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ऑपरेशन सिंदूर पर प्रियंका गांधी बोलेंगी, पर थरूर नहीं; संसद में ये कौन और कैसे तय करता है?

आपको पता है कि संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर गौरव गोगोई को बोलने की इजाजत मिली, लेकिन शशि थरूर को नहीं मिली. ये सबकुछ कैसे तय होता है और कौन तय करता है?

शशि थरूर और प्रियंका गांधी
शशि थरूर और प्रियंका गांधी
अपडेटेड 28 जुलाई , 2025

जुलाई की 28 तारीख को पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा और राज्यसभा, संसद के दोनों सदनों में चर्चा होनी है. इस विषय पर 16-16 घंटे चर्चा होनी है. कांग्रेस ने अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है. 

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने इस विषय पर चर्चा के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस विषय पर बोलने वालों की लिस्ट में शशि थरूर का नाम नहीं है. दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से उन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं मिली है. जबकि थरूर वो नेता हैं, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के पक्ष को रखने के लिए अमेरिका भेजा गया था. 

थरूर एकलौते नहीं हैं, बल्कि संसद में कई पार्टियों के नेता ऐसे हैं, जिन्हें बोलने के लिए समय नहीं मिला है. लेकिन, आपको पता है कि संसद में किसी दल के एक नेता को बोलने की इजाजत मिलती है, जबकि दूसरे को क्यों नहीं? ये सबकुछ कैसे तय होता है और कौन तय करता है? 

शशि थरूर ऑपरेशन सिंदूर पर नहीं बोलेंगे, ये किसने कहा? 

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, शशि थरूर के संसद में इस बहस के दौरान बोलने की संभावना नहीं है. कांग्रेस सूत्रों ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर पर शशि थरूर के बोलने की संभावना नहीं है. जो सांसद सदन के अंदर किसी मुद्दों पर बोलना चाहते हैं, उन्हें अपना अनुरोध कांग्रेस संसदीय कार्यालय (सीपीपी) भेजना होता है. हालांकि, शशि थरूर ने अभी तक ऐसा नहीं किया है."

अगर शशि थरूर इस बहस में शामिल नहीं होते हैं, तो इससे कई तरह के सवाल उठेंगे. दरअसल तिरुवनंतपुरम के कांग्रेस सांसद का अपनी पार्टी के साथ संबंध इन दिनों सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है. कांग्रेस और थरूर के रिश्तों में तब तल्खी देखने को मिली, जब उन्होंने कांग्रेस की लाइन के विपरीत ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर भारत सरकार की ओर से अमेरिका गए और वहां भारत का पक्ष रखा. उन्होंने अमेरिका जाने वाली इस कमेटी का नेतृत्व भी किया था. सरकार के रुख के प्रति थरूर के सार्वजनिक समर्थन से कांग्रेस और उनके बीच तनाव देखने को मिल रहा है.  

क्या थरूर ने अब तक इसपर कुछ कहा है? 

एनडीटीवी रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस सांसद शशि थरूर से जब यब सवाल को किया गया कि क्या वह आज संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा के दौरान बोलेंगे, तो उन्होंने इस सवाल को टाल दिया. 

थरूर मानसून सत्र में सदन में होने वाले चर्चा के लिए संसद परिसर पहुंचे थे, तभी एनडीटीवी के एक पत्रकार ने उनसे ये सवाल किया था. तिरुवनंतपुरम सांसद थरूर बिना कोई जवाब दिए चले गए और जब उनकी सहकर्मी रेणुका चौधरी ने उन्हें बुलाया तो वे वापस लौट आए.

वहां मौजूद पत्रकारों ने रेणुका चौधरी से पूछा कि क्या वह चाहेंगी कि थरूर आज संसद में बोलें.उन्होंने जवाब दिया, "उन्हें संवैधानिक रूप से कहीं भी बोलने का अधिकार है. मैं कौन होती हूं इजाज़त देने वाली?"

आखिर संसद में किसी नेता को बोलने की इजाजत कौन देता है?

संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा में कार्य मंत्रणा समिति (बिजनेस एडवाइजरी कमेटी) बनाई जाती है. इन्हें BAC भी बोला जाता है. दोनों सदनों की अलग-अलग एडवाइजरी कमेटी होती है. लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में सभापति इन समितियों की अध्यक्षता करते हैं. दोनों सदनों के कुल 26 सांसद इन समितियों के सदस्य होते हैं. इनमें 15 सांसद लोकसभा और 11 सांसद राज्यसभा से शामिल किए जाते हैं.

सदन में पार्टी के संख्याबल के आधार पर सदस्यों का चुनाव होता है. नियमानुसार यह कमेटी, संसद की स्टैंडिंग कमेटी (स्थायी) होती है, यानी इसका कार्यकाल तय नहीं है. जब कमेटी में जगह खाली होती है तो नए सदस्यों की नियुक्ति की जाती है.

BAC की सलाह पर स्पीकर पार्टियों के लिए तय किए गए बहस के समय की जानकारी पार्टी के अध्यक्षों को दे देता है. इसके बाद पार्टी के अध्यक्ष तय करते हैं कि उन्हें जो टाइम अलॉट किया गया है, उसके अनुसार उनकी पार्टी के कितने सांसद बोलेंगे और कितनी देर बोलेंगे. यह पार्टी ही तय करती है कि उसके 5 संसद बोलेंगे या सिर्फ एक सांसद बोलेंगे. 

ये तय करने के बाद पार्टी का अध्यक्ष स्पीकर को इसकी जानकारी भेज देता है. पार्टी जिस नेता को चाहे पहले और जिसे चाहे बाद में बोलने का समय देती है. यही वजह है कि सांसदों के नाम पुकारने के साथ-साथ समय भी बताया जाता है. पार्टी चाहे तो स्पीकर को बताकर बोलने वाले अपने सांसदों के समय में बदलाव भी कर सकती है.

ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस की और से कौन-कौन नेता बोल सकते हैं? 

कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में बोलने के लिए 6 नेताओं के नाम दिए हैं. इनमें गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी, दीपेंद्र हुड्डा, प्रणीति शिंदे, सप्तगिरि शंकर उलाका और बृजेन्द्र सिंह ओला हैं.

हालांकि, थरूर के संसद में नहीं बोलने पर आजतक की सीनियर जर्नलिस्ट मौसमी सिंह ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के ऑफिस ने शशि थरूर से इस मुद्दे पर लोकसभा में बोलने के लिए पूछा था, लेकिन थरूर ने खुद ही बोलने से इनकार कर दिया.

किसी निर्दलीय या छोटे दलों के सांसद को सदन में बोलने का समय कैसे मिलता है?

निर्दलीय या किसी छोटी पार्टी के सांसद अगर सदन में किसी तय विषय पर बोलना चाहते हैं, तो उन्हें स्पीकर को एक निवेदन पत्र लिखना होता है. स्पीकर बचे हुए समय और अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर उस सांसद को बोलने का समय देते हैं. 

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