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NEET: झारखंड में जले हुए कागजों में मिला था प्रश्नपत्र, बिहार पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?

NEET के मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने 22 जून को केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें साफ तौर पर पेपर लीक का संकेत मिला है

पटना में नीट-यूजी परीक्षा 2024 मामले में गिरफ्तार आरोपियों को ले जाती बिहार पुलिस
पटना में नीट-यूजी परीक्षा 2024 मामले में गिरफ्तार आरोपियों को ले जाती बिहार पुलिस
अपडेटेड 24 जून , 2024

देशभर में जोर पकड़ चुके NEET मामले की जांच में सीबीआई समेत देश की दूसरी जांच एजेंसियां भी जुटी हुई हैं. इसी सिलसिले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेज दी है.

जांच के दौरान मिले सबूतों को दिल्ली स्थित केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेज दिया गया है और EOU की टीमें लगातार छापामारी  कर रही हैं. बिहार पुलिस की इस टीम ने झारखंड के देवघर से भी छह लोगों को हिरासत में लिया है.

EOU की रिपोर्ट में सबसे अहम बात यह सामने आई है कि टीम की तरफ से पेपर लीक की बात की गई है जिसे केंद्र सरकार का शिक्षा मंत्रालय पहले ही दिन से नकार रहा है. इंडियन एक्सप्रेस में रितिका चोपड़ा की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार का केंद्र को यह संदेश इस तथ्य पर भेजा गया है कि उसकी EOU ने कथित प्रश्नपत्र की फोटोकॉपी के जले हुए टुकड़ो से मिले 68 प्रश्नों का मिलान उस मूल प्रश्नपत्र से किया है, जिसे NTA ने पांच दिन पहले EOU के साथ साझा किया था.

68 प्रश्न मूल पेपर के बिल्कुल समान होने के अलावा एक और बात जो बिहार के पेपर लीक के दावे को पुष्ट करती है, वो यह है कि जले हुए पेपर और मूल पेपर पर इन प्रश्नों के क्रमांक भी एक जैसे ही हैं. रितिका अपनी रिपोर्ट में बताती हैं, "हालांकि जले हुए प्रश्नपत्र 5 मई को ही मिल गए थे, जिस दिन परीक्षा हुई थी और संदिग्ध अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन, सूत्रों के अनुसार, NEET-UG प्रश्नपत्र के साथ उनका मिलान करने में EOU की ओर से देरी एनटीए की राज्य सरकार के साथ सूचना, विशेषकर प्रश्नपत्र, साझा करने में शुरुआती अनिच्छा के कारण हुई."

EOU ने 22 जून को शिक्षा मंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें यह भी कहा गया है कि बिहार पुलिस ने गिरफ्तार अभ्यर्थियों के घर से जले हुए पेपर के टुकड़ों से जो यूनिक परीक्षा केंद्र कोड प्राप्त किया, वह ओएसिस स्कूल का है. सीबीएसई से सम्बद्ध ओएसिस स्कूल को झारखंड के हजारीबाग में एनटीए ने परीक्षा केंद्र बनाया था.

जले हुए पेपर के टुकड़ों का मिलान मूल पेपर और उसके प्रश्नों से करने के लिए EOU ने फोरेंसिक लैब की मदद ली. बिहार पुलिस की इस इकाई की रिपोर्ट के आधार पर ही शिक्षा मंत्रालय ने 22 जून को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया. इसके साथ ही EOU ने 23 जून को पांच और संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जिससे पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या 18 हो गई है.

फिलहाल बिहार EOU इस बात की जांच में जुटा है कि पेपर लीक कब और कहां हुआ. एनटीए ने हाल ही में प्रश्नपत्र की कस्टडी की चेन (प्रश्नपत्र किसे और कब मिला) साझा की है, जिसकी मदद से EOU लीक की पहचान करने के लिए एनटीए की कस्टडी से ओएसिस स्कूल तक पेपर पहुंचने के तौर-तरीके का पता लगा रहा है.

गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों ने पुलिस के सामने गवाही दी कि उन सब में से चार परीक्षार्थियों ने 5 मई को NEET-UG परीक्षा से एक दिन पहले लीक हुए प्रश्नपत्र के उत्तर याद कर लिए थे.

NEET का जब परिणाम आया तब चारों को 720 में से 581, 483, 300 और 185 अंक मिले. भले ही केवल चार परीक्षार्थियों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन आरोपियों के बयानों के आधार पर EOU का मानना ​​है कि पेपर लीक से 30 और उम्मीदवारों, जो राजबंशी नगर में इन 4 आरोपियों के साथ रह रहे थे, को भी इसका फायदा हुआ है.

शुरुआत में, पटना पुलिस ने इसे पेपर लीक नहीं माना था, जबकि बयानों से कुछ और ही संकेत मिल रहे थे. दबाव बढ़ने पर बिहार सरकार ने पूरे मामले की जांच का जिम्मा स्वतंत्र एजेंसी EOU को सौंप दिया. अब सीबीआई की जांच से ही पता चल सकेगा कि वाकई पेपर लीक हुआ था और अगर हां तो इसके जिम्मेदार कौन लोग हैं. 

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