नेपाल में Gen-Z प्रदर्शन खत्म होने के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे चल रहा है. नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान, कार्की ने नेपाल के कुछ मंत्रियों और प्रभावशाली नौकरशाहों के खिलाफ निर्णायक फैसले सुनाकर एक निडर न्यायाधीश के रूप में अपनी पहचान बनाई.
सुशीला कार्की के जीवन का एक रोचक पहलू उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का विवादास्पद अतीत है, जो नेपाल के पहले विमान अपहरण में शामिल थे. दुर्गा प्रसाद ने जिस विमान को हाईजैक किया, उसमें मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा भी सवार थीं.
राजशाही के खिलाफ लड़ाई में पैसे के लिए किया विमान हाईजैक
साल 1973 की बात है. नेपाल में राजा महेंद्र का शासनकाल था. इस वक्त नेपाल में राजशाही के खिलाफ लोकतंत्र समर्थक सशस्त्र संघर्ष कर रहे थे. बाकी आंदोलनों और विद्रोहों की तरह नेपाल में जारी इस संघर्ष के लिए भी लोकतंत्र समर्थकों को फंड की जरूरत होती थी.
दुर्गा प्रसाद सुबेदी की किताब 'विमान विद्रोह' के मुताबिक, 1970 के दशक में एक वक्त ऐसा आया, जब उनके पास आगे की लड़ाई के लिए संसाधन की भारी कमी हो गई. इसी समय लोकतंत्र समर्थकों को नेपाल राष्ट्र बैंक में काम करने वाले कर्मचारी मदन आर्यल से सूचना मिली कि बैंक करीब 30 लाख भारतीय रुपए विराटनगर से काठमांडू भेजने वाला है.
यह रकम 10 जून 1973 को रॉयल नेपाल एयरलाइन के DHC-6 विमान से भेजी जानी थी. इसकी जानकारी मिलते ही लोकतंत्र समर्थक विद्रोही इस विमान को हाईजैक करने की प्लानिंग करने लगे.
लोकतंत्र समर्थक इन विद्रोहियों के सामने अब करो या मरो की स्थिति थी. आगे की लड़ाई के लिए पैसे की जरूरत थी और विद्रोहियों को लगा कि ये पैसा विमान को हाईजैक करके ही मिल सकता है.
फिर क्या था, इस विमान को हाईजैक करने की जिम्मेदारी नेपाली कांग्रेस पार्टी के लोकतंत्र समर्थक तीन नेताओं बसंत भट्टाराई, नागेंद्र धुंगेल और दुर्गा प्रसाद सुबेदी ने ली.
दुर्गा प्रसाद सुबेदी कुछ वक्त पहले ही नेपाल की एक जेल से रिहा हुए थे. जेल में रहते हुए सुबेदी ने जापान एयरलाइंस के एक विमान को हाईजैक करने की पूरी कहानी पढ़ी थी. सुबेदी ने उसी विमान की तरह रॉयल नेपाल एयरलाइंस के विमान का भी अपहरण करने का फैसला किया.
विमान हाईजैक किए जाने वाले दिन की कहानी
10 जून 1973 को सुबह के करीब 8:30 बजे 19 सीटों वाले रॉयल नेपाल एयरलाइंस का ट्विन ओटर विमान ने विराटनगर से काठमांडू के लिए उड़ान भरी. सुबेदी अपने दो अन्य साथियों के साथ विमान में सवार हो गए थे.
विमान में तीन चालक दल के सदस्यों के अलावा 19 यात्री सवार थे. इनमें से एक यात्री अपने समय की प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री माला सिन्हा भी शामिल थीं. विमान के उड़ान भरने के पांच मिनट के भीतर ही तीनों अपहरणकर्ताओं ने विमान को हाईजैक कर लिया.
उन्होंने पायलट को बिहार के फारबिसगंज में एक हरेभरे घास के मैदान में विमान उतारने के लिए मजबूर किया. विमान को हाईजैक करने से पहले ही सुबेदी और उसके साथियों ने पूरी प्लानिंग कर ली थी. जैसे ही विमान फारबिसगंज में उतरा वहां पहले से तीन जीप में सवार 6 लोगों ने विमान को घेर लिया.
विमान से पैसा लूटने के लिए एक भारतीय नागरिक गणेश शर्मा के अलावा बिनोद आर्याल, सुशील कोइराला , मनहारी बराल, राजेंद्र दहल और बीरू लामा उस वक्त वहां मौजूद थे. उन्होंने विमान से पैसा उतारने के बाद उसे तीन अलग-अलग बक्से में रख दिया. नकदी के बक्से निकाले जाने के तुरंत बाद विमान यात्रियों को लेकर उड़ान भर गया. अपहरणकर्ता पहले दार्जिलिंग , फिर बनारस और आखिरकार पैसा लेकर बंबई पहुंच गए.
काठमांडू पोस्ट और द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, गिरिजा प्रसाद कोइराला और चक्र प्रसाद बस्तोला लूट का माल दार्जिलिंग ले जाने में शामिल थे. वही गिरिजा प्रसाद कोइराला जो बाद में नेपाल के प्रधानमंत्री बने.
सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी और अपहरण में शामिल अन्य लोगों को बाद में मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया, उन्हें दो साल की जेल हुई. 1975 में आपातकाल के दौरान उन्हें रिहा कर दिया गया.
सुशीला ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी
हालांकि, अपने पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी की तुलना में सुशीला कार्की की कहानी बिल्कुल अलग है. वाराणसी के बीएचयू की पूर्व छात्रा सुशीला कार्की ने मुख्य न्यायाधीश रहते हुए भ्रष्टाचार और न्यायिक सुधारों के खिलाफ अपने कड़े रुख के कारण नेपाल में अपना नाम बनाया.
मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल चुनौतियों से रहित नहीं था और उनके साहसिक कार्यों के कारण उन्हें राजनीतिक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा.
नेपाली संसद ने कार्यपालिका के कामकाज में कथित दखल के कारण उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था. इसके बाद उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया. बाद में कार्की को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुख्य न्यायाधीश के पद पर पुनः नियुक्त कर दिया गया.
इस मामले ने सर्वोच्च न्यायालय को उस संवैधानिक नियम को बदलने के लिए प्रेरित किया, जिसके तहत संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश होते ही मुख्य न्यायाधीश को निलंबित कर दिया जाता था.
अब भ्रष्टाचार और अधिनायकवाद के मुद्दे पर Gen-Z के हिंसक विरोध के बाद नेपाल दोराहे पर खड़ा है. ऐसे वक्त में अगर सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बनती हैं तो उन्हें फिर से वही निडरता प्रदर्शित करनी होगी.