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संसद में कैसे सस्पेंड किए जाते हैं सांसद, क्या कहते हैं नियम-कानून?

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 18 दिसंबर को लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया. इससे पहले 14 तारीख को भी 13 सांसद निलंबित किए गए थे

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 33 सांसदों को सस्पेंड किया
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 33 सांसदों को सस्पेंड किया
अपडेटेड 18 दिसंबर , 2023

"अगर कांग्रेस को लगता है कि उसके 25 सांसदों की बर्खास्तगी लोकतंत्र के लिए काला दिन है तो उसे सोचना चाहिए कि ये बेंचमार्क किसने बनाया था? किसने ये रिकॉर्ड पहले कायम किया था?" यह बात 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार के तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडु ने कही थी. तब कांग्रेस के 25 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया था.

कट टू 2023. संसद के शीतकालीन सत्र के 11वां दिन, तारीख 18 दिसंबर. लोकसभा और राज्यसभा में एकमुश्त 78 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया. लोकसभा में स्पीकर ओम बिड़ला ने 33 सांसदों को सस्पेंड किया. इनमें कांग्रेस के 11 सांसद, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 9, डीएमके के 9 और 4 अन्य दलों के सांसद शामिल हैं.

राज्यसभा में सस्पेंड किए गए सांसदों की संख्या 45 रही. सभापति जगदीप धनखड़ ने पूरे सत्र के लिए इन सांसदों को बर्खास्त कर दिया है. वजह दोनों ही सदनों में एक ही है- संसद की सुरक्षा में चूक के मामले पर विपक्ष का विरोध. इससे पहले इसी सत्र के दौरान 14 दिसंबर को भी लोकसभा से 13 सांसदों को निलंबित किया गया था. आज जब ये कार्यवाही हुई तो लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में राजनीति होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसद इस गड़बड़ी को लेकर सरकार से जवाब मांग रहे थे. जवाब मांगने का तरीका स्पीकर और सभापति को हंगामा लगा तो संसद सदस्यों पर कार्रवाई हो गई.

सवाल ये है कि संसद में आखिर किस अधिकार के तहत लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा सभापति सदस्यों को निलंबित करते हैं? इसके लिए क्या प्रावधान हैं? साथ ही ये भी जानेंगे कि इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में कब सांसदों को सस्पेंड किया गया था.

संसद की कार्यवाही का नियम संख्या- 373 (Rule Number 373 of the Rules of Procedure and Conduct of Business states). क्या कहता है ये नियम? अगर लोकसभा अध्यक्ष को ऐसा लगता है कि किसी सदस्य का आचरण 'घोर अव्यवस्थित' है तो वह उस सदस्य को सदन से तुरंत बाहर निकलने का निर्देश दे सकता है. नियम के मुताबिक सदस्य को तत्काल इस निर्देश का पालन करते हुए दिन की शेष बैठक से बाहर जाना होता है.

किसी सदस्य के सदन के वेल में आने या सदन के नियमों का दुरुपयोग करने, लगातार और जानबूझकर नारे लगाने या सदन के कामकाज में बाधा डालने से उत्पन्न गंभीर अव्यवस्था के मामले में स्पीकर नियम 374ए लागू कर सकता है. जिस सदस्य पर इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है उसे लगातार पांच बैठकों या सत्र के शेष हिस्से, जो भी कम हो, के लिए निलंबित माना जाता है.

हालांकि अध्यक्ष को किसी सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है लेकिन इस आदेश को रद्द करने का अधिकार उसमें निहित नहीं है. यदि सदन चाहे तो वह निलंबन रद्द करने के प्रस्ताव पर निर्णय ले सकता है.

इसी तरह, राज्यसभा के सभापति को इसकी नियम पुस्तिका के नियम संख्या-255 के तहत राज्यसभा सांसदों को निलंबित करने का अधिकार प्राप्त है. सभापति उस सदस्य का नाम बता सकता है जो उसके अधिकार की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर कार्य में बाधा डालकर नियमों का दुरुपयोग करता है. ऐसी स्थिति में सदन सदस्य को शेष सत्र से अधिक की अवधि के लिए सदन की सेवा से निलंबित करने का प्रस्ताव अपना सकता है. हालांकि, सदन किसी अन्य प्रस्ताव द्वारा निलंबन समाप्त कर सकता है. स्पीकर के उलट राज्यसभा सभापति के पास किसी सदस्य को निलंबित करने की शक्ति नहीं है.

आज भी लोकसभा में सदन में अशांति पैदा करने के आरोप में 33 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया है. इनमें से 30 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है, वहीं तीन सांसद विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक सस्पेंड किए गए हैं. राज्यसभा में सांसदों को संसद की कार्यवाही बाधित करने के आरोप में सस्पेंड किया गया. राज्यसभा से 34 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है, जबकि 11 सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है.

और ऐसा कब हुआ?

केंद्र में बीजेपी की बहुमत की सरकार है. बीजेपी गठबंधन के पास 300 से ज्यादा सीटें हैं. बैक टू 1989. केंद्र में कांग्रेस बहुमत की सरकार थी. 404 सीटों वाली कांग्रेस सरकार. 15 दिसंबर, 1989 को जस्टिस ठक्कर समिति की एक रिपोर्ट आनी थी, इंदिरा गांधी की हत्या पर. जिसे लेकर लोकसभा में हंगामा होने लगा. बलराम जाखड़ लोकसभा स्पीकर थे. हंगामे के बीच जाखड़ ने 63 सांसदों एकबारगी बर्खास्त कर दिया.

एक बार में सबसे ज्यादा सांसदों को बर्खास्त करने का रिकॉर्ड कांग्रेस सरकार के ही नाम था. लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया है, आज एक साथ 78 सांसदों को बर्खास्त करके. बर्खास्त किए गए सांसद और अन्य विपक्षी सांसद सदन के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल पूरे शीतकालीन सत्र की कार्यवाही में ये सांसद शामिल नहीं हो पाएंगे.

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