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पहलगाम हमला: अमेरिकी इंजीनियर, IAF अधिकारी; मारे गए 26 लोगों में और कौन थे?

22 अप्रैल की दोपहर आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला किया, जिनमें 26 लोग मारे गए

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोग
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोग
अपडेटेड 23 अप्रैल , 2025

22 अप्रैल की दोपहर ढाई बजे के करीब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 सैलानी मारे गए. ये सभी अपने परिवार-दोस्तों के साथ पहलगाम के रमणीय बैसरन घाटी में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे.

अब अधिकारियों ने इस विनाशकारी आतंकी हमले में मारे गए सभी लोगों के नाम जारी किए हैं. पहली बार माना गया कि इस नरसंहार में 26 लोग मारे गए. मृतकों की इस सूची में देश के कई राज्यों के लोग शामिल हैं.

इनमें अमेरिका में रहने वाले कोलकाता के एक इंजीनियर हैं तो वहीं बिहार के एक आबकारी इंस्पेक्टर, कर्नाटक के एक रियल एस्टेट एजेंट, ओडिशा के एक अकाउंटेंट और नौसेना के एक अधिकारी भी शामिल हैं.

मृतकों में महाराष्ट्र के 6, पश्चिम बंगाल के 2, उत्तराखंड के 1, हरियाणा के 1, उत्तर प्रदेश के 1, बिहार के 1, पंजाब के 1, केरल के 1, गुजरात के 3, कर्नाटक के 3, ओडिशा के 1, आंध्र प्रदेश के 1, मध्य प्रदेश के 1 और अरुणाचल प्रदेश के 1 लोग शामिल हैं. इनके अलावा नेपाल का एक सैलानी और पहलगाम का एक लोकल आदमी भी हमले में मारा गया.

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों की सूची
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों की सूची

यह हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की चार दिवसीय भारत यात्रा के समय हुआ है. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आतंकवादियों ने मारने से पहले धर्म पूछा और गैर-मुस्लिमों को सीधे गोली मार दी.

मरने वालों में हरियाणा के करनाल निवासी नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शामिल हैं, जिनकी छह दिन पहले ही शादी हुई थी और वे अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर गए हुए थे.

नौसेना अधिकारी की पत्नी एक वायरल वीडियो में कहते सुनी जा सकती हैं, "हम बस भेलपुरी खा रहे थे...और फिर उसने मेरे पति को गोली मार दी. बंदूकधारी ने कहा कि मेरे पति मुसलमान नहीं हैं और फिर उन्हें गोली मार दी."

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शादी की तस्वीर
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शादी की तस्वीर

भारतीय वायुसेना के अधिकारी तागे हैलियांग और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी मनीष रंजन भी उन लोगों में शामिल थे, जो घाटी में अब तक के सबसे नृशंस हमलों में से एक में मारे गए. मनीष रंजन बंगाल के पुरुलिया जिले के एक केंद्रीय खुफिया ब्यूरो अधिकारी थे.

रंजन वर्तमान में हैदराबाद में तैनात थे, और वे जम्मू-कश्मीर में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रहे थे. आतंकवादियों ने रंजन को करीब से गोली मारी, जिससे वे मौके पर ही बेदम हो गए. हालांकि उनके परिवार के सदस्य सुरक्षित बच गए.

महाराष्ट्र के पुणे के दो व्यवसायी संतोष जगदाले और कौस्तुभ गणबोटे 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले में गोली लगने से घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई. जगदाले पांच सदस्यीय समूह का हिस्सा थे, जिनमें उनकी पत्नी प्रगति, बेटी असावरी, कौस्तुभ गणबोटे और संगीता गणबोटे भी शामिल थे, जो मंगलवार को ही पहलगाम पहुंचे थे.

जगदाले की बेटी असावरी ने पीटीआई को बताया, "वहां कई पर्यटक मौजूद थे, लेकिन आतंकवादियों ने खासकर पुरुष पर्यटकों को निशाना बनाया और उनसे पूछा कि वे हिंदू हैं या मुसलमान."

ओडिशा के बालासोर के एक सैलानी प्रशांत सत्पथी की भी गोली लगने से मौत हो गई. प्रशांत अपनी पत्नी और आठ साल के बेटे के साथ छुट्टियां मनाने गए थे. मृतक के बड़े भाई सुशांत सत्पथी ने कहा, "जब हमने टोल-फ्री नंबर पर कॉल किया तो उन्होंने हमें केवल मेरे छोटे भाई की मौत की सूचना दी. मुझे अपने छोटे भाई की पत्नी या भतीजे के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वे कहां हैं."

अमेरिका स्थित टीसीएस के इंजीनियर बितान अधिकारी, जो अपनी पत्नी और तीन साल के बेटे के साथ इस बैसरन गए थे, वे भी इस हमले में मारे गए. वे कोलकाता के बैष्णबघाटा के रहने वाले थे. उनकी उम्र 40 साल थी. वे हाल ही में अमेरिका से लौटे थे और अपनी पत्नी सोहिनी अधिकारी (37) और अपने साढ़े तीन साल के बेटे हिरदान अधिकारी के साथ फैमिली ट्रिप पर थे. सौभाग्य से उनकी पत्नी और बच्चा हमले में बच गए.

उनके यात्रा कार्यक्रम के अनुसार, परिवार ने 16 अप्रैल से 24 अप्रैल तक कश्मीर यात्रा की योजना बनाई थी, जिसमें 24 अप्रैल को कोलकाता के लिए वापसी की यात्रा तय थी. श्रीनगर में पोस्टमार्टम के बाद बितान का शव कोलकाता वापस आने की उम्मीद है. परिवार फिलहाल शव के घर वापस आने का इंतजार कर रहा है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, "मृतकों में से एक, बितान अधिकारी पश्चिम बंगाल से हैं. मैंने उनकी पत्नी से फोन पर बात की है. हालांकि दुख की इस घड़ी में उन्हें सांत्वना देने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है, लेकिन मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि मेरी सरकार उनके पार्थिव शरीर को कोलकाता स्थित उनके घर वापस लाने के लिए सभी कदम उठा रही है."

कोलकाता निवासी समीर गुहा सांख्यिकी मंत्रालय के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी थे. पहलगाम के 52 वर्षीय पीड़ित अपनी पत्नी और बेटी के साथ कश्मीर घूमने गए थे.

कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों में से एक थे. उनके परिवार के अनुसार, शुभम और उनकी पत्नी मैगी खा रहे थे, तभी वर्दी में दो लोग उनके पास आए और पूछा कि क्या वे मुसलमान हैं और उनसे कलमा पढ़ने को कहा. कलमा इस्लामी आस्था का एक प्रतीक है.

शुभम के चचेरे भाई ने बताया, "जब वे ऐसा करने में विफल रहे, तो आतंकवादियों ने शुभम के सिर में गोली मार दी. हमलावरों में से एक ने फिर उसकी पत्नी के सिर पर बंदूक तान दी और उससे कहा कि वह भारत सरकार को बताए कि क्या हुआ है."

उन्होंने कहा कि शुभम की पत्नी सदमे में है. उन्होंने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की ताकि आतंकवादी किसी भारतीय को निशाना बनाने के बारे में सोचने से भी डरें.

शुभम की शादी को अभी दो महीने ही हुए थे. सीमेंट व्यवसायी उसके पिता संजय द्विवेदी ने बताया कि उनका बेटा जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर गया था और बुधवार को वापस आने वाला था.

इस आतंकी हमले में गुजरात के तीन पर्यटक भी मारे गए जबकि दो घायल हो गए. राज्य सरकार ने कहा कि शेष पर्यटकों को जल्द ही सुरक्षित वापस लाया जाएगा. मारे गए तीन लोगों में से दो भावनगर के बाप-बेटे थे.

सूरत के शैलेश कलथिया पर उनकी पत्नी और दो बच्चों के सामने हमला किया गया. आज शैलेश का जन्मदिन था और वे अपना जन्मदिन मनाने के लिए अपने परिवार के साथ कश्मीर गए थे. जब यह घटना हुई, तब वे घुड़सवारी का आनंद ले रहे थे. सुरक्षा बलों ने गुजरात के भावनगर में रहने वाले यतीशभाई और उनके बेटे स्मित की मौत की पुष्टि की.

भावनगर के 45 वर्षीय यतीशभाई सैलून चलाते थे और उनका 17 वर्षीय बेटा स्मित 11वीं कक्षा में पढ़ता था. उसके परिवार वालों ने बताया कि वे मोरारी बापू की कथा में शामिल होने श्रीनगर गए थे और वहां से वे घूमने निकले थे.

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए नेपाली व्यक्ति का शव आज शाम काठमांडू लाया जाएगा. लुंबिनी से 45 किलोमीटर दूर बुटवल के निवासी सुदीप भी आतंकियों द्वारा किए गए जानलेवा हमले के पीड़ितों में शामिल थे. उनके परिवार ने उनकी मौत की पुष्टि की है.

सुदीप के चाचा दधिराम न्यापाने ने फोन पर बताया कि 27 वर्षीय सुदीप परिवार में इकलौता बेटा था. उसने हाल ही में काठमांडू में पब्लिक हेल्थ की पढ़ाई पूरी की थी और बुटवल में मॉडर्न सोसाइटी डेंटल क्लिनिक में काम कर रहा था.

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