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पहलगाम हमले के बाद हजारों पर्यटकों को कश्मीर घाटी से कैसे सुरक्षित निकाला गया?

पहलगाम हमले के तुरंत बाद डरे और सहमे हुए पर्यटकों का जत्था कश्मीर घाटी से अपने घर वापस लौटने के लिए एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर पहुंचने लगा, जिससे हवाई और रेल मार्ग दोनों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

पहलगाम हमले के बाद रेलवे स्टेशन पर जुटी पर्यटकों की भारी भीड़ (सांकेतिक फोटो)
पहलगाम हमले के बाद रेलवे स्टेशन पर जुटी पर्यटकों की भारी भीड़ (सांकेतिक फोटो)
अपडेटेड 25 अप्रैल , 2025

अप्रैल की 22 तारीख को पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले में कम से कम 28 लोग मारे गए, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे. इस घटना के तुरंत बाद डरे और सहमे हुए पर्यटकों का जत्था कश्मीर घाटी से अपने घर वापस लौटने के लिए एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर पहुंचने लगा.

पर्यटकों की इस भीड़ के कारण हवाई और रेल मार्ग दोनों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसकी बड़ी वजह यह भी थी कि बाकी राज्यों में पड़ रही भारी गर्मी के कारण और ईद की छुट्टियां मनाने के लिए देशभर से पर्यटक यहां पहुंचे थे. इन पर्यटकों से जम्मू-कश्मीर के पर्यटन इंडस्ट्री को भारी कमाई हुई है.

हालांकि, पहलगाम की घटना के बाद सड़कें बंद थीं, सुरक्षा कड़ी थी, जिससे घाटी में फंसे पर्यटक दुविधा में थे. अब उनके पास अपने घर लौटने को लेकर बस दो ही रास्ते थे, या तो वो हवाई यात्रा करके घर लौटें या फिर रेलवे से.

घबराए पर्यटकों की भीड़ को देखते हुए उनकी मदद के लिए 23 अप्रैल को सुबह-सुबह श्रीनगर से चार विशेष उड़ानों की व्यवस्था की गई, जिनमें दो विमानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और दो ने मुंबई के लिए उड़ान भरी.

भारतीय रेलवे ने भी आपातकालीन बैठक की और उन लोगों के मदद के लिए आगे आया जो महंगा हवाई यात्रा कर अपने घर नहीं लौट सकते थे. जम्मू और बनिहाल दोनों जगहों से प्रमुख उत्तरी शहरों के लिए अतिरिक्त ट्रेनें चलाई गईं.

इस तरह हवाई और रेल मार्ग के माध्यम से कश्मीर में फंसे हजारों लोग अपने घर तक सुरक्षित पहुंचे, जो फौरी तौर पर ये व्यवस्था नहीं होने पर अनिश्चित काल तक यहां फंसे रह सकते थे.

इस संकट की घड़ी में रेलवे द्वारा तुरंत लिए गए इस फैसले को अंजाम तक पहुंचाना इसलिए संभव हो पाया क्योंकि जनवरी 2025 में ही जम्मू के लिए एक अलग रेलवे डिवीजन बनाने का फैसला लिया गया है.

इसके तहत रेलवे ने कश्मीर-जम्मू को लेकर एक नया लिंक बनाया है. इसके शुरू होने से संकट की घड़ी में रेलवे तेजी से निर्णय लेकर जरूरत के हिसाब से अलग-अलग विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर सकेगा. इससे कश्मीर में परिवहन व्यवस्था को बेहतर करने में मदद मिलेगी.

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि नए डिवीजन के तहत नागरिक प्रशासन, पुलिस और रेलवे नियंत्रण कक्षों के बीच कम समय में समन्वय स्थापित करने की व्यवस्था की गई है. इसकी वजह से जरूरत पड़ने पर चालक दल और स्टेशन कर्मचारियों को कम समय में इधर-उधर जाने में मदद मिलेगी.

पहलगाम की घटना के बाद नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर विमानन प्रतिक्रिया की निगरानी की और एयरलाइनों को सामान्य किराया स्तर बनाए रखने का आदेश दिया. नायडू ने एक बयान में कहा, "ऐसे कठिन समय में किसी भी यात्री को परेशानी नहीं होनी चाहिए."

एयरलाइनों को अतिरिक्त विमान तैनात करने और स्टैंडबाय पर अतिरिक्त क्षमता रखने का निर्देश दिया गया. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सभी एयरलाइनों को श्रीनगर के लिए उड़ानें बढ़ाने और रसद सहायता के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने की सलाह दी.

इतना ही नहीं नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइनों को आतंकी हमले में मारे गए पर्यटकों को उनके संबंधित गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए पूरा सहयोग देने का भी निर्देश दिया.

घटना के बाद एयर इंडिया और इंडिगो सबसे पहले पर्यटकों की मदद के लिए आगे आने वाली एयरलाइन कंपनियों में से थीं. एयर इंडिया ने श्रीनगर से दिल्ली और मुंबई के लिए अतिरिक्त उड़ानों की घोषणा की और 30 अप्रैल तक श्रीनगर जाने वाले या श्रीनगर से लौटने वालों के लिए यात्रा रद्द करने और रीशेड्यूल करने पर सभी शुल्क माफ कर दिए.

ग्राहकों को पूरा रिफंड दिया गया और उनकी सहायता के लिए हेल्पलाइन स्थापित की गईं. इंडिगो ने दो विशेष उड़ानों और 22 अप्रैल से पहले खरीदे गए टिकटों के लिए कैंसल किए जाने पर पैसा लौटाने की घोषणा की.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इंडिगो ने पोस्ट कर कहा कि हमले के बाद इस संकट की घड़ी में फंसे यात्रियों के सुरक्षित यात्रा के लिए एयरलाइन समर्पित भाव से काम कर रही है.

एयर इंडिया एक्सप्रेस ने भी अप्रैल के अंत तक श्रीनगर की यात्रा के लिए बुक किए गए टिकटों के कैंसल किए जाने पर भी पूरी तरह से पैसे लौटाने की घोषणा की और ग्राहकों से त्वरित सहायता के लिए अपनी व्हाट्सएप सहायता लाइन पर कॉल करने का आग्रह किया.

श्रीनगर एयरपोर्ट को हाल ही में सेवा गुणवत्ता के आधार पर सबसे खराब एयरपोर्ट की रैंकिंग मिली है. इसके बावजूद इस एयरपोर्ट ने इस वक्त पर्यटकों की भीड़ को आसानी से संभाला है. उड़ान की जानकारी नियमित रूप से पोस्ट की गई और कर्मचारियों को यात्रियों की सहायता करने के लिए हर जगह तैनात किया गया था.

इसी तरह से जम्मू और उधमपुर रेलवे स्टेशनों पर स्टेशन मास्टर और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवानों ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से वहां पहुंची भारी भीड़ को संभाला.

इस घटना के बाद हवाई और रेल मार्ग ने पर्यटकों के निकालने में जो अहम भूमिका निभाई, यह परिवहन के इन दोनों माध्यमों की बढ़ती स्वीकृति को दिखाता है.  

ये परिवहन के माध्यम सिर्फ विकास के साधन ही नहीं हैं, बल्कि आपदा प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. चाहे वह कोविड-19 के कारण लोगों को निकालने की बात हो, उत्तराखंड की बाढ़ हो या अब पहलगाम की घटना हो.

परिवहन के आसान उपलब्धता की वजह से सोशल मीडिया पर राहत की खबरें छाई रहीं. उदाहरण के लिए, बिना किसी जुर्माने के यात्रियों की बुकिंग फिर से शुरू हो गई, या फिर घटना के बाद कश्मीर से लौटे यात्रियों का दिल्ली एयरपोर्ट पर अपने परिवारों से दोबारा से खुशी-खुशी मिलना हो. 

अविषेक जी. दस्तीदार

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