
अमेरिका की चीन, जापान, ब्राजील, साउथ कोरिया से लेकर थाईलैंड और कंबोडिया जैसे देशों के साथ ट्रेड डील हो चुकी है, लेकिन भारत के साथ अब तक बात नहीं बन सकी है.
खबरें हैं कि अमेरिका भारत को कृषि उत्पादों के साथ डेयरी प्रोडक्ट निर्यात करना चाहता है, जबकि भारत सरकार को इस पर कुछ आपत्ति है. इसी वजह से दोनों देशों के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता टल रहा है. हालांकि अब अमेरिकी सरकार इसके लिए 1 अगस्त की डेडलाइन तय की है.
इस बीच अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट में शामिल 'मांसाहारी दूध' भी चर्चा में है और दावा किया जा रहा है कि भारत को खासकर इसके आयात पर आपत्ति है.
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर ताजा अपडेट क्या है?
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर केंद्र सरकार के मंत्री पीयूष गोयल ने 14 जुलाई को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "जल्द ही भारत और अमेरिका के बीच एक ऐसा समझौता होगा, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा. फिलहाल हम तय डेडलाइन के बजाय एक ऐसे व्यापार समझौते पर ध्यान दे रहे हैं जो राष्ट्रीय हित में हो"
ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच दोबारा से व्यापार समझौते पर बातचीत 14 जुलाई की सुबह शुरू हुई, जो अगले चार दिनों तक चलेगी. ऐसा कहा जा रहा है कि कृषि और डेयरी ऐसे क्षेत्र हैं, जिसको लेकर भारत और अमेरिका के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. दोनों ही देश विवाद सुलझाने के लिए एक साझा आधार तलाश रहे हैं.
दूध समेत दूसरे डेयरी प्रोडक्ट पर क्यों अमेरिका से टकराया भारत?
भारत और अमेरिका ट्रेड डील के जरिए 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन डेयरी और कृषि क्षेत्र इस समझौते में बड़ी बाधा बन गए हैं.
दरअसल अमेरिका दूध और डेयरी प्रोडक्ट बाजार खोलने के लिए भारत पर दबाव डाल रहा है. हालांकि, भारत डेयरी के मुद्दे पर अमेरिका को सख्त नियमों के साथ इजाजत देना चाहता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने डेयरी क्षेत्र में किसी भी तरह की नरमी बरतने से साफ इनकार कर दिया है.
भारत चाहता है कि अमेरिका यह सुनिश्चित करे कि उसके यहां से भारत आने वाला दूध सिर्फ उन गायों का हो, जिन्हें मांस, रक्त या पशु-आधारित उत्पाद नहीं खिलाए गए हों.
इसके अलावा यह देश के1.4 अरब से ज्यादा लोगों की रोजाना की जरूरतों से जुड़ा है और 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को खासकर छोटे किसानों को रोजगार देता है. ऐसे में भारत अपने किसानों और अपने लोगों के हितों को दांव पर लगाकर समझौता नहीं करना चाहता. यही कारण है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर अब तक भारत की सहमति नहीं बन पाई है.
नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) के अजय श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी PTI से बातचीत में कहा है, “कल्पना कीजिए कि आप उस गाय के दूध से बना मक्खन खा रहे हैं, जिसे दूसरी गाय का मांस और खून दिया गया हो तो भारत शायद कभी इसकी अनुमति नहीं देगा. भारत में डेयरी प्रोडक्ट न केवल पीने-खाने के रूप में बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों में भी इस्तेमाल होते हैं. यही वजह है कि डेयरी प्रोडक्ट पर भारत और अमेरिका के बीच सहमति नहीं बन पाई है."
इस बीच, अमेरिका ने डेयरी और कृषि पर भारत के कठोर रुख को व्यापार समझौते की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक करार दिया है.
क्या है अमेरिका का ‘मांसाहारी दूध’, जिसका विरोध कर रही भारत सरकार?
अमेरिका से आने वाले दूध को 'मांसाहारी दूध' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वहां गायों को चारे में नॉन-वेज प्रोडक्ट खिलाया जाता है. अमेरिकी दैनिक अखबार ‘द सिएटल टाइम्स’ में "कैटल फीड इज ऑफेन ए सम ऑफ एनिमल पार्ट्स" नाम के टाइटल से छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका में गायों को अभी भी ऐसा चारा खिलाया जा सकता है, जिसमें सूअर, मछली, मुर्गी, घोड़े, यहां तक कि बिल्ली या कुत्ते मांस से बने उत्पाद मिले होते हैं.
इतना ही नहीं मवेशियों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए उनके आहार में सूअर और घोड़े का खून भी शामिल किया जाता है. इनका वजन बढ़ाने के लिए दूसरे जानवरों से निकाली गई चर्बी भी चारे में मिलाई जाती है.
अमेरिकी दूध के भारत आने से सालाना 1 लाख करोड़ रुपए का नुकसान
अगर ट्रेड डील में डेयरी प्रोडक्ट को लेकर अमेरिका की बात भारत मान लेता है, तो इससे बहुसंख्यक भारतीयों की सांस्कृतिक, धार्मिक और आहार संबंधी मान्यताओं को ठेस पहुंचने की आशंका है. वहीं SBI की एक रिसर्च में पता चला है कि इस समझौते से भारत को सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो सकता है.
महाराष्ट्र के एक किसान महेश सकुंडे ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "सरकार को यह तय करना होगा कि दूसरे देशों से सस्ते आयात से हम प्रभावित न हों. अगर ऐसा हुआ तो इससे पूरे कृषि क्षेत्र को नुकसान होगा और हमारे जैसे किसानों को भी."
बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का डेयरी क्षेत्र अब 16.8 अरब डॉलर का हो गया है. इसके अलावा देश में दूध का उत्पादन पूरी दुनिया में होने वाले दूध के उत्पादन 239 मिलियन मीट्रिक टन का लगभग एक चौथाई है. भारत में डेयरी क्षेत्र लाखों लोगों की आजीविका का आधार है.

भारत का डेयरी उद्योग दुनिया का सबसे बड़ा उद्योग है, जो वैश्विक दूध उत्पादन का 23% हिस्सा है. यह उद्योग राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान देता है. देश का दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन (एमटी) से 6.2% की सीएजीआर से बढ़कर 2020-21 में 209.96 मीट्रिक टन हो गया.
ऐसे में अमेरिकी डेयरी आयात के लिए बाजार खोलने से देश में दूध से बने सस्ते प्रोडक्ट की बाढ़ आ सकती है, जिससे घरेलू सामानों की कीमतें गिर जाएगी. इससे छोटे किसानों माली हालत और खराब हो सकती है.