मार्च की 16 तारीख की शाम को पीएम नरेंद्र मोदी और लेक्स फ्रीडमैन का पॉडकास्ट जारी हुआ. 3 घंटा 17 मिनट के इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने वैश्विक राजनीति, विज्ञान, टेक्नोलॉजी, भारत की विकास यात्रा और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े सभी जरूरी सवालों के जवाब दिए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी पीएम मोदी के इस इंटरव्यू को शेयर किया है.
अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “यह मेरे जीवन की सबसे मार्मिक और शक्तिशाली बातचीत में से एक थी.” फ्रीडमैन, पीएम मोदी से पहले दुनिया के सबसे बड़े अरबपति एलन मस्क, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेन के राष्ट्रपति राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की जैसे बड़े नेताओं का भी इंटरव्यू ले चुके हैं.
PM मोदी ने इस इंटरव्यू में गोधरा से लेकर पाकिस्तान तक, जिन बड़े और गंभीर मुद्दों पर बात की है, अब एक-एक कर उनके बारे में जानते हैं-
उपवास रखने और हिंदू धर्म पर
पॉडकास्ट की शुरुआत में फ्रीडमैन ने कहा, “मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैंने उपवास रखा है. अब वैसे 45 घंटे यानी दो दिन हो गए हैं. मैं सिर्फ पानी पी रहा हूं, खाना बंद है. मैंने ये इस बातचीत के सम्मान और तैयारी के लिए किया है ताकि हम अध्यात्म वाले तरीके से बात करें.”
इसके बाद फ्रीडमैन ने पीएम मोदी से सवाल पूछा- “मैंने सुना है कि आप भी अक्सर काफी उपवास रखते हैं. क्या आप उपवास रखने का कारण बताएंगे?”
इसके जवाब पीएम मोदी ने कहा, “मेरे लिए बड़ा आश्चर्य है कि आपने उपवास रखा. और वो भी उस भूमिका से रखा कि जैसे मेरे सम्मान में हो रहा हो. भारत में जो धार्मिक परंपराएं हैं, वो दरअसल, जीवनशैली हैं. हमारे सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू धर्म की बहुत बढ़िया व्याख्या की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू धर्म किसी पूजा पद्धति का नाम नहीं है, लेकिन ये Way of Life है, जीवन जीने की पद्धति है.”
इसी सवाल के जवाब में आगे पीएम मोदी ने कहा, “हमारे शास्त्रों में शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा, मनुष्य तत्व को किस प्रकार से ऊंचाई पर ले जाएं. इन सभी की चर्चा भी हैं, रास्ते भी हैं. परंपराएं हैं, व्यवस्थाएं हैं. उसमें एक उपवास भी है. उपवास ही सबकुछ नहीं है. भारत में, चाहे आप इसे सांस्कृतिक रूप से देखें या दार्शनिक रूप से, कभी-कभी, मैं देखता हूं कि अनुशासन के लिए उपवास एक तरीका है.
मेरा अनुभव है कि उपवास आपके विचार प्रभाव को बहुत ही तेज करते हैं. नयापन देते हैं. आप हटकर सोचना शुरू करते हैं. ज्यादातर लोगों को लगता है कि उपवास का मतलब है कि खाना नहीं खाना. यह उपवास का केवल शारीरिक पहलू है. अगर किसी को कठिनाई के कारण खाना नहीं मिला तो उसको कैसे उपवास मानेंगे. यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है.”
बचपन के दिनों की गरीबी को याद कर क्या बोले पीएम मोदी?
बचपन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर फ्रीडमैन को कहा, “मेरा जीवन अत्यंत गरीबी में बीता था. लेकिन हमने कभी गरीबी का बोझ महसूस नहीं किया. क्योंकि जो व्यक्ति बढ़िया जूते पहनता है, उसके पास जूते नहीं हैं तो उसे लगता है कि ये कमी है, लेकिन हमने तो कभी जिंदगी में जूते पहने ही नहीं थे. तो हमें क्या मालूम था कि जूते पहनना भी एक बहुत बड़ी चीज होती है. हम तो कंपेयर करने की हालत में ही नहीं थे.”
इसके आगे उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि मेरे तो कभी स्कूल में जूते पहनने का सवाल ही नहीं था. एक दिन में स्कूल जा रहा था, मेरे मामा रास्ते में मिल गए. उन्होंने कहा ' अरे, तू ऐसे स्कूल जाता है, जूते नहीं है'. तो उस समय उन्होंने कैनवास के जूते खरीदकर मुझे पहना दिए. तब उनकी कीमत 10-12 रुपए होगी. वह जूते कैनवास के थे उस पर दाग लग जाते थे, तो मैं ये करता था कि जब शाम को स्कूल की छुट्टी हो जाती थी, तो मैं थोड़ी देर स्कूल में रुकता था. और टीचर जो चॉकस्टिक का उपयोग करके उनके टुकड़े फेंक देते थे, उन्हें एकत्र करके घर ले आता था. उन चॉकस्टिक के टुकड़ों को भिगोकर, पॉलिश बनाकर कैनवास के जूते पर लगाकर चमकदार सफेद बना लेता था. मेरे लिए वही संपत्ति थी.”
आरएसएस से जुड़ाव पर
लेक्स फ्रीडमैन ने पीएम मोदी से पूछा- “जब आप आठ साल के थे, तब RSS में शामिल हो गए थे, जो हिंदू राष्ट्रवाद के विचार का समर्थन करता है. क्या आप मुझे आरएसएस के बारे में बता सकते हैं?”
इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा, “मुझे याद है कि मकोशी नाम का एक आदमी था, मुझे उनका पूरा नाम ठीक से याद नहीं है, मुझे लगता है कि वे सेवा समूह का हिस्सा थे. वे एक ढफली बजाकर देशभक्ति गीत गाते थे. मुझे वह गीत सुनने में मजा आता था, इसलिए मैं पागलों की तरह उसके पीछे दौड़ता रहता था. हमारे गांव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक शाखा थी, जहां देशभक्ति के गीत चलते थे. उन गीतों की कुछ बातें मुझे बहुत छू गईं. और इस तरह मैं आरएसएस का हिस्सा बन गया.”
इसके आगे उन्होंने कहा, “संघ दुनिया के सबसे बड़े संगठनों में से एक है. यह अब अपनी 100वीं वर्षगांठ के करीब है. करोड़ों लोग इससे जुड़े हुए हैं, लेकिन संघ को समझना इतना सरल नहीं है. स्वयंसेवकों को कहा जाता है कि तुम्हें जो संघ से प्रेरणा मिली है, उससे समाज के लिए कुछ करना चाहिए. आज उस भावना से प्रेरित होकर कई पहल चल रही हैं. जैसे कुछ स्वयंसेवकों ने सेवा भारती नामक संगठन की स्थापना की. यह संगठन उन झुग्गी-झोपड़ियों और बस्तियों की सेवा करता है जहां सबसे गरीब लोग रहते हैं, जिन्हें वे सेवा समुदाय कहते हैं.
संघ से जुड़े वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से आदिवासी समुदायों की सेवा के लिए समर्पित हैं. वे आदिवासियों के बीच रहते हैं, उनके कल्याण के लिए काम करते हैं. उन्होंने दूरदराज के आदिवासी इलाकों में 70,000 से ज़्यादा एक शिक्षक वाले स्कूल खोले हैं. आप देखेंगे कि पिछले 100 साल में आरएसएस ने भारत की चकाचौंध से दूर रहकर एक साधक की तरह समर्पित भाव से काम किया है. मेरे सौभाग्य रहा कि ऐसे पवित्र सगंठन से मुझे जीवन के संस्कार मिले.”
भारत-पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर
पड़ोसी पाकिस्तान के बारे में पीएम मोदी ने कहा, "दुनिया में कहीं भी आतंकवाद की घटना घटती है. सूत्र कहीं न कहीं पाकिस्तान पर जाकर अटकते हैं. अमेरिका में 9/11 की इतनी बड़ी घटना घटी. उसका मुख्य सूत्रधार ओसामा बिन लादेन आखिर में कहां से मिला? पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था. पाकिस्तान सिर्फ भारत के लिए नहीं दुनियाभर के लिए परेशानी का केंद्र बन चुका है. हम लगातार उसको कहते रहे हैं कि इस रास्ते से किसका भला होगा. आप आतंकवाद के रास्ते को छोड़ दीजिए. स्टेट स्पॉन्सर्ड आतंकवाद बंद होना चाहिए."
फ्रीडमैन के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "शांति के प्रयासों के लिए मैं खुद लाहौर चला गया था. प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को खास तौर से आमंत्रित किया था ताकि एक शुभ शुरुआत हो. हर बार अच्छे प्रयासों का परिणाम नकारात्मक निकला. हम आशा करते हैं कि उनको सद्बुद्धि मिले.”
गोधरा दंगा और खुद पर लगे आरोपों पर
पीएम मोदी ने गोधरा दंगे पर फ्रीडमैन के सवाल पर कहा, “मैं इस दंगे से पहले की तस्वीर आपको बताना चाहूंगा. 24 दिसंबर 1999 विमान हाईजैक कर कंधार ले जाया गया. 2000 में दिल्ली में लाल किले पर आतंकी हमला हुआ. उस समय आठ से दस महीनों के बीच की घटनाएं देखिए. ऐसे में मुझे मुख्यमंत्री का दायित्व मिला. उससे पहले शताब्दी का सबसे बड़ा भूकंप आया था. मैं शपथ लेने के साथ ही इस काम में जुट गया.
27 फरवरी 2002 विधानसभा में मेरा बजट सत्र था, हम सदन में बैठे थे और उसी दिन विधायक बने हमें तीन दिन हुए थे कि गोधरा की घटना हो गई. यह भयंकर घटना थी. लोगों को जिंदा जला दिया गया था. कंधार विमान से शुरू होकर कई बड़ी घटनाओं की पृष्ठभूमि और उसमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मर जाना, जिंदा जला देना. आप कल्पना कर सकते हैं कि स्थिति कैसे होगी?
जो ये कहते हैं कि बहुत बड़ा दंगा था तो यह भ्रम फैलाया गया है. अगर 2002 से पहले का डेटा देखें तो पता चलता है कि गुजरात में कितने दंगे होते थे? पतंग के चक्कर में सांप्रदायिक हिंसा हो जाती थी. साइकिल टकराने पर सांप्रदायिक हिंसा हो जाती थी. 2002 से पहले गुजरात में 250 से ज्यादा बड़े दंगे हुए थे. 1969 में जो दंगे हुए थे वह छह महीने तक चले थे. इतनी बड़ी घटना स्पार्किंग प्वाइंट बन गई और कुछ लोगों की हिंसा में मौत हो गई."
यूक्रेन-रूस जंग पर
रूस-यूक्रेन जंग पर फ्रीडमैन के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “हमारा बैकग्राउंड इतना मजबूत है कि जब भी हम शांति के लिए बात करते हैं, तो विश्व हमें सुनता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है. मेरे रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं.
मैं राष्ट्रपति पुतिन के सामने यह कह सकता हूं कि यह युद्ध का समय नहीं है. और एक मित्र भाव से जेलेंस्की को भी कहता हूं कि दुनिया कितनी भी आपके साथ खड़ी क्यों न हो जाए रणभूमि में कभी भी परिणाम नहीं निकलने वाला है. पूरी दुनिया यूक्रेन के साथ बैठकर कितनी भी बातचीत कर ले, दोनों पक्ष का होना जरूरी है. मैं हमेशा कहता हूं कि मैं शांति के पक्ष में हूं."
विदेश नीति और चीन के साथ संबंधों पर
पीएम मोदी ने चीन और विदेश नीति के सवाल पर कहा, “जब 2013 में उन्हें पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो लोग कह रहे थे कि उसने एक राज्य चलाया है और उसको विदेश नीति क्या समझ में आएगी. तब मैंने कहा था कि भाई एक इंटरव्यू में पूरी विदेश नीति तो समझा नहीं सकता हूं लेकिन मैं आपको इतना कहता हूं कि हिंदुस्तान न आंख झुकाकर बात करेगा, न आंख उठाकर बात करेगा लेकिन अब हिंदुस्तान आंख में आंख मिलाकर बात करेगा. आज भी मैं उस विचार को लेकर चलता हूं."
चीन के साथ संबंधों पर पीएम मोदी ने कहा, “दोनों देशों के बीच सदियों पुराने रिश्तें है और एक ज़माने में दुनिया के जीडीपी में आधा हिस्सा भारत और चीन का हुआ करता था. दोनों देशों के बीच संघर्ष का कोई इतिहास नहीं रहा है.
इन संबंधों को ऐसे ही मजबूत और जारी रहना चाहिए. दो पड़ोसी देश होते हैं तो कुछ न कुछ होता है. कभी कभार असहमति भी स्वाभाविक है. यह परिवार में भी रहता है लेकिन हमारी कोशिश है कि हमारे मतभेद विवाद में न बदलें.
2020 में सीमा पर जो घटनाएं घटी उसके कारण हमारे बीच स्थिति तनावपूर्ण हो गई. अभी राष्ट्रपति शी के साथ मेरा मिलना हुआ, उसके बाद सीमा पर जो स्थिति थी वो सामान्य स्थिति में आ चुकी है."
अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप पर
अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप से जुड़े सवाल पर जवाब देते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन के स्टेडियम में हाउडी मोदी के कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा, “भाषण के बाद मैंने जब ट्रंप से पूछा कि क्या स्टेडियम का चक्कर लगाएं तो वे तुरंत तैयार हो गए. अमेरिका का सुरक्षा तंत्र बेचैन हो गया.
आप जानते ही हैं कि सुरक्षा कितनी कड़ी होती है. कितनी जांच होती है. मेरे लिए यह बात दिल को छू गई कि इस व्यक्ति में हिम्मत है. वह फैसले खुद लेते हैं और दूसरा उनको मोदी पर भरोसा है कि मोदी उनको ले जा रहा है तो चलिए चलते हैं.
ट्रंप ने उन्हें सारा प्रोटोकॉल तोड़ते हुए अपना सारा भवन दिखाया. वे अमेरिका फर्स्ट वाले हैं और मैं भारत फर्स्ट वाला हूं. हमारी जोड़ी बराबर जम जाती है."
अपने निर्णय लेने की क्षमता पर
नोटबंदी और लॉकडाउन जैसे बड़े और चुनौतिपूर्ण निर्णय लेने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “शासन की दृष्टि से देखें तो मेरे पास कोई बोझ नहीं है. निर्णय करने में मेरा एक तराजू है कि मेरा देश सबसे पहले. सिर्फ अफसरों की नहीं सुनता, उनसे सवाल भी करता हूं. ताकि बातचीत से सही फैसला निकले. मेरी जोखिम लेने की क्षमता बहुत है. मैं ये नहीं सोचता कि मेरा क्या नुकसान होगा. जो देश के लोगों के लिए सही है, वहां मैं जोखिम लेने को तैयार रहता हूं. अगर कुछ गलत हो जाए तो खुद उसका जिम्मा लेता हूं.”
AI और मॉडर्न टेक्नोलॉजी पर
प्रधानमंत्री ने AI से जुड़े एक सवाल पर कहा, “दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है. मेरा मानना है कि एआई विकास मूलत: एक सहयोग है. इसमें शामिल सभी लोग साझा अनुभवों और सीख के जरिये एक-दूसरे का समर्थन करते हैं. भारत सिर्फ इसका मॉडल नहीं बना रहा, बल्कि इसके विशेष उपयोग के मामलों के हिसाब से एआई आधारित एप्लिकेशन को भी विकसित कर रहा है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता शक्तिशाली है लेकिन यह कभी भी मानव कल्पना की गहराई से मेल नहीं खा सकती.”