधान शामिल किए गए हैं जो जंग और इमरजेंसी की हालत में काम में लाए जाते हैं.
इस कानून के मुताबिक, कोई भी देश, व्यक्ति या फिर कोई ऐसी संस्था, जो भारत के खिलाफ बाहर से हमला कर रहा है, उसे 'दुश्मन' माना जाता है. इसमें वो देश और संगठन शामिल किए जा सकते हैं जो देश से बाहर रहकर देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं. इन संगठनों का अगर कोई चेहरा हो या कोई एक व्यक्ति इस हद तक भारत के खिलाफ आक्रामकता दिखाए जिससे देश की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा हो तो उस व्यक्ति को सरकार 'दुश्मन' की कैटेगरी में रख सकती है.
मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एसोसिएट फेलो डॉ. स्वस्ति राव का कहना है,"भारत के राष्ट्रपति ही युद्ध या शांति की घोषणा कर सकते हैं. भले ही भारत के रिश्ते चीन या पाकिस्तान के खिलाफ कितने भी खराब क्यों ना रहे हों या फिर युद्ध जैसे हालात ही क्यों ना रहे हों पर भारत ने किसी को भी 'दुश्मन राष्ट्र' घोषित नहीं किया है."
कौन सा देश 'दुश्मन' है इसे लेकर साल 2017 में आरटीआई भी फाइल हो चुकी है. इसमें विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया था कि उसने आज तक किसी भी देश को 'दुश्मन' या 'शत्रु' घोषित नहीं किया है. डॉ. राव कहती हैं, "इस बात की सटीकता स्थापित नहीं की जा सकती कि 'दुश्मन' देश घोषित करने के बाद उनके साथ हमारे रिश्ते कैसे रहेंगे. हालांकि जब हमारे पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसे हालात थे तब भी हमने 'जल संधि' को बरकरार रखा था. इसके अलावा हम मानवीय संबंधों को भी कायम रखने के पक्षधर रहे हैं."
चीन और पाकिस्तान को छोड़ दें तो किसी भी देश के साथ भारत के युद्ध जैसे हालात नहीं रहे. इन दोनों ही देशों के साथ युद्ध जैसे हालात में भी कोशिश यही रही है कि द्विपक्षीय संबंध कायम रखे जाएं. हालांकि कुछ मामलों में सरकार अलग रुख अपना सकती है. जैसे कश्मीर के मामले पर अब हमने पाकिस्तान के साथ बात-चीत करना छोड़ दिया है. स्वस्ति कहती हैं कि बजाय द्विपक्षीय संबंधों को खत्म करने के भारत कूटनीतिक प्रयासों के जरिए मुद्दों का समाधान खोजने में यकीन रखता है.