केंद्र सरकार बुधवार यानी 20 अगस्त को लोकसभा में तीन संविधान संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है. इन विधेयकों के जरिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों या केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्रियों को गंभीर अपराधों में गिरफ़्तार होने पर पद से हटाने का नियम बनेगा. इन विधेयक से संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में बदलाव किया जाएगा. ये जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में भी बदलाव करेंगे.
विधेयकों के मुताबिक, अगर किसी मंत्री- जिसमें प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री भी शामिल हैं- को किसी गंभीर मामले (जिसमें 5 या अधिक वर्षों की जेल की सज़ा हो सकती है) में गिरफ़्तार करके 30 दिनों तक जेल में रखा जाता है, तो उन्हें अपना पद छोड़ना होगा.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में एक नया क्लॉज (धारा 4A) जोड़ा जाएगा. इसके अनुसार, यदि कोई मंत्री 30 दिनों तक जेल में रहता है, तो उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री की सलाह के आधार पर 31वें दिन तक उसे पद से हटाना होगा. अगर मुख्यमंत्री यह सलाह नहीं देते हैं, तो मंत्री अगले ही दिन स्वतः ही पद से हट जाएंगे.
जम्मू-कश्मीर जैसे बाकी केंद्रशासित प्रदेशों में भी यही नियम लागू होगा. अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री 30 दिनों तक जेल में रहता है, तो उसे पद से हटाना होगा. अगर सलाह देकर नहीं हटाया जाता है, तो भी 31वें दिन के बाद वह स्वतः ही अपना पद खो देगा.
यही नियम केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर भी लागू होगा. 30 दिनों तक जेल में रहने वाले मंत्री या प्रधानमंत्री को 31वें दिन पद से हटा दिया जाएगा.
सरकार का कहना है कि ये विधेयक जनता के विश्वास और संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. विधेयक में कहा गया है कि निर्वाचित नेताओं को उच्च मानकों का पालन करना चाहिए.
केंद्रीय गृहमंत्री इन विधेयकों को लोकसभा में पेश करने वाले हैं. उनकी तरफ से 19 अगस्त को विधेयक का उद्देश्य और कारणों पर एक स्टेटमेंट सभी लोकसभा सदस्यों को भेजा गया है. इसमें कहा गया है, "हालांकि, गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए किसी मंत्री को हटाने के लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं है. यह देखते हुए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करने की जरूरत है."
इस बयान में यह भी कहा गया है कि लोग मंत्रियों से ईमानदारी की उम्मीद करते हैं. अगर कोई मंत्री गंभीर अपराधों के लिए जेल में है, तो वह जनता के विश्वास और सुशासन को नुकसान पहुंचा सकता है.