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कानून मंत्री बनते ही अर्जुन राम मेघवाल ने जिस नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी को मंजूरी दी, वो है क्या?

नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी का दस्तावेज कानून मंत्री के हस्ताक्षर के साथ ही विधि मंत्रालय की हरी झंडी हासिल कर चुका है. अब यह दस्तावेज चर्चा के लिए कैबिनेट में जाएगा

अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय कानून मंत्री
अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय कानून मंत्री
अपडेटेड 12 जून , 2024

देश अब नई लिटिगेशन पॉलिसी अपनाने की राह पर चल पड़ा है. लिटिगेशन यानी मुकदमेबाजी या अदालती वाद. मोदी सरकार 3.0 के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 11 जून को कार्यभार संभालने के 10 मिनट के भीतर जिस पहली फाइल पर दस्तखत किया, वो नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी की ही थी. मेघवाल ने कहा, "यह बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज है. इसकी मांग लंबे समय से उठ रही थी. पॉलिसी के लागू होने से सभी पक्षकारों को सहूलियत होगी." लिटिगेशन पॉलिसी लागू होने से मुकदमों की संख्या घटाने में मदद मिलेगी. 

नेशनल ज्यूडीशियल डाटा ग्रिड के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश की अदालतों में करीब साढ़े चार करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं. इनमें से आधे ऐसे हैं जिनमें सरकार या कोई सरकारी महकमा पक्षकार है. रेलवे की जमीन पर ही हजारों मुकदमे हैं. इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू), बैंक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी), सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज (सीबीआईसी), रेवेन्यू डिपार्टमेंट आदि भी बहुत से मुकदमों में पक्षकार हैं. 

नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी से क्या बदलेगा

सरकार के पास इसका कोई आंकड़ा भी नहीं है कि वह कितने मुकदमों में पक्षकार है. सरकारी विभागों के मुकदमे भी साल दर साल चलते जाते हैं. निचली अदालतों से फैसला हो जाता है तो विभाग अपील में चले जाते हैं. लेकिन किस तरह के केसों में अपील होनी है, किसमें नहीं होनी है - इसका कोई मानदंड निर्धारित नहीं है. इसी कमी को दूर करने के लिए कानून मंत्रालय ने नई लिटिगेशन पॉलिसी तैयार की है.

सीबीडीटी और सीबीआईसी ने ट्रिब्यूनल के फैसलों पर अपील की एक नीति धनराशि के आधार पर बना रखी है. लेकिन विस्तृत नीति के अभाव में कराधान के लाखों केस विभिन्न अदालतों में लंबित हैं. मेघवाल ने बताया, "जिस तरह शिक्षा नीति से लोगों का जीवन बेहतर होता है, उसी तरह नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी से पक्षकारों और आम लोगों को सहूलियत मिलेगी. बीते कई सालों से इसकी मांग उठ रही थी." 

मांग न्यायपालिका और सरकारी विभागों दोनों तरफ से उठ रही थी. वैसे देखा जाए तो दीवानी मुकदमों में ही व्यक्ति या संस्था का बहुत-सा समय और धन खर्च होता है. मानसिक तनाव अलग होता है. कई बार तो बहुत मामूली से विवाद भी वर्षों चलते रहते हैं. पूर्व चीफ जस्टिस एनवी. रमन ने भी एक मुकदमे के दौरान कहा था कि लंबित केसों में करीब 50 फीसद में एक पक्षकार सरकार या सरकारी विभाग है. 

बहरहाल, नेशनल लिटिगेशन पॉलिसी का दस्तावेज कानून मंत्री के हस्ताक्षर के साथ ही विधि मंत्रालय की हरी झंडी हासिल कर चुका है. अब यह दस्तावेज कैबिनेट में जाएगा. जहां इस पर चर्चा होगी और फिर इसके बाद सरकार इस पर फैसला करेगी.

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