अप्रैल की 20 तारीख को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने अलीगढ़ में एक शाखा को संबोधित किया. उन्होंने वहां मौजूद स्वयंसेवकों से और लोगों से हिंदू समुदाय के भीतर जातिगत विभेदों को पाटने की अपील की.
भागवत ने हिंदू समुदाय के भीतर अधिक सामाजिक सद्भाव का आह्वान करते हुए कहा कि सभी के लिए "एक मंदिर, एक कुआं और एक श्मशान घाट" का सिद्धांत होना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लिए सच्ची सामाजिक एकता जरूरी है.
अलीगढ़ के पांच दिवसीय दौरे पर आए RSS प्रमुख ने एचबी इंटर कॉलेज और पंचन नगरी पार्क में आयोजित दो अलग-अलग शाखाओं में स्वयंसेवकों को संबोधित किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर भारत को शांति के दूत के रूप में अपनी वैश्विक जिम्मेदारी पूरी करनी है तो देश के लिए सच्ची सामाजिक एकता जरूरी है.
मोहन भागवत ने हिंदू समाज की नींव के रूप में 'संस्कार' के महत्व पर प्रकाश डाला और सदस्यों से परंपरा, सांस्कृतिक मूल्यों और नैतिक सिद्धांतों पर आधारित समुदाय का निर्माण करने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि हमें सभी वर्गों को समान सम्मान देना होगा. यही हमारा धर्म, यही हमारी संस्कृति है. भागवत ने कहा कि हमारे त्योहार केवल उत्सव नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक एकता के अवसर भी हैं. उन्होंने सभी वर्गों के लोगों को साथ मिलकर त्योहार मनाने का आग्रह किया.
मोहन भागवत ने कहा, "दुनिया शांति और समृद्धि के लिए भारत की ओर देख रही है. समाज अपने आप नहीं बदलेगा. हमें इसे घर-घर जाकर जगाना होगा."
RSS प्रमुख ने यह भी कहा कि परिवार की भूमिका समाज की मूलभूत इकाई बनी हुई है और मजबूत पारिवारिक मूल्य 'संस्कार' से हासिल होते हैं. उन्होंने राष्ट्रवाद और सामाजिक एकता को और मजबूत करने के लिए त्योहारों को सामूहिक रूप से मनाने को भी प्रोत्साहित किया.
17 अप्रैल से शुरू हुई मोहन भागवत की यात्रा में ब्रज क्षेत्र के RSS प्रचारकों के साथ रोजाना की बैठकें शामिल हैं. यह यात्रा RSS की शताब्दी समारोह (संगठन इस साल 100 साल पूरा कर रहा है) की तैयारियों का हिस्सा है, जो इस साल विजयादशमी से शुरू होने वाला है.