scorecardresearch

नेपाल ने वॉट्सएप-फेसबुक पर बैन क्यों लगाया! जनता कैसे हो रही परेशान?

नेपाल की सरकार ने 3 सितंबर से वॉट्सएप-फेसबुक सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया है

social media
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन से नेपाल की आम जनता परेशान है
अपडेटेड 5 सितंबर , 2025

बीते गुरूवार यानी 3 सितंबर को नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित कुल 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया है. मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक़, सोशल मीडिया कंपनियों को 28 अगस्त से सात दिनों यानी बुधवार यानी 4 सितंबर तक नेपाल में रजिस्ट्रेशन कराने का वक्त दिया था. लेकिन बुधवार रात तक समय-सीमा ख़त्म हो जाने के बावजूद बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन जमा नहीं कराईं. 

नेपाल सरकार के प्रवक्ता और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कहा है, "जिन कंपनियों पर सरकार ने फिलहाल बैन लगाया है, उनकी तरफ से किसी तरह का कोई संवाद नहीं हो पाया है. अगर ये कंपनियां नेपाल के नियम-कानून के तहत खुद को रजिस्टर करती हैं, तो उन्हें संचालन की छूट दी जा सकती है. हालांकि, नेपाल सरकार का यह फ़ैसला लागू होने के बाद सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.” 

जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बैन किया गया है उनमें फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, यूट्यूब, एक्स, रेडिट, लिंक्डइन, स्नैपचैट, डिस्कॉर्ड शामिल हैं. इसके अलावा पिनट्रेस्ट, सिग्नल, थ्रेड्स, वी चैट, कोरा, क्लबहाउस, रंबल, वीके, लाईन, आईएमओ, जालो, सोल, हामरो पातरो, मास्तोडॉन, मी वी और टंबलर भी हैं. 

क्या कह रहे पूर्व प्रधानमंत्री और मंत्री 

नेपाल की आम जनता सरकार के इस फैसले से परेशान तो है, लेकिन खुलकर विरोध नहीं कर रही. दरअसल बैन को लेकर सरकार के तर्क से आम जनता खुद को अलग नहीं कर पा रही है. हालांकि दूसरी तरफ नेताओं ने इसका खुलकर विरोध किया है. 

पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई का कहना है कि नियमन करना सही है, लेकिन सरकार को इस तरीके से बैन नहीं करना चाहिए. एक और पूर्व पीएम पुष्प दहल कमल प्रचंड ने भी इसका विरोध किया है. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, "वर्तमान सरकार ने सोशल नेटवर्क के माध्यम से लगातार केस दर्ज करने, रिश्तेदारों की रक्षा करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने का काम जारी रखा है.” 

वो आगे कहते हैं, "इस फैसले से न केवल संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की आजादी है बाधित हो रही है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था का लगातार उपयोग कर रहे विदेशी श्रमिकों और उनके परिवारों के बीच संचार साधने में भी पेरशानी हो रही है. हमारी पार्टी उचित नियमन के पक्ष में अटल है, सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्मों के नियंत्रण के नहीं.” 

वहीं पीएम केपी ओली की सरकार में साल 2018 में संचार मंत्री रह चुके गोकुल बास्कोटा ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा है, "नेपाल को नॉर्थ कोरिया नहीं बनाना है. सरकार को अपने फैसले तुरंत वापस लेने चाहिए. इसका सबसे अधिक खामियाजा नेपाल से बाहर रह रहे मजदूरों और उनके परिजनों को हो रहा है. जो केवल फेसबुक मैसेंजर या व्हाट्सएप के माध्यम से हर दिन अपने परिवार का हाल चाल ले रहे थे.”

पीएम केपी ओली के सचिवालय की ओर से पत्रकारों को सूचना देने के लिए एक वॉट्सएप ग्रुप बनाय गया है. बैन के प्रभाव का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि शुक्रवार सुबह भी उस ग्रुप में प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़ी सूचनाएं साझा की गई हैं. 

परशूराम काफले काठमांडू में 'नया पत्रिका' अखबार के पॉलिटिकल ब्यूरो चीफ हैं. वे कहते हैं,  "जिन कंपनियों को बैन किया गया है उनमें से अधिकतर नेपाल के रेवेन्यू डिपार्टमेंट से रजिस्टर्ड हैं और वहां टैक्स भी दे रही हैं. लेकिन सूचना प्रसारण मंत्रालय से रजिस्टर्ड नहीं हैं." काफले के मुताबिक अब कंपनियां सरकार से संपर्क कर रही हैं.  

क्या कह रहे हैं लोग 

जनकरपुर निवासी नवीन झा के मुताबिक बैन का असर दिखने लगा है. कई लोग फेसबुक पर पोस्ट तो कर पा रहे हैं, लेकिन लाइक और कमेंट नहीं आ रहे हैं. कुछ का फेसबुक खुल रहा है, लेकिन वहां शेयर किए गए न्यूज लिंक नहीं खुल रहे हैं. 

उनके मुताबिक फ़ेसबुक मैसेंजर, वॉट्सएप और यूट्यूब सहित कई एप रात से नहीं चल रहे. जबकि कुछ यूज़र्स को शुक्रवार सुबह तक कोई समस्या नहीं हुई. हालांकि नवीन का वॉट्सएप चल रहा था. 

नैंसी दत्त काठमांडू के सिंह दरबार इलाके में एनएएमई इंस्टीट्यूट से बीएससी एग्रीकल्चर में फाइनल ईयर की छात्रा हैं. उनका फेसबुक और इंस्टाग्राम बंद हो चुका है. वॉट्सएप कभी बंद होता है कभी चालू हो जाता है. वे कहती हैं, "इंस्टाग्राम, फेसबुक और वॉट्सएप अब हमारी रोजाना की जिंदगी का हिस्सा हैं. सरकार के निर्णय से हमें परेशानी हो रही है. लेकिन कंपनियों को हमारी नेपाल सरकार के नियम मानने चाहिए.” 

नेहा यादव मोरंग जिले की रहनेवाली हैं. वो राजधानी काठमांडू में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती हैं. वे कहती हैं, "हमें केवल कुछ सूचनाएं मिलने में देरी हो रही है. बाकी सरकार का नियम सही है. लेकिन मेरे जानने वाले कई ऐसे लोग हैं जो सोशल मीडिया के इन प्लेटफॉर्म्स से ज्यादा जुड़े हैं, उन्हें काफी दिक्कत हो रही है.” 

धनकुटा जिले के धनकुटा बाजार इलाके के रहने वाले राज कार्की सरकार के ताजा फैसले को राष्ट्रीय गौरव से जोड़कर देखते हैं. वे कहते हैं, "फेसबुक चाहे कितनी भी बड़ी पूंजीवादी कंपनी हो, किसी देश की सरकार से ऊपर नहीं हो सकती.” 

रश्मि कर्ण ने हाल ही में काठमांडू कैथफोर्ड इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है. वे जानकारी देती हैं, "वॉट्सएप गुरूवार की शाम को काफी डिस्टर्ब था. शुक्रवार को कभी काम कर रहा है, कभी अचानक बंद हो जा रहा है. मेरे कई रिश्तेदार इंडिया में रहते हैं. उनसे बात नहीं हो पा रही है. ज्यादातर वॉट्सएप का इस्तेमाल कर रहे थे. लेकिन अभी मैंने अपनी मां को मैसेंजर पर कॉल करना सिखाया है. वो थोड़ा बहुत काम कर रहा है.”  

इन सब के बीच नेपाल की आम जनता को उम्मीद है कि सबकुछ बहुत जल्द सामान्य हो जाएगा.

Advertisement
Advertisement