
फरवरी की 5 तारीख को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले 12 जनवरी को दिल्ली की झुग्गी बस्तियों से प्रेस कांफ्रेंस कर अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव का माहौल तैयार कर दिया है. अब जल्द ही केजरीवाल एक चुनावी घोषणा पत्र जारी कर सकते हैं. इसमें मतदाताओं को लुभाने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) पहले की तरह मुफ्त योजनाओं को जारी रखने की नीति अपना सकती है.
सूत्रों की मानें तो इस घोषणापत्र को ‘केजरीवाल की गारंटी’ नाम दिया जाएगा, जिनमें कुल 8 से 10 चुनावी वादे हो सकते हैं. इन वादों के जरिए केजरीवाल ने मुख्य तौर पर 5 मुद्दों को दिल्ली चुनाव जीतने का आधार बनाया है. यही नहीं, वे अपने नाम की गारंटी देकर साफ कर सकते हैं कि दिल्ली चुनाव सीएम आतिशी नहीं बल्कि उनके चेहरे पर ही लड़ा जाएगा.
केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में क्यों दी अपने नाम की गारंटी?
2024 लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने अपने घोषणा पत्र का नाम 'मोदी की गारंटी' रखा था. अब उसी तर्ज पर केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र का नाम 'केजरीवाल की गारंटी' रख रहे हैं. यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी लोकसभा चुनाव से पहले वह केजरीवाल की गारंटी के नाम से घोषणा पत्र राष्ट्रीय स्तर पर जारी कर चुके हैं. पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक इसकी तीन मुख्य वजहें हैं…
1. केजरीवाल की महत्वाकांक्षा: AAP के घोषणा पत्र का नाम ‘केजरीवाल की गारंटी’ रखना केजरीवाल की महत्वाकांक्षा को दिखाता है. केजरीवाल इस तरह के नाम के जरिए ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि विपक्षी दलों में मोदी से टकराने वाले वो इकलौते नेता हैं.
अगर दिल्ली चुनाव में AAP को जीत मिलती है तो वह राष्ट्रीय राजनीति को मोदी बनाम राहुल के बजाय मोदी बनाम केजरीवाल में बदलने की कोशिश करेंगे. राहुल गांधी भी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं इसीलिए सीलमपुर की रैली में राहुल ने मोदी के अलावा केजरीवाल पर भी जमकर हमला किया.
AAP अभी राष्ट्रीय पार्टी है. कांग्रेस के अलावा वह BJP से टकराने वाली विपक्ष की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. AAP की दो राज्यों में सरकार है और तीन अन्य राज्यों में वो मजबूती से चुनाव लड़ती है. ऐसे में घोषणा पत्र का नाम केजरीवाल की गारंटी रखना उनकी राष्ट्रीय राजनीति की महत्वाकांक्षा को ही दिखाता है.
2. नेतृत्व को लेकर स्पष्टता: दिल्ली विधानसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर अरविंद केजरीवाल किसी भी तरह से संदेह या भ्रम की स्थिति नहीं बनने देना चाहते हैं. BJP दोबारा केजरीवाल के जेल जाने की बात कह रही है. वहीं, केजरीवाल अपने नाम की गारंटी देकर दिल्ली के लोगों को भरोसा देने की कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव के बाद वे ही दोबारा दिल्ली के सीएम बनेंगे. इस तरह वे कोशिश कर रहे हैं कि नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति न बने.
3. जनता के जुबान पर नाम चढ़ाने की कोशिश: 2019 से पहले और बाद में BJP मशीनरी ने जनता के बीच मोदी का नाम अलग-अलग तरह से रटाने की कोशिश की थी. इसके लिए काफी पैसे खर्च किए गए. ‘मोदी जी आने वाले हैं’ स्लोगन हो या घोषणा पत्र का नाम ‘मोदी की गारंटी’ रखना हो. अब केजरीवाल भी BJP की स्ट्रेटजी को ही अपना रहे हैं. केजरीवाल अगले लोकसभा चुनाव से पहले देश की जनता में मैसेज देना चाहते हैं कि ‘मोदी की गारंटी’ का विकल्प सिर्फ और सिर्फ ‘केजरीवाल की गारंटी’ ही है.
केजरीवाल के घोषणा पत्र में किन 5 मुद्दों पर फोकस होगा ?
AAP अपने घोषणापत्र में 8 से 10 चुनावी वादे शामिल कर सकती है. इनमें मुफ्त बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, तीर्थ यात्रा और महिलाओं के लिए बस यात्रा के अलावा, दिल्ली शहर में बुनियादी ढांचे के विकास पर भी जोर दिया जा सकता है. इन चुनावी वादे के जरिए जिन 5 मुख्य मुद्दों पर AAP फोकस कर रही है, अब उसके बारे में एक-एक कर जानते हैं…

केजरीवाल ने पिछली बार की तरह इस विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं के मुद्दे को सबसे ऊपर रखा है. पिछली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP ने महिलाओं के भरोसे ही 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी.
CSDS की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 विधानसभा चुनाव में पुरुषों की तुलना में 11% ज्यादा महिलाओं ने AAP को वोट किया था. वहीं, कुल वोटर्स में से 60% महिलाएं और 49% पुरुषों ने AAP को वोट किया.
इतना ही नहीं पहली बार महिलाओं ने घर से निकलकर रिकॉर्ड वोट किया. कुल पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोट प्रतिशत सिर्फ 0.07% ही कम रहा था. इस चुनाव में महिलाओं ने लंबे समय से चली आ रही इस मान्यता को गलत साबित कर दिया कि महिलाएं अपने पति या परिवार के पुरुषों की सलाह पर ही वोट देती हैं.
इसके अलावा 2020 में दलित महिलाओं के बीच AAP का वोट शेयर दलित पुरुषों के मुकाबले 25% ज्यादा था. वहीं, जाट, गुज्जर और यादव महिलाओं ने संयुक्त रूप से अपनी जाति के पुरुषों की तुलना में 18 प्रतिशत ज्यादा वोट AAP को किया था.

विधानसभा चुनाव 2025 में भी महिलाओं के फ्री बस पास जैसी सुविधाओं को जारी रखने का वादा किया गया है. इसके अलावा, 12 दिसंबर 2024 को केजरीवाल ने कहा कि 18 साल से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को हर महीने 1 हजार रुपए मिलेंगे. आप सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद इस रकम को बढ़ाकर 2100 रुपए प्रतिमाह कर दिए जाएंगे.

2020 विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली और पानी योजना केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए वरदान साबित हुआ था. इस बार बीजेपी ने मुफ्त बिजली-पानी के मुद्दे को दबाने के लिए 'अब नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे' का नारा दिया. इसके बाद दोनों दलों में जुबानी जंग शुरू हो गई है. केजरीवाल इसे बीजेपी की बौखलाहट बता रहे हैं. केजरीवाल ने कहा है कि उनकी सरकार आई तो अभी की तरह ही मुफ्त बिजली-पानी की सुविधाएं मिलती रहेंगी.
अभी दिल्ली में प्रति माह 200 यूनिट तक बिजली फ्री है और 400 यूनिट होने पर आधे दाम पर बिजली मिलती है. कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में 400 यूनिट तक बिजली फ्री करने की घोषणा कर चुकी है. AAP के लिए अब ‘करो या मरो’ की स्थिति है. ऐसे में संभव है कि AAP भी सरकार बनने पर फ्री बिजली की यूनिट बढ़ाने की घोषणा कर सकती है.

दिल्ली सरकार स्कूल व उच्च शिक्षा से लेकर टेक्निकल और प्रोफेशनल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक बजट देकर अव्वल साबित हो रही है. आर्थिक सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट बताती है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली देश का नंबर एक प्रदेश है. वित्त वर्ष 2022-23 में दिल्ली सरकार ने बजट का 21 फीसदी हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया.
केजरीवाल यह बात समझते हैं कि दिल्ली में ज्यादातर आबादी लो मिडिल क्लास की है. इनकी इनकम बेहद कम है. ऐसे में इन परिवारों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा है. यही वजह है कि केजरीवाल ने अपने भरोसेमंद नेताओं को इस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी.
अरविंद केजरीवाल लगातार अपनी योजनाओं में शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर देते रहे हैं और उनके करीबी नेता इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में उनका साथ देते रहे हैं. चाहे मनीष सिसोदिया हो या आतिशी. पिछले विधानसभा चुनाव में AAP के बाकी दलों पर भारी पड़ने की एक बड़ी वजह यह भी है. इस बार दोबारा AAP इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही है.

दिल्ली में झुग्गियों में तकरीबन 15 लाख वोटर्स हैं. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से करीब दो दर्जन विधानसभा सीटों पर झुग्गी वोटर्स जिस पार्टी को वोट देते हैं, विधायक उसी पार्टी का बनता है.
यही वजह है कि 12 जनवरी को केजरीवाल शकूरबस्ती विधानसभा की झुग्गी बस्ती में पहुंचे. यहां उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर BJP पर जमकर हमला बोला. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली चुनाव में अगर बीजेपी जीतती है तो अगले पांच सालों में सभी झुग्गी बस्तियों को तोड़ देगी. बीते 10 सालों से आम आदमी पार्टी झुग्गी बस्तियों को बचाने के लिए ढाल बनकर खड़ी है.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजीव पांडेय एक इंटरव्यू में कहते हैं, “हाल के वर्षो में दिल्ली में झुग्गी बस्ती में रहने वाले वोटर जिस तरफ भी जाते हैं, उसी पार्टी की सरकार बन जाती है. यही वजह है कि बीते कई महीने पहले बीजेपी ने अपने सभी नेताओं को एक रात झुग्गी बस्ती में रहने का फरमान सुनाया. वहीं, आम आदमी पार्टी भी बीजेपी के प्लान को फेल करने के लिए उन झुग्गियों में जाना शुरू किया, जहां-जहां हाल के दिनों में बुलडोजर एक्शन कर झुग्गियों को तोड़ा गया था. आप नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज तो सुंदर नगर झुग्गियों में पहुंचकर झुग्गीवालों के साथ धरने पर बैठ गए थे.”

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक अरविंद केजरीवाल ये समझते हैं कि बीजेपी ने अगर विधानसभा चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम की राजनीति शुरू कर दी तो उनका सारा कैलकुलेशन बिगड़ जाएगा. इसी वजह से केजरीवाल अपनी एंटी हिंदू इमेज नहीं बनने देना चाहते हैं.
केजरीवाल ने वादा किया है कि मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना पहले की तरह जारी रहेगी. इतना ही नहीं उन्होंने वादा किया कि चुनाव जीतने पर उनकी सरकार दिल्ली में पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना शुरू करेगी. इसके तहत मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18 हजार रुपये हर महीने भत्ता दिया जाएगा.
दिल्ली में करीब 21.6 लाख मुस्लिम वोटर्स हैं. हिंदू कॉलेज में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर विश्लेषक चंद्रचूड़ सिंह एक इंटरव्यू में बताते हैं, “काफी हद तक निश्चित है कि दिल्ली में मुस्लिम मतदाता किसका समर्थन करेंगे. यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देंगे. अगर कल चुनाव होते हैं, तो आप के पक्ष में होने की संभावना है. हालांकि, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कांग्रेस अपने अभियान, घोषणापत्र और उम्मीदवारों को कैसे संगठित करती है.”
ग्राफिक्स- नीलिमा सचान