अप्रैल की 22 तारीख को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक 15 दिन बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान कब्जे वाले 9 ठिकानों पर हमले किए. भारतीय सेना ने आतंकी ठिकाने पर किए गए इस हमले का नाम 'ऑपरेशन सिंदूर' रखा है.
इस मिशन का नाम ही दुनिया को संदेश देने वाला है. भारतीय सेना ने भी सीमा पार हमले की अपनी पहली घोषणा में ऑपरेशन के नाम को दिखाने के लिए एक तस्वीर शेयर किया, जिसमें ‘सिंदूर’ दिखाई दे रहा है. लेकिन, क्या आपको पता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम किसने रखा, कैसे रखा और क्यों रखा?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम कब और किसने रखा था?
आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ तीन खास मीटिंग की थी.
इन्हीं मीटिंग के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने पहलगाम आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर भारत के जवाबी हमले का निर्देश दिया था.
इतना ही नहीं इन गुप्त बैठकों में पीएम मोदी ने साफ संदेश दिया था, “आतंकियों ने हमारी कई महिलाओं को विधवा किया और पुरुषों को मारकर उनका सिंदूर हटाया है. हमें इसका जवाब देते हुए बड़ी कार्रवाई करनी है.”
सिर्फ भावनात्मक नहीं शौर्य-पराक्रम से भी जुड़ा है यह नाम
इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखे जाने की दो वजहें बताई दा रही हैं. पहली वजह तो ये है कि भारतीय संस्कृति में विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए सिंदूर का खास महत्व रखता है. दूसरी वजह ये है कि भारत में किसी बड़े मकसद के लिए जाने से पहले या खास मौकों पर तिलक के तौर पर सिंदूर लगाने की परंपरा है. इतना ही नहीं जंग पर जाने से पहले सैनिक भी गर्व से तिलक लगाते हैं.
इन दो मजबूत वजहों से ही इस ऑपरेशन का नाम सिंदूर से जोड़कर रखा गया है. जैसा कि आप जानते हैं कि पहलगाम आतंकी हमले में हरियाणा से हिमांशी नरवाल, उत्तर प्रदेश से ऐशन्या द्विवेदी, गुजरात से शीतल कलाथिया और काजलबेन परमार, कोलकाता से सोहिनी अधिकारी, महाराष्ट्र से प्रगति जगदाले, केरल से शीला रामचंद्रन, मध्य प्रदेश से जेनिफर नथानिएल और जया मिश्रा ऐसी महिलाएं थीं, जिनके पतियों को पहलगाम में आतंकवादियों ने मार डाला था.
पहलगाम हमले के बाद सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल होने लगा, जिसमें हिमांशी नरवाल शादी के मात्र छह दिन बाद पति और नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पार्थिव शरीर के पास घुटनों के बल बैठी थी.
कुछ दिनों बाद हिमांशी अपने पति को श्रद्धांजलि देते हुए दिखाई दीं, लेकिन माथे पर बिना सिंदूर लगाए नजर आईं. हिमांशी के इस चेहरे को देखकर पूरा देश भावुक हो गया था. आमतौर पर सिंदूर भारत में विवाहित हिंदू महिलाएं अपने माथे पर लगाती हैं.
यही वजह था कि इन दर्जनों महिलाओं के सिंदूर मिटाने वाले आतंकियों से बदला लेने के लिए सरकार ने भारतीय सेना को ऑपरेशन सिंदूर के नाम से कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. यह ऑपरेशन उन महिलाओं के समर्थन करने वाले लोगों के गुस्से और रोष का प्रतीक बन गया है.
वहीं, अगर भारतीय इतिहार पर गौर करें तो राजपूत और मराठा योद्धा अपने घर से निकलते वक्त माथे पर लाल सिंदूर से तिलक लगाया करते थे. यह तिलक लगाकर वीर योद्धा अपनी भूमि और धर्म की रक्षा के लिए दुश्मन से लड़ते हुए सिर ऊंचा रखते थे.
हमले के बाद भारत सरकार ने जारी बयान में क्या कहा?
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय ऑपरेशन में किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है. यह भारत के सोचे-समझे और गैर-उग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है."
अपने बयान में भारत सरकार ने कहा कि पाकिस्तान और पीओके में भारत द्वारा किए गए आतंकवाद विरोधी हमले का नाम बहुत महत्वपूर्ण है. यह नाम ही बताता है कि भारत को इस हमले के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा. भारत की दृढ़ प्रतिक्रिया मानवीय और वीरतापूर्ण दोनों है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम ही इसका प्रतीक है.