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अतुल सुभाष केस के बीच गुजारा भत्ता को लेकर जारी सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइंस क्या बताती हैं?

बेंगलुरु में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले पर चल रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता को लेकर आठ सूत्री एक नई गाइडलाइंस तय की है

सुप्रीम कोर्ट ने अन्य सभी अदालतों को दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी है
सुप्रीम कोर्ट ने अन्य सभी अदालतों को दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी है
अपडेटेड 12 दिसंबर , 2024

बेंगलुरु में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की कथित तौर पर अपनी पत्नी के उत्पीड़न के कारण आत्महत्या मामले पर चल रही बहस के बीच, सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कई शर्तें और कारक निर्धारित किए हैं. ये वो शर्तें हैं जिन्हें तलाक के मामलों में गुजारा भत्ता राशि तय करते वक्त उचित अहमियत देने की जरूरत होती है. 

सुप्रीम कोर्ट ने अन्य सभी अदालतों को इन दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी, लेकिन ये भी कहा कि स्थायी गुजारा भत्ता तय करते समय ये शर्तें कोई "स्ट्रेट जैकेट फॉर्मूला" या एक समान नियम नहीं बनाते हैं.

SC दरअसल, प्रवीण कुमार जैन और अंजू जैन नामक दंपति के तलाक के मामले की सुनवाई कर रही थी. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना वी वराले की पीठ ने प्रवीण कुमार जैन को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में पांच करोड़ रुपये देने का आदेश दिया.

गुजारा भत्ता तय करने के लिए आठ सूत्री फॉर्मूला

तलाक के बाद गुजारा भत्ता नीचे लिखी गई बातों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा - 

1. पति और पत्नी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति

2. भविष्य में पत्नी और बच्चों की बुनियादी जरूरतें

3. दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार

4. आय और संपत्ति के स्रोत

5. ससुराल में रहते हुए पत्नी का जीवन स्तर

6. क्या उसने परिवार की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी है?

7. कामकाजी न होने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई हेतु उचित राशि

8. पति की आर्थिक स्थिति, उसकी कमाई और अन्य जिम्मेदारियां और भरण-पोषण भत्ता क्या होगा?

पीठ ने तलाक मामले में फैसला सुनाते हुए जैन दंपति के वयस्क बेटे के भरण-पोषण और फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान करने की जरूरत पर बल दिया. शादी के बाद छह साल तक ये दोनों एक साथ रहे और अगले 20 साल अलग-अलग रहे. उनके विवाह में बेमेल जोड़ी और तनावपूर्ण संबंधों के आरोप लगे थे.

प्रवीण ने आरोप लगाया कि अंजू बहुत सेंसिटिव थी और वो उनके परिवार के साथ रुखाई से पेश आती थी. दूसरी ओर, अंजू का आरोप था कि प्रवीण का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था. इतने लंबे समय तक अलग रहने के कारण दंपति को अपनी वैवाहिक जिम्मेदारियों को पूरा करने का कोई अवसर नहीं मिला. 

इसे देखते हुए कोर्ट ने माना कि उनके मामले में शादी का मतलब यानी लगाव और रिश्ता पूरी तरह से टूट चुका है. इसके बाद कोर्ट ने शर्तें तय करते हुए तलाक को मंजूरी दे दी. 

सर्वोच्च अदालत का ये फैसला बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले में चौतरफा आक्रोश के बीच आया है. सुभाष ने सुसाइड करने से पहले अपनी अलग रह रही पत्नी और उसके परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. 34 वर्षीय सुभाष ने 9 दिसंबर को आत्महत्या कर लिया था, और उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर आरोप लगाते हुए 24 पन्नों का एक नोट छोड़ा. 

पुलिस को मिले नोट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता पर दहेज की मांग, अप्राकृतिक यौन संबंध और हत्या के दावों के साथ उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने का आरोप लगाया. 

उस नोट में सुभाष के बरसों के संघर्ष का ब्योरा है, जिसमें उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक फैमिली कोर्ट में कानूनी विवाद शामिल थे. इसमें निकिता की हाई मेंटेनेंस भुगतान की मांग और अदालती कार्यवाही के दौरान उनके व्यवहार का भी जिक्र किया गया है.

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