
केंद्र सरकार ‘मेरा बिल, मेरा अधिकार’ नाम की एक योजना लेकर आई है जिसमें लकी ड्रॉ के जरिये सालभर में एक-एक करोड़ रुपए के 8 ईनाम दिए जाएंगे. इसके अलावा लाखों रुपए के अन्य ईनाम भी हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह योजना 1 सितंबर 2023 से असम, हरियाणा और गुजरात, पुडुच्चेरी और दादरा नगर हवेली तथा दमन और दीव में शुरू होगी. इसमें लोगों को सामान खरीद और सेवाओं का बिल एक ऐप पर अपलोड करना होगा. इस योजना का मकसद लोगों को दुकानदारों से बिल लेने के लिए जागरूक करना और जीएसटी का अनुपालन बढ़ाना है.
बीते तीन-चार साल से ऐसी योजना लाने की बात चल रही थी लेकिन अब इसे वित्त मंत्रालय ने जारी कर दिया है. वित्त मंत्रालय के अनुसार, स्कीम में भाग लेने के लिए इन राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्र के लोगों को उन सेवाओं और वस्तुओं का बिल दुकानदार से लेना होगा जिसका वे भुगतान कर रहे हैं. बिल लेने के बाद उसे ‘मेरा बिल, मेरा अधिकार’ नामक ऐप या web.merabill.gst.gov.in पर अपलोड करना होगा. बिल 200 रुपए से कम का नहीं होना चाहिए.

एक महीने में अधिकतम 25 बिल ऐप या वेबसाइट पर अपलोड कर स्कीम में भाग लिया जा सकता है. बिल अपलोड करने के बाद एक पावती जेनरेट होगी, जिसका उपयोग ड्रॉ के लिए किया जाएगा. नकद ईनामों में 10 हजार रु. के 800 ईनाम हैं जो हर महीने निकाले जाएंगे, इसके अलावा 10 लाख रु. के 10 ईनाम हर महीने दिए जाएंगे जबकि एक-एक करोड़ रु. के दो ईनाम हर तिमाही पर दिए जाएंगे. योजना 1 सितंबर से 12 महीने तक चलेगी. इस लिहाज से एक करोड़ रुपए के कुल आठ नकद ईनाम दिए जाएंगे. विजेता को सूचना ऐप के नोटिफिकेशन और एसएमएस से दी जाएगी.
टैक्स विशेषज्ञ बलवंत जैन कहते हैं कि सरकार इस तरह की योजनाएं जीएसटी का अनुपालन बढ़ाने के लिए लाई है. हालांकि बिल न देने वाले व्यवसायियों पर कोई खास कार्रवाई नहीं होती है. इस योजना का मकसद यह नहीं है कि दुकानदारों को पकड़ा जाए.
दूसरी तरफ योजना की कुछ व्यावहारिक दिक्कतें भी हैं. बिल लेना इतना आसान नहीं है. जब भी खरीदार बिल मांगता है तो दुकानदार कहता है कि बिल पर जीएसटी चार्ज होगा जिसका और पैसा देना होगा. लेकिन जीएसटी विभाग के अफसर बताते हैं कि आप बिल मांगें या न मांगें, दुकानदार हर बार आपसे जीएसटी ले लेता है. लोगों को हो सकता है बिल मांगने में इस तरह की दिक्कतें पेश आएं. बहरहाल, ‘मेरा बिल, मेरा अधिकार’ योजना में डुप्लीकेट बिल और फर्जी जीएसटीएन वाले बिल सिस्टम खुद ही खारिज कर देगा. ड्रॉ निकलने के बाद विजेताओं से उनका पैन नंबर, बैंक खाते के ब्योरे और आधार कार्ड जैसी कुछेक जानकारियां मांगी जाएंगी. इसके बाद ही पैसा खातों में आएगा. इस सबकी तय समय सीमा होगी.
वैसे इस तरह की योजनाएं वित्त मंत्रालय लाता रहता है. कुछ साल पहले आयकर चोरी की सूचना देने पर 5 करोड़ रुपए ईनाम देने की योजना लाया था. इस तरह की सरकारी स्कीमों का पैसा मिलता है या नहीं? इस पर जैन कहते हैं कि हां, पैसा मिलता है. उन्होंने बताया कि उनके एक परिचित को कर चोरी की सूचना देने पर ईनाम मिला था.